मुंबई: पिछले हफ्ते मुंबई के अंधेरी इलाके में मानसिक रूप से कमजोर किशोर बेटी की देखभाल न कर पाने के कारण एक महिला ने निराशा में उसकी गला घोटकर हत्या कर दी. पुलिस के मुताबिक, किशोर लड़की बचपन में दिमाग में चोट लगने की वजह से मानसिक रूप से बीमार चल रही थी और परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी.
मां, श्रद्धा पट्याने को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है.
जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों में से एक ने दिप्रिंट को बताया, ‘बुधवार दोपहर को मुख्य नियंत्रण कक्ष से एक फोन आया और कहा गया कि एक 19 वर्षीय लड़की ने आत्महत्या कर ली है. जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो देखा कि लड़की अपने माता-पिता के साथ हॉल में कालीन पर पड़ी थी.’
यह भी पढ़ेंः ‘बूस्टर डोज कम लगना, पाबंदियां जल्द हटा देना’- मुंबई में कोविड मामलों में आई तेजी की क्या है वजह
‘वह बहुत निराश थी’
अपनी उम्र के चालीसवें दशक में चल रही लड़की की मां ने मौके पर पहुंची पुलिस को जानकारी दी कि उनकी सबसे बड़ी बेटी वैष्णवी ने आत्महत्या की है. शव को कूपर अस्पताल ले जाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की की गर्दन पर रस्सी के निशान फांसी लगाकर आत्महत्या करने जैसे नहीं थे.
डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि ‘मानसिक रूप से विक्षिप्त’ व्यक्ति के लिए इतना बड़ा कदम उठाना संभव नहीं है.
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘तभी हमने अपनी जांच शुरू की और मां से लंबी पूछताछ की. आखिरकार वह टूट गई और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. वह अपनी बेटी से बहुत परेशान थी. उसके दिमाग में विचार आने लगा था कि आखिर और कितने साल तक उसे उसकी देखभाल करनी पड़ेगी.’
पुलिस के मुताबिक, बेटी के प्रति मां के हिंसक होने का कोई पूर्व रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार के लिए उसकी देखभाल करना मुश्किल होता जा रहा था.
अंधेरी के सहार रोड इलाके में स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए) की इमारत में 225 वर्ग फुट के कमरे में श्रद्धा पट्याने अपने पति सुरेश और 17 साल व 2 साल की दो अन्य बेटियों के साथ रहती थीं. लड़की के पिता की 2015 में नौकरी चली गई थी. तब से वह बेरोजगार था. अभी पिछले महीने ही उसे 10,000 रुपये महीने की एक नई नौकरी मिली.
वैष्णवी के साथ उसकी मां ने पहले कभी मार-पीट या हिंसक व्यवहार नहीं किया था. पुलिस अधिकारी के अनुसार, चूंकि श्रद्धा के लिए बेटी की व्यक्तिगत साफ-सफाई और देखभाल करना असहनीय होता जा रहा था, इसलिए वह हताश हो गईं.
अधिकारी ने कहा, ‘उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी. पति के पास नौकरी नहीं थी. उसे सारा समय बेटी की देखभाल में बिताना पड़ता. उसके अलावा दो छोटी बेटियों की भी जिम्मेदारी उसके जिम्मे थी. यह सब उसे बेहद मुश्किल लगने लगा और वह काफी निराश हो गई.’
यह भी पढ़ेंः शिवसेना का साइनबोर्ड मुद्दा फिर सुर्खियों में, BMC ने कहा- दुकानदार मराठी में लगाएं बोर्ड और बड़ा-बड़ा लिखें
‘देखभाल करने वाली मां, लेकिन गुस्सा भी आ जाता था’
पड़ोसियों ने दावा किया कि श्रद्धा एक बहुत ही केअरिंग मदर थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह ‘काफी निराश और हाइपर’ नजर आ रही थी.
एक पड़ोसी ने कहा, ‘हमारे लिए यह एक हैरान करने वाली घटना है. श्रद्धा ने ऐसा क्यों किया जबकि वह तो अपनी बेटी की बड़े प्यार से देखभाल किया करती थी.’
पड़ोसियों और बिल्डिंग में रहने वाले लोगों ने बताया कि श्रद्धा वैष्णवी से बेहद प्यार करती थी. अगर घर के बाकी लोग उसके खिलाफ कुछ भी बोलते तो वह उनसे नाराज हो जाती. यहां तक कि वह अपनी छोटी बेटी को भी उसे कुछ नहीं कहने देती थी.
पीड़िता की विकलांगता के बारे में बात करते हुए एक पड़ोसी भावना मायावंशी ने बताया ‘वैष्णवी 8 या 9 महीने की उम्र में छत से गिर गई थी और उसी उसके दिमाग पर असर पड़ा. वह मानसिक रूप से विकलांग हो गई. तभी से श्रद्धा उसकी देखभाल करती आ रही थी.’
उन्होंने आगे बताया, ‘श्रद्धा को वैष्णवी के लिए सब कुछ करना पड़ता था. पिछले तीन साल से वैष्णवी को पीरियड्स हो रहे थे, उस दौरान श्रद्धा को ही उसका पूरा ख्याल रखना पड़ता. लेकिन वैष्णवी कुछ नहीं समझती और घर में शोर मचा देती थी.
पड़ोसियों के अनुसार, वैष्णवी को अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ थी. उसे नियमित चिकित्सा और जांच की जरूरत थी.
एक अन्य पड़ोसी ने कहा, ‘ काफी समय से पेट्याने की माली हालत ठीक नहीं चल रही थी. वे दोस्तों और परिवार से कर्ज लेकर अपना गुजारा कर रहे थे. लॉकडाउन के दौरान श्रद्धा ने कुछ महीनों तक नाश्ते का सामान बेचने की कोशिश भी की, लेकिन वैष्णवी की वजह से ज्यादा दिनों तक ऐसा नहीं कर पाई. और फिर उसने उस काम को छोड़ दिया.’
उन्होंने कहा, हालांकि श्रद्धा को कभी-कभार काफी तेज गुस्सा आ जाता था. लेकिन वह गुस्से और निराश में इतना बड़ा कदम उठा लेगी, ऐसा कभी नहीं सोचा था.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः ‘सिर्फ एक आध्यात्मिक यात्रा नहीं’: महाराष्ट्र बीजेपी के लिए मोदी के ‘वारकरी आउटरीच’ के क्या है मायने?