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Friday, 19 April, 2024
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4 गुना श्रम, देर तक काम और बैठकें- क्यों 2023 से पहले पूरा होगा मुंबई का ट्रांस-हार्बर लिंक

कोविड लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित सेवरी-न्हावा शेवा मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का निर्माण कार्य एमएमआरडीए के ‘एक्सीलेरेशन प्लान’ के साथ तेजी से गति पकड़ चुका है.

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मुंबई: मुंबई में एक स्काईलाइन के पूर्वी तरफ के एक हिस्से में पिछले कुछ माह में जबर्दस्त बदलाव नजर आ रहा है, शहर के बंदरगाह में बनने वाले देश के सबसे लंबे समुद्री पुल के लिए लगे कंक्रीट, खंभों आदि के ढेर और अन्य निर्माण सामग्री को देखकर लगता है कि निर्माण पूरी तेजी से चल रहा है.

महामारी के कारण गंभीर तौर पर प्रभावित 22 किलोमीटर लंबा सेवरी-न्हावा शेवा मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) सितंबर 2023 की तय समयसीमा के भीतर पूरा हो सकता है और इसका श्रेय परियोजना को लागू करने वाली महाराष्ट्र सरकार की एजेंसी मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के पिछले साल के एक ‘एक्सीलेरेशन प्लान’ को जाता है.

एमएमआरडीए आयुक्त एस.वी.आर. श्रीनिवास ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस योजना में कई शिफ्ट में काम, कई मोर्चों पर एक साथ काम, रणनीतिक योजना और उन पर अमल, लगातार निरंतर निगरानी और फील्ड विजिट शामिल हैं.’

‘एक्सीलेरेशन प्लान’ के कारण परियोजना का एक बड़ा हिस्सा अब पूरा हो गया है. इसलिए, ऐसे आसार लग रहे हैं कि यह काम सितंबर 2023 की तय समयसीमा में पूरा हो जाएगा जो कि एक साल पहले कोविड लॉकडाउन के कारण निर्माण कार्य बुरी तरह बाधित होने की वजह से दूर की कौड़ी नजर आ रहा था. यह बात दिप्रिंट को मिली एमएमआरडीए की ताजा त्रैमासिक रिपोर्ट से सामने आई है जो वित्त पोषण करने वाली कंपनी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) को भेजी गई है.

श्रीनिवास ने कहा, ‘हमने पिछले साल जुलाई के आसपास एक्सीलेरेशन प्लान लागू किया था, और अब हम सितंबर या ज्यादा से ज्यादा अक्टूबर 2023 तक एमटीएचएल के पूरा होने की उम्मीद कर सकते हैं. एक्सीलेरेशन प्लान के बिना यह परियोजना शायद 2025 तक भी खिंच जाती.’

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एमटीएचएल—जिसमें दक्षिण मुंबई स्थित सेवरी को समुद्री के ऊपर रास्ते से न्हावा शेवा से जोड़ा जाना है—निर्माणाधीन नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी होगा. इसके जरिये द्वीपी शहर और महाराष्ट्र के मुख्य हिस्से के बीच संपर्क बढ़ने के कारण नवी मुंबई में आवासीय और वाणिज्यिक विकास को भी गति मिलने की उम्मीद है.

इस परियोजना पर निर्माण कार्य 2018 में शुरू हुआ था. एमएमआरडीए मूल रूप से इसे 2022 तक पूरा करने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन कोविड लॉकडाउन और प्रवासी मजदूरों के अपने राज्यों में लौट जाने के कारण काम धीमा हो गया था.


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चार गुना श्रमिक, अधिक शिफ्ट, 40 से ज्यादा उच्च स्तरीय बैठकें

एमएमआरडीए के ‘कैच अप प्लान’ या ‘एक्सीलेरेशन प्लान’ के तहत श्रमिक तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं जो कि पहले दो शिफ्ट में काम करते थे. इसके साथ ही परियोजना के तहत क्रमिक तौर पर निर्माण कार्य के बजाये एक साथ कई मोर्चों पर काम करना शुरू किया गया है.

श्रीनिवास ने बताया कि एमटीएचएल निर्माण स्थलों पर मजदूरों की दैनिक औसत संख्या पहले की तुलना में बढ़ाकर चार गुना से अधिक कर दी गई है, जबकि निर्माण में लगने वाले मानव श्रम घंटों की संख्या भी बढ़ाई गई है.

उन्होंने आगे कहा, ‘जुलाई से लेकर अब तक मेरे स्तर पर 40 समीक्षा बैठकों के अलावा इंजीनियर-लेवल की बैठकें और कम से कम 20 साइट विजिट हुई है.’

एमटीएचएल का निर्माण तीन पैकेजों में चल रहा है. पहले पैकेज में पुल का करीब 50 फीसदी हिस्सा शामिल है, जिसमें सेवरी में इंटरचेंज सहित बंदरगाह के पार 10.38 किलोमीटर पुल का निर्माण शामिल है. दूसरे पैकेज में 7.8 किमी पुल का निर्माण किया जाना है, जबकि तीसरे पैकेज में नवी मुंबई में इंटरचेंज सहित शेष 3.6 किमी पुल का निर्माण शामिल है.

जेआईसीए को भेजी गई एमएमआरडीए की त्रैमासिक रिपोर्ट के मुताबिक, एमटीएचएल के पहले पैकेज पर 31 मार्च 2022 तक कुल मिलाकर 4.4 करोड़ मानव घंटे दर्ज किए गए हैं. इसमें से 31 प्रतिशत कार्य मार्च 2022 तक केवल नौ महीनों में किया गया है.

इसी तरह, परियोजना का निर्माण शुरू होने के बाद से कुल दैनिक औसत जनशक्ति 3,142 रही है. पहले पैकेज के लिए मार्च तक तीन महीनों के लिए यह संख्या बढ़कर 13,848 हो गई.

दूसरे पैकेज में, परियोजना की शुरुआत के बाद से दर्ज कुल श्रम घंटे 2.2 करोड़ रहे हैं. इनमें 36 फीसदी इस साल 31 मार्च तक नौ महीने के दौरान दर्ज किए गए. जनवरी से मार्च तिमाही के लिए दूसरे पैकेज के लिए दैनिक औसत जनशक्ति 2,295 के कुल औसत के मुकाबले 10,806 रही है.

तीसरे पैकेज के लिए भी, परियोजना की शुरुआत के बाद से कुल श्रम घंटे 52 लाख से अधिक हो गए हैं, जिनमें 40 प्रतिशत 31 मार्च, 2022 को पिछले नौ महीनों के दौरान दर्ज किए गए. तीसरे पैकेज के लिए दैनिक औसत जनशक्ति भी बढ़कर 2,206 तक पहुंच गई जो जनवरी से मार्च तिमाही में 468 थी.


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तेजी से हो रहा निर्माण

निर्माण स्थल पर श्रम बल बढ़ने का एक मतलब यह भी है कि ठेकेदार सिविल कार्य से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों को गति दे सकते हैं.

किसी भी पुल के निर्माण में, जमीन के नीचे ढेर के ऊपर ढेर लगाने को उसकी नींव कहा जाता है. एमएमआरडीए ने पहले दो पैकेजों में लगभग पूरी पाइलिंग कर ली है, जिसके तहत पहले पैकेज में 80 प्रतिशत पाइल कैप और दूसरे पैकेज में 93 प्रतिशत पाइल कैप शामिल हैं. तीसरे पैकेज के लिए 66 फीसदी पाइलिंग और पाइल कैप लगाने का काम पूरा हो गया है.

नींव के बाद पीर और पीर कैप की बारी आती हैं, जिसके बाद ठेकेदार वायडक्ट (इस शब्द का इस्तेमाल ऊंचे पुलों के निर्माण में बने वाले मेहराब पीर या खंभों को खड़ा करने के लिए किया जाता है जो रेल या सड़कों के नेटवर्क को मजूबती देते हैं) के सेगमेंट खड़े करते हैं. पहले और सबसे लंबे पैकेज में लगभग 80 प्रतिशत पीर और पीर कैप लगाए जा चुके हैं. दूसरे पैकेज में 92 फीसदी पीर और लगभग 78 फीसदी पीर कैप लगाने का काम पूरा हो गया है. जबकि तीसरे पैकेज के लिए खड़े किए जा रहे पीर और पीर कैप का 90 फीसदी से अधिक हिस्सा पूरा हो चुका है.

श्रीनिवास के मुताबिक, अतिरिक्त जनशक्ति और अतिरिक्त शिफ्ट की वजह से तो निर्माण कार्य में तेजी आई ही, एमएमआरडीए की तरफ से सेगमेंट की कास्टिंग और लॉन्चिंग के संबंध में कुछ रणनीतिक निर्णय भी फायदेमंद साबित हुए हैं.

एमएमआरडीए आयुक्त ने कहा, ‘ठेकेदार कह रहे थे कि कास्टिंग यार्ड अपर्याप्त है, लेकिन ऐसा इसलिए था क्योंकि कास्टिंग के बाद भी सेगमेंट वहीं पड़े थे. हमने सेगमेंट की तेजी से लॉन्चिंग सुनिश्चित करके साइट पर तेजी से परिवहन की व्यवस्था की. हमने टर्नअराउंड समय को कम से कम 40 प्रतिशत घटा दिया.’

जेआईसीए को भेजी गई एमएमआरडीए की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के अंत तक पहले दो पैकेजों में 40 प्रतिशत से अधिक प्री-कास्ट सेगमेंट लॉन्च किए जा चुके हैं. तीसरे पैकेज में 60 फीसदी से ज्यादा सेगमेंट लॉन्च किए गए हैं.


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आगे की चुनौतियां

श्रीनिवास ने कहा कि जो काम बचा है, उनमें दो बड़ी चुनौतियां हैं. एक है ऑर्थोट्रोपिक स्टील डेक का शुभारंभ, जो जटिल तकनीक है और भारत में पहली बार इसका उपयोग किया जा रहा है.

ऑर्थोट्रोपिक डेक स्पैन (दो खंभों के बीच की दूरी) के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं जो सामान्य से छह गुना अधिक लंबे होते हैं. ये पूर्वनिर्मित डेक होते हैं जिनमें एक संरचनात्मक स्टील डेक प्लेट होती है जिसकी लंबाई-चौड़ाई इतनी ज्यादा होती है जिसमें उच्च भार सहन करने की पर्याप्त क्षमता होती है.

श्रीनिवास के मुताबिक, डेक लॉन्च करने के लिए एमएमआरडीए को ‘फुटबॉल के मैदान जितने आकार’ का एक नया बजरा बनाना था. प्राधिकरण ने दिसंबर में डेक लॉन्च करना शुरू किया, जो एमटीएचएल के पहले दो पैकेजों का हिस्सा है. और आने वाले कुछ महीनों में इस दिशा में कार्य और अधिक तेज होने की संभावना है.

अब तक कांट्रैक्टर पहले पैकेज में करीब आठ फीसदी और दूसरे पैकेज में छह फीसदी डेक लॉन्च कर चुके हैं.

दूसरी चुनौती पूर्वी फ्रीवे पर एमटीएचएल का निर्माण करना है, जो दक्षिण मुंबई को शहर के पूर्वी उपनगरों से जोड़ने वाली एक एलिवेटेड रोड है, जिसे 2013 में सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला गया था, और तब से यह एक प्रमुख संपर्क मार्ग बनी हुई है.

श्रीनिवास ने कहा, ‘इसके लिए हमें छह महीने का समय चाहिए होगा जिसमें ईस्टर्न फ्रीवे पर आवाजाही रात के समय बंद करनी होगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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