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Monday, 18 November, 2024
होमदेशपार्टी को उपचुनाव में 24 सीटें जिताने के लिए सिंधिया विरोधी समेत 62 बीजेपी नेता एमपी में करेंगे प्रचार

पार्टी को उपचुनाव में 24 सीटें जिताने के लिए सिंधिया विरोधी समेत 62 बीजेपी नेता एमपी में करेंगे प्रचार

इनमें से कई नेता ज्योरादित्य सिंधिया के आलोचक हैं, जो कांग्रेस लीडर के बीजेपी में आने से नाराज़ चल रहे थे.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उप-चुनाव शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी सरकार के लिए बहुत अहम हैं और इनमें सफलता हासिल करने के लिए पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. इनमें तीन स्तर की निगरानी होगी और स्थानीय स्तर पर तैयारियों को देखने के लिए नेताओं की एक पूरी फ़ौज को उतारा जाएगा.

पार्टी ने अपनी चुनाव प्रबंधन समिति में 22 नेताओं को रखा है. जिनमें चार केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ पदाधिकारी, सांसद, और यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्व विरोधी और आलोचक भी शामिल हैं.

चुनाव प्रबंधन समिति के अलावा, बीजेपी ने चौहान के भरोसेमंद और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह की अगुवाई में एक दूसरी 16 सदस्यीय चुनाव संसाधन समिति का भी ऐलान किया है और साथ ही 24 सीनियर नेताओं को 24 चुनाव क्षेत्रों का इंचार्ज बनाया गया है.

लिस्ट में बड़े नाम

चुनाव प्रबंधन समिति में चार मौजूदा केंद्रीय मंत्री हैं. नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, थावर चंद गहलोत और फग्गन सिंह कुलस्ते, जो सब मध्यप्रदेश से हैं. समिति में दूसरे बड़े नाम हैं- ख़ुद सीएम चौहान, सिंधिया, प्रदेश बीजेपी प्रमुख वीडी शर्मा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और सांसद राकेश सिंह.

लेकिन पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, बीजेपी उपाध्यक्ष व मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जेतिया के नाम लिस्ट में नहीं हैं.

एक सीनियर एमपी बीजेपी ने इन अनुभवी नेताओं की ग़ैर-मौजूदगी के महत्व को कम करते हुए कहा, ‘केवल उन्हीं नेताओं को शामिल किया गया है, जो सक्रिय हैं और जिनकी मौजूदगी की ग्वालियर-चम्बल इलाक़े में ज़रूरत है. 24 उपचुनावों के लिए, हम पूरे नेतृत्व को शामिल नहीं कर सकते.’

उनकी जगह, सिंधिया के जाने पहचाने आलोचक जैसे दीपक जोशी, प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया, अनूप मिश्रा और माया सिंह, कुछ चौंकाने वाले नाम हैं. चूंकि वो पूर्व कांग्रेस नेता के अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ बीजेपी में आने को लेकर नाराज़ थे, जिन्होंने कांग्रेस और विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इनमें से अधिकतर नेताओं की ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में अच्छी पकड़ है, जो सिंधिया का गढ़ है और जहां 16 सीटों पर उप-चुनाव होने हैं.

सिंधिया आलोचक

मध्यप्रदेश के पहले सीएम बीजेपी कैलाश जोशी के बेटे जोशी ने पिछले हफ्ते पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद कर दिया था, ये कहते हुए कि यदि बीजेपी उनके योगदान का सम्मान नहीं करती, तो उनके विकल्प खुले हैं. दीपक जोशी, बतौर सीएम चौहान की पिछली सरकार में मंत्री रह चुके हैं और 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के मनोज तिवारी के हाथों परास्त हो गए थे, जो मार्च में सिंधिया के साथ बीजेपी में आ गए.

सूत्रों का कहना है कि जोशी को 22 सदस्यीय समिति में इसलिए रखा गया है, ताकि उनके चुनाव क्षेत्र हतपिपलिया में तोड़-फोड़ न हो.

इस बीच पवैया, सिंधिया के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने 2014 में सिंधिया के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था, और 1998 में उनके पिता, माधव राव सिंधिया के खिलाफ़ भी खड़े हुए थे. पवैया भी सिंधिया के बीजेपी में आने के आलोचक रहे हैं और उन्होंने कथित तौर पर पार्टी नेतृत्व से कह दिया था कि वो सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के लिए, प्रचार नहीं करेंगे. लेकिन अब, चूंकि वो बीजेपी की चुनाव प्रबंधन समिति का हिस्सा है. इसलिए उनकी नई ज़िम्मेदारी ग्वालियर क्षेत्र में, पार्टी की जीत सुनिश्चित कराना है.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा की भी सिंधिया से अनबन ही रही है. कांग्रेस सदस्यों के पाला बदलने से दो महीने पहले, झा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से अनुरोध किया था कि एक ट्रस्ट के नाम से शिवपुरी में सरकारी ज़मीन पर, कथित तौर क़ब्ज़ा करने के लिए सिंधिया के खिलाफ कार्रवाई की जाए. झा को ये कहते भी सुना गया था कि सिंधिया के 2019 चुनाव हारने की उनकी भविष्यवाणी सच हो गई थी और कांग्रेस उन्हें राज्य सभा का टिकट नहीं देगी. उसकी जगह अब बीजेपी ने अब सिंधिया को राज्य सभा का टिकट दे दिया है.


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स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे अनूप मिश्रा का नाम भी इस समिति में शामिल है, जबकि पिछले साल उन्हें मुरैना से लोक सभा टिकट नहीं दिया गया था. उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि अब उनका फोकस, बीजेपी की जीत सुनिश्चित कराना है.

मिश्रा ने कहा, ‘हमें उप-चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करनी है. चुनावों में हर किसी की महत्वाकांक्षाएं होती हैं. लेकिन एक बार पार्टी तय कर ले, तो फिर हर कोई उस लक्ष्य के लिए लड़ता है. व्यक्तिगत नाराज़गी का सवाल ही नहीं होता. हम सब पार्टी के लिए काम करते हैं.’

पूर्व मध्यप्रदेश मंत्री और सिंधिया की कटु आलोचक, माया सिंह का नाम भी लिस्ट में है, जबकि उनका ताल्लुक़ उसी ग्वालियर राजघराने से है. पिछले विधान सभा में उन्हें टिकट नहीं दिया गया था, और उससे पहले, सिंधिया ने उनके खिलाफ प्रचार किया था.

शांति बनाए रखने के लिए नरोत्तम मिश्रा की नियुक्ति

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, जो कभी सीएम पद के दावेदार थे. अब सीएम चौहान के संकटमोचक के रूप में उभरे हैं. बीजेपी द्वारा कमलनाथ सरकार को गिराकर अपनी सरकार बनाने में उनका एक प्रमुख रोल रहा था और अब उन्हें इन असंतुष्ट नेताओं को मनाने का काम दिया गया है, ताकि अंदरूनी तोड़-फोड़ का ख़तरा न रहे.

रविवार को मिश्रा ने उन्हें मनाने, और बीजेपी की जीत सुनिश्चित कराने में, उन्हें साथ लेकर चलने के लिए, सिंधिया विरोधी पवैया और माया सिंह से मुलाक़ात की. उन्होंने अनूप मिश्रा और एक अन्य पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा से भी मुलाक़ात की.

मिक्षा के अलावा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय और उनके विश्वासपात्र क़रीबी व इंदौर विधायक रमेश मेण्डोला को भी शांति बनाए रखने का ज़िम्मा दिया गया है. ख़ासकर इसलिए कि कमलनाथ ज़ाहिरी तौर पर कई असंतुष्ट बीजेपी नेताओं से पाला बदलने और कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. हाल ही में, पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला और प्रेम चंद गुड्डू भी, कांग्रेस में शामिल हुए थे.

लेकिन, नरेला से बीजेपी विधायक और अशोक नगर चुनाव क्षेत्र के बीजेपी इंचार्ज विश्वास सारंग ने दिप्रिंद को बताया कि बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की शिकायतों को दूर कर दिया गया है.

सारंग ने कहा, ‘कांग्रेस दिन में तोड़-फोड़ का सपना देख रही है, लेकिन हमारी पार्टी में हर कोई जानता है कि हमारी पहली प्राथमिकता बीजेपी सरकार बनाने की थी, जो कर ली गई है. अगर किसी की कोई महत्वाकांक्षाएं हैं तो वो तभी पूरी हो सकती हैं, जब सरकार स्थिर हो. इसलिए शिकायतों या नाराज़गी का कोई सवाल ही नहीं उठता.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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