नई दिल्ली : 17 दिनों की तनावपूर्ण हालात के बाद, मंगलवार शाम को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग से 41 मजदूरों के सफल बचाव की खबर मिलने पर उनके परिजनों के चेहरे पर राहत और खुशी छा गई.
यह भावनात्मक क्षण संपूर्ण बचाव प्रयासों की परिणति के रूप में सामने आया, जिसने देश का ध्यान खींचा है.
लंबे समय तक हताशा झेलने वाले परिवारों ने बचाव का जश्न मनाया और अपने प्रियजनों को वापस लाने के लिए सरकार को तहे दिल से धन्यवाद दिया.
उन्होंने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर इस अवसर जश्न मनाया. परिवार के कुछ सदस्य श्रमिकों की कुशलक्षेम सुनिश्चित करने के लिए उनके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लगे रहे.
कई रिश्तेदार, जो घटना के कुछ दिन बाद घटनास्थल पर पहुंचे थे और तब से वहीं डेरा डाले हुए थे, आखिरकार अपने प्रियजनों से मिल गए.
दृश्यों में सामने आया कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के फंसे एक अन्य मजदूर मंजीत के आवास पर जश्न मनाया गया.
मंजीत के पिता ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि मेरे बेटे को सुरक्षित बचा लिया गया है. सुरंग के अंदर फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए मैं भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं.”
इसी तरह के दृश्य ओडिशा के नबरंगपुर में सामने आए, जहां भगवान बत्रा के परिवार के सदस्यों ने सुरंग से उनके सफल बचाव के बाद पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी मनाई.
ओडिशा मयूरभंज के बचाए गए श्रमिक धीरेन नाइक की मां ने सुरंग से श्रमिकों को बचाने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया,
एक अन्य श्रमिक राम प्रसाद नरज़ारी के परिवार के सदस्य बहुत खुश दिखे और उनकी पत्नी ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं… मैं भारत सरकार को धन्यवाद देती हूं.”
नारज़ारी के पिता ने कहा, “सुरंग के अंदर फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए मैं भारत सरकार और असम सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं… यह सुनकर मुझे राहत मिली है कि बचाए गए लोगों को अस्पताल ले जाया गया है.”
हिमाचल प्रदेश के एकमात्र श्रमिक विशाल नामक श्रमिक के परिवार के सदस्यों ने भी अपनी खुशी साझा की.
विशाल की मां उर्मिला ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, ”मैं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सरकारों से बहुत खुश हूं, मैं उन्हें तहे दिल से धन्यवाद देती हूं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बचाए गए लोगों से फोन पर बात की. 12 नवंबर को सिल्क्यारा छोर से निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने के बाद 41 श्रमिकों के फंसने के बाद भारी बचाव अभियान शुरू किया गया था.
41 लोगों में से 15 झारखंड से, दो उत्तराखंड से, पांच बिहार से, तीन पश्चिम बंगाल से, आठ उत्तर प्रदेश से, पांच ओडिशा से, दो असम से और एक हिमाचल प्रदेश से हैं.
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