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Friday, 25 July, 2025
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5 साल, 33 विदेश यात्राएं: 2021 से 2025 के बीच मोदी की विदेश यात्राओं पर हुई 362 करोड़ खर्च

राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल पीएम मोदी की फ्रांस और अमेरिका यात्रा पर सबसे ज्यादा खर्च हुआ.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2021 से 2025 के बीच की विदेश यात्राओं पर सरकार का कुल खर्च 362 करोड़ रुपये आया है. यह जानकारी गुरुवार को राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने दी. इसमें प्रधानमंत्री की मौजूदा ब्रिटेन और मालदीव यात्रा का खर्च और कुछ अधूरे बिल शामिल नहीं हैं.

मोदी ने इस अवधि में कुल 33 बार विदेश यात्राएं कीं. 362 करोड़ रुपये का यह आंकड़ा इस महीने की शुरुआत में हुई पांच देशों की यात्रा तक के खर्च को दिखाता है. हालांकि, 2025 में हुई तीन यात्राओं — कनाडा (G7 समिट), ब्राज़ील (BRICS समिट) और मॉरीशस — के बिल अभी पूरी तरह से नहीं जुड़े हैं, इसलिए उनका हिसाब इसमें शामिल नहीं हैं.

2025 की बाकी तीन यात्राओं में फरवरी में फ्रांस और अमेरिका की यात्रा, अप्रैल में थाईलैंड और श्रीलंका का दौरा और अप्रैल के अंत में सऊदी अरब की यात्रा शामिल हैं. इन तीन यात्राओं पर कुल खर्च 67 करोड़ रुपये हुआ.

इनमें से सबसे महंगी यात्रा फरवरी में फ्रांस और अमेरिका की रही. 10 से 12 फरवरी तक चली फ्रांस यात्रा पर सरकार का खर्च 25.59 करोड़ रुपये आया. वहां मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की. 13 फरवरी को उन्होंने अमेरिका की एक दिन की यात्रा की, जिसका खर्च 16.54 करोड़ रुपये रहा.

इस साल फ्रांस में पीएम मोदी के कम से कम 9 कार्यक्रम हुए, जिनमें मार्सिले में नए भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन और मजारग युद्ध स्मारक की यात्रा शामिल है. उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी द्विपक्षीय बातचीत की.

अमेरिका में मोदी की मुलाकात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई, जिसके बाद डिनर हुआ. उन्होंने टेस्ला के सीईओ एलन मस्क सहित कई अमेरिकी हस्तियों और अधिकारियों से भी मुलाकात की.

मोदी 2021, 2023, 2024 और 2025 में अमेरिका गए, जिन यात्राओं पर कुल मिलाकर 74.41 करोड़ रुपये खर्च हुए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2025 की यात्राओं में थाईलैंड और श्रीलंका का दौरा थोड़ा ज्यादा लगभग 9 करोड़ रुपये का रहा. दूसरी ओर, सिर्फ सऊदी अरब यात्रा पर सरकार ने 15.54 करोड़ रुपये खर्च किए. हालांकि, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के चलते मोदी को सऊदी अरब के जेद्दा शहर की यह यात्रा बीच में ही छोड़कर भारत लौटना पड़ा. यह यात्रा दो दिन की तय थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी.

2024 में प्रधानमंत्री ने कुल 11 विदेश यात्राएं कीं, जिनमें 17 देशों का दौरा शामिल था. इन यात्राओं पर कुल 109.5 करोड़ रुपये खर्च हुए. 21 सितंबर 2024 से शुरू हुई अमेरिका की तीन दिन की यात्रा सबसे महंगी रही, जिस पर 15.3 करोड़ रुपये खर्च हुए.

2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की पहली विदेश यात्रा इटली में G7 समिट के लिए हुई थी, जिस पर 14.36 करोड़ रुपये खर्च हुए.

कुल मिलाकर, 2024 प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के खर्च के लिहाज़ से दूसरा सबसे महंगा साल रहा, पहले नंबर पर 2025 रहा.

2023 में प्रधानमंत्री ने छह बार विदेश यात्रा की और 11 देशों का दौरा किया. इन यात्राओं पर कुल खर्च 93.6 करोड़ रुपये हुआ. इस साल मोदी जापान, अमेरिका और फ्रांस गए, जहां उन्होंने क्रमशः 17.1 करोड़, 22.8 करोड़ और 13.74 करोड़ रुपये खर्च किए.

2021 और 2022 में प्रधानमंत्री ने कुल 14 देशों की 10 विदेश यात्राएं कीं. इन दो वर्षों में केंद्र सरकार ने कुल मिलाकर 90 करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च किए.

कोविड-19 महामारी के बाद 2021 में पीएम मोदी ने बांग्लादेश, अमेरिका, इटली और ब्रिटेन की तीन विदेश यात्राएं कीं.

2022 में प्रधानमंत्री ने सात विदेश यात्राओं के जरिए 10 देशों का दौरा किया, जिनमें जर्मनी, डेनमार्क, फ्रांस, नेपाल, यूएई और इंडोनेशिया शामिल थे.

हर साल होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, जैसे कि 2021 में इटली में हुआ G20 समिट, 2022 में इंडोनेशिया में और 2024 में ब्राज़ील में हुए G20 समिट के चलते भी इन यात्राओं की संख्या बढ़ी. इन अवसरों पर प्रधानमंत्री आमतौर पर कोशिश करते हैं कि किसी एक-दो और देशों का दौरा भी किया जा सके.

प्रधानमंत्री हर साल होने वाले ईस्ट एशियन समिट और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) की बैठकों में भी हिस्सा लेते हैं. हालांकि, 2022 में यह प्रतिनिधित्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था, क्योंकि उस साल ये सम्मेलन कंबोडिया में हुए थे.

2023 और 2024 में प्रधानमंत्री क्रमशः इंडोनेशिया और लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (लाओ पीडीआर) गए.

2022 में प्रधानमंत्री ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान की यात्रा की थी. 2024 में वह इसमें शामिल नहीं हुए, जबकि 2023 में भारत ने इस सम्मेलन की मेज़बानी वर्चुअल फॉर्मेट में की थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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