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Friday, 26 April, 2024
होमदेशलॉकडाउन: 'बिना खाना-पानी' के ट्रेन में 11 घंटे- लुधियाना से बरेली लौटे मजदूर

लॉकडाउन: ‘बिना खाना-पानी’ के ट्रेन में 11 घंटे- लुधियाना से बरेली लौटे मजदूर

प्रवासी श्रमिकों से टिकट का पैसा नहीं लिया गया लेकिन पंजाब सरकार ने उन्हें खुद भोजन और पानी की व्यवस्था करने के लिए कहा. बरेली आने पर उन्हें भोजन के पैकेट और पानी की बोतलें दी गईं.

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बरेली: पंजाब से यूपी के बरेली रेलवे स्टेशन पर बुधवार को लगभग 1000 प्रवासी मज़दूरों को केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई स्पेशल श्रमिक ट्रेन से लाया गया. लेकिन 600 किलोमीटक की इस 11 घंटे से थोड़ा अधिक की यात्रा कर आने वाले मजूदरों के खाने-पीने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया था.

एक महिला अपने पैरों को सुस्ताते हुए कहती हैं, ‘पंजाब में रातभर पैदल चलकर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे. घर पास देखकर बस बैठ जाने को मन कर रहा है.’

हालांकि, उन्हें रेलवे ने टिकट मुफ्त दिया था – लेकिन केंद्र और राज्यों के हिस्सेदारी को लेकर यह मुद्दा राजनीतिक बना गया है.

इस दौरान दिप्रिंट ने यहां मौजूद मजदूरों और उनके परिवारों से बात की. वे लोग बताते हैं कि पंजाब सरकार ने उन्हें रेल की टिकट फ्री में दी है लेकिन उन्होंने उनकी यात्रा के लिए खाने और पीने का कोई इंतजाम नहीं किया पर उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके पहुंचने पर खाने के पूरे इंतजाम किए हुए थे.

रेलवे और रोडवेज के अधिकारियों व बरेली पुलिस ने मिलकर इन मज़दूरों के आगे बसों द्वारा जाने के इंतजाम भी कर रखे थे. कम से कम 43 बसें इन लोगों को उनके इलाकों में पहुंचाने का इंतजार कर रही थीं. अनिल नाम के एक कंडक्टर ने बताया कि जिन बसों में आम दिनों में 54 लोगों को बैठाया जा सकता है उन बसों में अब केवल 35 लोगों को ही ले जाया जा रहा है.

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इन मज़दूरों ने रेल की इस यात्रा के लिए पंजाब सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर कराया था. मंगलवार रात को जिला मजिस्ट्रेट लुधियाना द्वारा एक मैसेज के जरिए इस यात्रा के कन्फर्म होने की बात बताई गई थी.

इससे पहले पंजाब से लगभग 1,118 मज़दूरों को जालंधर से पंजाब की पहली श्रमिक एक्सप्रेस के जरिए झारखंड के दाल्तोगंज भेजा गया था.


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पंजाब सरकार ने खाना तो छोड़िए पानी तक नहीं दिया

‘जब से ट्रेन पकड़ी है तब से हमने कुछ नहीं खाया है. खाने को तो भूल ही जाओ पंजाब सरकार ने तो हमें पानी तक उपलब्ध नहीं कराया. उल्टा सरकार तो हमें मैसेज भेजती है कि अपना खाना और पानी दोनों का इंतजाम भी हमें खुद ही करना है. दुकानें भी खुली नहीं हैं. हम पूरे परिवार के लिए इतना इंतजाम कैसे करते?’

लुधियाना में गोलगप्पे की दुकान चलाने वाले नूनी राम बताते हैं कि अब हमें यहां से आंवलातहसील जाना है. राम अपनी पत्नी और दो साल के बच्चे के साथ आए थे. वो कहते हैं, ‘मैंने दो पॉपकॉर्न के पैकेट खरीदे थे ताकि ट्रेन की यात्रा में काम चल जाए. अब आंवला पहुंचकर भी हमें आगे का रास्ता देखना पड़ेगा क्योंकि हम हरदासपुर गांव में रहते हैं. अगर कुछ साधन नहीं मिलता है तो हम पैदल ही जाएंगे.’ वो कहते हैं कि आंवला से गांव की दूरी 18 किलोमीटर है.

एक मजदूर रेलवे की तरफ से भेजे गए मैसेज को दिखाता हुआ | दिप्रिंट

एक मज़दूर राज्य सरकार की एक बस में बैठकर जा रहा था. वो अपने फोन पर आए मैसेज दिप्रिंट को दिखाते हुए कहता है कि लुधियाना के जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से यात्रा की डिटेल्स भेजी गई थीं. इस मैसेज में बताया गया है कि ये यात्रा उनके मेडिकल स्क्रीनिंग पर डिपेंड करेगी और मज़दूरों को अपना खाना-पानी खुद ही लाना पड़ेगा. लगभग सभी मज़दूर अपने साथ एक मेडिकल क्लीयरेंस लेकर आए थे.

पेशे से टेलर, अनुज भी दिप्रिंट को शिकायत भरे लहजे में कहते हैं, ‘किसी भी प्रवासी मज़दूर को खाना-पानी नहीं दिया गया. हम ट्रेन की टाइमिंग को लेकर भी परेशान थे. ट्रेन का टाइम सुबह 3 बजे फिक्स था लेकिन ये 3-4 घंटे बाद चली. हमने पहले ही प्रशासन से कहा था कि ट्रेन का टाइम 6 बजे रख दें क्योंकि हमारे साथ परिवार भी हैं. लेकिन किसी ने नहीं सुनी. हम रातभर टेंशन की वजह से सो नहीं सके.’

सिरौली के एक और प्रवासी मज़दूर की पत्नी भी इस वजह से परेशान दिखीं. वे कहती हैं, ‘पानी खत्म हो गया था तो मेरे 6 महीने के बच्चे को बार-बार दूध पिलाना पड़ा क्योंकि वो बार बार रो रहा था.’

लुधियाना में एक मोटरसाइकिल फ़ैक्टरी में काम करने वाले वीर पाल सिंह बताते हैं कि वो इटावा जिले के अलीगंज कस्बे में जा रहे है. उनकी बेटी की शादी है और इसीलिए वो तकाजा करके घर आना चाहते थे. वो आगे कहते हैं, ‘मेरी बेटी की शादी 10 मई को तय है. अगर 5-7 लोगों को भी शामिल होने की इजाज़त मिलेगी तो उसकी शादी हो जाएगी.’

मजदूरों के जाने के बाद स्टेशन की सफाई | दिप्रिंट

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मजदूरों के जाने के बाद स्टेशन की सफाई की गई, पॉजिटिव लक्षण वाले किए किए गए क्वारंटाइन

जब स्टेशन से प्रवासी मज़दूरों अपने अपने घरों के लिए बसों में बैठकर जाने लगे तो स्टेशन पर सैनिटाइजेशन वर्कर्स का काम शुरू हो गया. वो प्लेटफॉर्म से लेकर आस पास के एरिया में किटाणुनाशकों का छिड़काव करना शुरू कर दिए. इन प्रवासी मज़दूरों की स्क्रीनिंग के लिए हेल्थ केयर स्टाफ की आठ टीमें बुलाई गई थीं. बरेली स्टेशन अधीक्षक सत्य वीर सिंह दिप्रिंट को और जानकारी देते हुए बताते हैं, ‘कल भी गुजरात से लगभग 1218 मज़दूरों को एक स्पेशल ट्रेन से लाया गया था. उनकी स्क्रीनिंग के लिए 6 टीमें बुलाई गई थीं. हम सोशल डिस्टैंसिंग के सारे नियमों का पालन करते हुए ट्रांसपोर्टेशन प्रॉसेस को फॉलो कर रहे हैं.’

हेल्थ केयर अधिकारी बताते हैं कि मंगलवार को 3 मज़दूरों को कोविड-19 के लक्षण दिखे थे. उन्हें तुरंत ही चेकअप के बाद एंबुलेंस के जरिए क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया है. बुधवार को भी 2 मज़दूरों में कोविड-19 जैसे लक्षण दिखे थे. उन्हें भी प्रशासन ने क्वारंटाइन कर दिया है.

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