ईटानगर, 14 जुलाई (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को कहा कि केंद्र के ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) के तहत विकास के लिए भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित राज्य के 66 गांवों की पहचान की गई है।
खांडू ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि ये गांव सीमावर्ती राज्य के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में आते हैं। उन्होंने बताया कि 42 गांव चांगलांग जिले में, 13 लोंगडिंग में और 11 तिरप जिले में स्थित हैं।
इस पहल को ‘अंतिम छोर तक विकास’ बताते हुए खांडू ने लिखा कि सड़क, दूरसंचार, बिजली, आजीविका और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, चयनित गांवों में लोंगडिंग का वक्का गांव सबसे अधिक जनसंख्या वाला है, जहां 2,000 से अधिक लोग रहते हैं। इसके बाद चांगलांग का गांधीग्राम 1,754 लोगों के साथ दूसरे और लोंगडिंग का खानू 1,629 लोगों के साथ तीसरे स्थान पर है।
सबसे कम जनसंख्या वाले गांवों में ओल्ड पोटुक (41), गहेरीग्राम (57) और लुंगतुंग (71) शामिल हैं और ये तीनों चांगलांग जिले में स्थित हैं।
तिरप जिले में चिह्नित किए गए गांवों में ओल्ड बंटिंग, सानलियाम, राहो, लाज़ू, नोग्लो, ऊपरी चिन्हान, निचला चिन्हान, टुटन्यु, लोनयेन, न्यू कोथुंग और नोगना हैं।
लोंगडिंग जिले में वक्का, खानू, चोंगखौ, चोप, खोगला, कम्पोंग, जगन, खासा, कोन्नू, कोंसा, निचला पोंगचाऊ, पोंगचाऊ, पोंगचाऊ मुख्यालय और वोट्नू गांव हैं।
चांगलांग जिले के सात प्रखंडों में स्थित 42 गांवों की पहचान की गई है। ये प्रखंड खगम-मियाओ, कंतांग, खिमियांग, मनमाओ, नामपोंग, यटदम और विजयनगर हैं।
‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के पहले चरण में केंद्र ने 15 फरवरी, 2023 को भारत-भूटान और भारत-तिब्बत सीमा पर 455 गांवों को मंजूरी दी थी। इनमें से 135 गांव संपर्क से वंचित थे।
भाषा संतोष नरेश
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