scorecardresearch
Wednesday, 8 May, 2024
होमदेशवाराणसी में लग रही है पं. दीनदयाल उपाध्याय की सबसे ऊंची प्रतिमा, कहीं खुशी तो कहीं गम

वाराणसी में लग रही है पं. दीनदयाल उपाध्याय की सबसे ऊंची प्रतिमा, कहीं खुशी तो कहीं गम

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित की जा रही है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर तकरीबन 57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

Text Size:

वाराणसी : ‘सरकार इतना पैसा खर्च करके यहां पर प्रतिमा लगा रही है और पार्क बनवा रही है. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा. यह स्मारक स्थल कपल लोगों को अड्डा बन जाएगा, जैसा रविदास पार्क (वाराणसी के रविदास घाट स्थित पार्क) बन गया है. इससे सिर्फ अय्याशी बढ़ेगी. लोग पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के बारे में जानने के लिए कम और मजे करने के लिए ज्यादा आएंगे.’

यह कहना है पड़ाव चौराहे पर चिकन और मटन की दुकान पर काम करने वाले मोहम्मद गुड्डू का. गुड्डू बताते हैं कि इस एरिया में कोई भी शौचालय नहीं है. सरकार एक भी शौचालय नहीं बनवा रही है, लड़कियों के लिए कोई स्कूल नहीं है. कोई स्कूल नहीं बन रहा है. सरकार बनवा रही है तो प्रतिमा और पार्क. क्या फायदा ऐसी चीजों का, जिससे कुछ भला ना हो सके.’

वाराणसी का पड़ाव चौराहा । फोटो साभार : रिजवाना तबस्सुम

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार जनसंघ के संस्थापक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियों को संभाल कर रखने के लिए वाराणसी और चंदौली के बॉर्डर पर स्थित पड़ाव इलाके में गन्ना शोध संस्थान परिसर में पंडित दीनदयाल संग्रहालय और उद्यान केंद्र बनवा रही है. यहां पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित की जा रही है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर तकरीबन 57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

इसके साथ ही पड़ाव चौराहे का सुंदरीकरण और मालवीय पुल पर दीनदयाल के नाम से प्रवेश द्वार भी बनाए जाएंगे. इसके अलावा 20 करोड़ रुपये से चौराहे से 200 मीटर तक सड़क निर्माण, बैरिकेडिंग, पार्किंग, लाइट सहित संग्रहालय को जोड़ने वाली सभी सड़कों को सुंदर बनाया जाएगा.

गन्ना शोध संस्थान की जमीन पर तालाब, ऑडिटोरियम और संग्रहालय आदि का निर्माण कार्य चल रहा है. दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति को वहां पर स्थापित करने का काम भी काफी तेजी से चल रहा है, लेकिन अभी इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में अड़चनें भी आ रही हैं. ऑडिटोरियम और बाकी की चीजें बननी हैं. बताया जा रहा है कि 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों किया जाना है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जयपुर में बनी है पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सबसे ऊंची प्रतिमा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पांच धातुओं से बनी 63 फीट ऊंची प्रतिमा करीब 6.50 करोड़ रुपये में जयपुर में तैयार हुई है. प्रतिमा को कई टुकड़ों में 22 फीट चौड़े ट्रेलर पर लादकर इसी महीने जयपुर से वाराणसी लाया गया है. जिसे जयपुर से कानपुर, इलाहाबाद, मोहनसराय होते हुए पड़ाव तक लाया गया है. प्रतिमा लाने के दौरान कंपनी की टीम साथ रही.

जनसंघ के संस्थापक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की निर्माणाधीन प्रतिमा | फोटो साभार : रिजवाना तबस्सुम

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट ऊंची प्रतिमा को टेंगरा मोड़ से पड़ाव गन्ना शोध संस्थान तक नौ किमी की दूरी तय करने में पांच दिन लगे. प्रतिमा पहुंचाने के लिए कई स्थानों पर वाहनों को रोककर रूट डायवर्जन करना पड़ा, जगह-जगह सड़क बनाने और बाधाएं दूर करने के लिए तीन जेसीबी समेत कई मजदूर साथ चल रहे थे. इतना ही नहीं, कई जगह पर बिजली के तारों को हटाया गया.


यह भी पढ़ें : दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिन कैसे भाजपा शासन में बन गया महत्वपूर्ण दिन


गौरतलब है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी, 1968 को उनकी रहस्यमय मौत के बाद मुगलसराय रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म एक के पश्चिमी छोर पर पाया गया था. उनके जन्म शताब्दी वर्ष के तहत केंद्र और राज्य में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकारों ने मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलने के साथ इसके निर्माण की परियोजना को मंजूरी दी है.

दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा लगने से कहीं खुशी कहीं गम

पड़ाव क्षेत्र में प्रतिमा लगने से कुछ लोग खुश हैं, तो कुछ लोग काफी नाराज़ दिखे. चौराहे पर गुमटी में पान की दुकान लगाने वाले संदीप चौरसिया का कहना है कि पार्क बन जाएगा तो थोड़ा आराम रहेगा. यहां पर आराम करने और घूमने के लिए कोई जगह नहीं है. लेकिन जब पार्क बन जाएगा तो वहां पर जाकर थोड़ा घूम सकते हैं.

यहां पर एक सरकारी कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि, ‘इतनी बड़ी जमीन है, जिसको केवल पार्क और मूर्ति में लगा दिया जा रहा है. इसमें कई करोड़ रुपए भी खर्च हो रहे हैं, अगर इसी पैसे का यहां पर हॉस्पिटल बन जाता तो यहां के लोगों को कितना आराम होता. नहीं तो कोई ऐसी चीज बनती जिससे लोगों को नौकरी मिलता.’

यहां पर सड़क के किनारे शादी के कार्ड और फोटो एलबम की दुकान लगाने वाले मोहम्मद जफ़ी बताते हैं कि, ‘यहां आस-पास में लड़कियों के लिए कोई स्कूल नहीं है और ना ही यहां पर कोई अच्छा हॉस्पिटल है. सरकार को चाहिए कि कुछ ऐसी चीज बनवाए जो इंसानियत के काम आए जिससे आम लोगों को फायदा हो. पार्क बनने से किसको क्या फायदा होगा.’

इसके बारे में वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राहुल पाण्डेय के पीए संदीप मिश्रा का कहना है कि बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा देखने के लिए क्या है. जब कोई वाराणसी में आयेगा या जो सैलानी आते हैं तो उन्हें घूमने के लिए कुछ खास… तो यह एक तरह से मेमोरियल होगा, जो टूरिस्ट को आकर्षित करेगा.


यह भी पढ़ें : जनसंघ का वो नेता जिसकी थ्योरी बदल मोदी बन गए नंबर वन


आगे बोलते हुए संदीप मिश्रा कहते हैं कि, ‘जब आपके पास ऐसी चीजें होती हैं, तो हम अपने शहर के बारे में लोगों को बता पाते हैं. लोगों से कह सकते हैं कि हमारे शहर में ये भी चीज है जिसमें आप जा सकते हैं.’

स्कूल और अस्पताल के बारे में बोलते हुए संदीप मिश्रा कहते हैं कि, ‘स्कूल की अपनी उपयोगिता है, अस्पताल की अपनी उपयोगिता है और किसी स्मारक स्थल की अपनी उपयोगिता है..उनका कहना है कि जिस तरह का ये जगह (पड़ाव) है उस स्तर का यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. अब सरकार हर जगह पर बीएचयू जैसी हॉस्पिटल और एम्स तो नहीं बनवा सकती ना.’

(रिजवाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

share & View comments