नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) ने एमसीडी के विभिन्न पदों के लिए अपने उम्मीदवारों के रूप में छह नामों को अंतिम रूप दिया है, जिसमें दिल्ली नगर निकाय के मेयर पद के लिए शेली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर पद के लिए आले मोहम्मद इकबाल उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं.
चांदनी महल वार्ड से पार्षद इकबाल का चयन हाल के एमसीडी चुनावों में कांग्रेस की ओर रुख करने वाले मुस्लिम मतदाताओं के लिए एक राजनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर एमसीडी चुनावों में कांग्रेस को वोट दिया था. इसे राजनीतिक हलकों में अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ से अल्पसंख्यक समुदाय के मोहभंग के संकेत के रूप में देखा गया, क्योंकि केजरीवाल ने मुस्लिमों से संबंधित मुद्दों पर बोलने से इनकार कर दिया था.
इकबाल के पिता ‘आप’ विधायक शोएब इकबाल कांग्रेस के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद 2020 में पार्टी में शामिल हुए थे. उनतीस वर्षीय इकबाल तीन बार के पार्षद हैं. वे सिटी सदर पहाड़गंज जोन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
उनके पिता शोएब इकबाल ने कहा कि इकबाल का चयन उनकी प्रतिभा और अनुभव को पार्टी से मिली मान्यता है. उन्होंने बताया, ‘वह इस साल एमसीडी में सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीते और तीन बार के पार्षद भी हैं. इस बार कई उम्मीदवार पहली बार पार्षद चुने गए हैं. इकबाल के पास अधिक अनुभव है और वह एक प्रतिभाशाली युवा हैं. केजरीवाल जी जो भी करते हैं बहुत सोच समझ कर करते हैं. यह सच है कि पार्टी ने इस बार कुछ मुस्लिम वोट गंवाए, लेकिन यह कुछ विधायकों के असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण भी हो सकता है. हालांकि, हमने शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में सभी सीटों पर जीत हासिल की है.’ एमसीडी चुनाव में इकबाल ने बीजेपी के उम्मीदवार को 17,000 से ज्यादा वोटों से हराया था.
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‘आप’ के कदम में राजनीतिक संदेश
हालांकि AAP ने चांद महल, जामा मस्जिद और बल्लीमारान समेत कई वार्डों में पर्याप्त मुस्लिम वोट आधार के साथ जीत हासिल की. लेकिन दंगा प्रभावित क्षेत्रों और दक्षिण-पूर्वी इलाकों में अल्पसंख्यक समुदाय ने कांग्रेस को प्राथमिकता दी. आप को इस बार छह मुस्लिम पार्षद मिले हैं. इनमें से इकबाल सहित दो पार्षद कांग्रेस से पाला बदलकर ‘आप’ में शामिल हुए थे.
राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई ने कहा कि ‘आप’ तेजी से अल्पसंख्यकों के लिए उसी तरह की राजनीति कर रही है, जैसी कभी कांग्रेस किया करती थी.
उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों के साथ गहराई से जुड़ने की बजाय, कांग्रेस भी प्रतीकात्मकता या फिर दिखावा करने में जुटी रहती थी. मसलन, किसी मुस्लिम उम्मीदवार को राज्यपाल बनाना या उन्हें कोई और पद देना, लेकिन जब असली हितधारक आए तो कांग्रेस हार गई. ‘आप’ को उस वक्त करारा झटका लगा जब उसके कुछ वोटर कांग्रेस में चले गए.
किदवई के मुताबिक, मुस्लिम उम्मीदवार को चयन खोई जमीन वापस पाने का एक कमजोर प्रयास है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन क्या यह मदद करेगा? मुझे ऐसा नहीं लगता. आने वाले लोकसभा 2024 के चुनाव में मुस्लिम यह देखने जा रहे हैं कि क्या कांग्रेस में भाजपा या आप को हराने की बेहतर क्षमता है और फिर वे (उसके अनुसार) मतदान करेंगे.’
उन्होंने बताया, ‘लेकिन दिल्ली में डिप्टी मेयर उम्मीदवार चुनने के भी कुछ निहितार्थ हो सकते हैं … यह सोची-समझी रणनीति है. सोचिए अगर, अगर इकबाल को डिप्टी मेयर उम्मीदवार के रूप में चुन लिया जाता है, तो संभावना है कि यह यूपी, बिहार और कर्नाटक आदि अन्य राज्यों को एक संदेश भेजेगा, जहां आप अपनी नींव रख रही है. हमने एमसीडी चुनावों में देखा है कि दंगा प्रभावित इलाकों के मुसलमानों ने आप को वोट नहीं दिया. लेकिन जो इलाके दंगों से प्रभावित नहीं थे, वहां उन्होंने आप को वोट दिया. इसलिए यह दिल्ली के बाहर भी आप के लिए मददगार हो सकता है.’
दिल्ली के अगले मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव 6 जनवरी 2023 को होगा.
7 दिसंबर को, AAP ने 134 सीटों के साथ MCD चुनाव जीता था. राजधानी के नगर निगम पर पिछले 15 सालों से राज कर रही भाजपा के हाथ से सत्ता छिन गई. 250 सीटों के लिए लड़े गए इस चुनाव में भाजपा ने 104 सीटें जीतीं थीं और कांग्रेस सिर्फ नौ सीटों पर सिमट कर रह गई.
(अनुवादः संघप्रिया मौर्या | संपादनः ऋषभ राज)
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