नई दिल्ली: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक समर्पित पार्किंग नीति की अधिसूचना जारी होने के करीब चार साल बाद भी जमीनी स्तर पर इसका कार्यान्वयन न के बराबर हुआ है.
आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सितंबर 2019 में ‘दिल्ली रखरखाव और पार्किंग स्थानों के प्रबंधन नियम, 2019’ शीर्षक से एक पार्किंग नीति को लेकर अधिसूचना जारी किया था.
शीर्ष अदालत ने 2019 के एक आदेश में कहा था कि पार्किंग दिल्ली में सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है. साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा था कि “वाहनों की पार्किंग के इस सबसे छोटे मुद्दे पर झगड़े के कारण पड़ोसियों के बीच सामाजिक ताना-बाना टूट रहा है”.
दिल्ली परिवहन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध दिल्ली पार्किंग नीति का उद्देश्य आवासीय और बाजार क्षेत्रों में पार्किंग को नियमित करना है. इसके अलावा पीक और नॉन-पीक घंटों के दौरान पार्किंग के लिए एक मूल्य निर्धारण की सिफारिश की गई है.
इसके मुख्य घटकों में शहरी स्थानीय निकायों द्वारा एक पार्किंग प्रबंधन क्षेत्र योजना (पीएमएपी) का ड्राफ्ट तैयार करना था जो पार्किंग आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए क्षेत्र-वार सर्वेक्षण पर आधारित होना था.
पार्किंग नीति में कहा गया है कि पार्किंग योजना इसकी अधिसूचना के जारी होने के “चार महीने के भीतर तैयार की जाएगी”.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारियों ने कहा कि लेकिन चार साल बाद भी कई योजनाएं कागजों पर ही हैं.
शुरुआत करने के लिए, पूर्ववर्ती दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) – जिसे अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में विलय कर दिया गया है – ने लाजपत नगर, ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, कैलाश कॉलोनी, मालवीय नगर, निज़ामुद्दीन बस्ती और जैसे क्षेत्रों के लिए 16 पीएमएपी का ड्राफ्ट तैयार किया था.
अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग, जो इसके लिए नोडल एजेंसी है, द्वारा केवल चार ऐसी योजनाएं अधिसूचित की गईं और शहर के लाजपत नगर क्षेत्र में आज तक केवल दो को ही लागू किया गया है.
एक वरिष्ठ एमसीडी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “शेष दो पीएमएपी, नीति बाग और गुलमोहर पार्क क्षेत्रों के लिए, अभी तक लागू नहीं किए गए हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के साथ कुछ मुद्दे सामने आए हैं. उनका कहना है कि इन योजनाओं का ड्राफ्ट तैयार करते समय उनसे सलाह नहीं ली गई.”
एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, जबकि शेष पीएमएपी को परिवहन विभाग से मंजूरी मिलनी बाकी है, नागरिक निकाय ने अभी तक पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र के तहत क्षेत्रों में पीएमएपी के लिए सर्वेक्षण शुरू नहीं किया है.
पूर्ववर्ती उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत क्षेत्रों के लिए पीएमएपी की स्थिति पर, एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि वे इसको लेकर ‘अनिश्चित’ थे.
एमसीडी के एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मौजूदा पीएमएपी के लिए सर्वेक्षण कोविड-19 महामारी की शुरुआत से कुछ समय पहले ही पूरा किया गया था और उस समय सर्वेक्षण किए गए क्षेत्रों में जमीनी जरूरतें बदल गई होंगी.
उन्होंने कहा, “चिंता यह है कि इन योजनाओं में प्रस्तावित समाधान अप्रासंगिक हो गए हैं. और अगर ऐसा है, तो सर्वेक्षण नए सिरे से करना होगा. दो क्षेत्रों में नए सिरे से सर्वेक्षण किए जा रहे हैं जो पहले कवर नहीं किए गए थे.”
जब पीएमएपी के संबंध में उठाई गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो दिल्ली परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस पर जी20 शिखर सम्मेलन (इस साल सितंबर में होने वाले) के बाद विचार किया जाएगा.”
दिप्रिंट से बात करते हुए, दिल्ली विकास प्राधिकरण के पूर्व आयुक्त (योजना), ए.के. जैन ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पार्किंग की स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ है, क्योंकि “किसी ने नहीं सोचा था कि यह इतनी बड़ी समस्या बन सकती है”.
उन्होंने कहा, “दिल्ली में एक करोड़ से अधिक वाहन हैं [सरकारी आंकड़ों के अनुसार] और इसमें प्रत्येक परिवार के पास कम से कम एक वाहन है. मुद्दा यह है कि लोगों ने पार्किंग की जगह के बिना ही वाहन खरीद लिए. जाहिर तौर पर, उनके पास पार्किंग की जगह नहीं है तो उन्होंने सड़कों पर पार्किंग शुरू कर दी. उन्हें यह समझना चाहिए और सड़कें निजी संपत्ति नहीं हैं.”
दिप्रिंट ने पार्किंग नीति के कार्यान्वयन में कमियों पर बात करने के लिए दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा. दिप्रिंट ने ईमेल के माध्यम से इसपर टिप्पणी के लिए एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती से भी संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलते ही रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.
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‘व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता’
एमसीडी अधिकारियों के अनुसार, पीएमएपी तैयार करने में ऑन-स्ट्रीट, ऑफ-स्ट्रीट और मल्टी-लेवल पार्किंग सुविधाओं के लिए सभी प्रकार के पार्किंग स्थानों का सीमांकन और अन्य चीजों के अलावा वेंडिंग जोन के लिए स्थानों का सीमांकन शामिल है.
योजनाओं को स्थानीय हितधारकों, जैसे निवासी कल्याण संघों और शहरी योजनाकारों के परामर्श से तैयार करने की भी आवश्यकता होती है. इसके अलावा, विचार यह है कि भीड़भाड़ कम करने, पार्किंग की जगह और फायर टेंडर, पुलिस वाहनों और एम्बुलेंस के लिए पर्याप्त रास्ता प्रदान किया जाए.
एमसीडी के एक तीसरे वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्किंग समाधानों को लागू करने के लिए व्यापक बदलाव की आवश्यकता होगी, जिसकी शुरुआत “किसी भी प्रकार के अतिक्रमण” को हटाने से होगी, जिसमें अनधिकृत निर्माण भी शामिल है.
अधिकारी ने दावा किया, “हम नीति से कुछ समाधान लागू करने में सक्षम हैं, जैसे कि यदि कोई वाहन लंबे समय तक पार्क किया जाता है तो पार्किंग के हिसाब से पार्किंग दरों में वृद्धि की जाएगी. लेकिन बड़ी समस्या यह है कि बहुत से लोग पार्किंग के लिए भुगतान नहीं करना चाहते हैं, खासकर छोटी अवधि के लिए. इसलिए, ये लोग आवासीय इलाकों या पहले से ही भीड़भाड़ वाले इलाकों में पार्किंग करते हैं.”
मालवीय नगर क्षेत्र के लिए तैयार किए गए पीएमएपी के अनुसार- जिसके लिए अभी तक परिवहन विभाग द्वारा नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है- सर्विस लेन में अतिक्रमण, डंप किए गए वाहन, सड़कों पर काम करने वाले मैकेनिक और फुटपाथ पर पार्क किए गए वाहनों को क्षेत्र में पार्किंग की समस्या के प्राथमिक कारणों के रूप में उजागर किया गया था. दिप्रिंट ने एमसीडी वेबसाइट पर उपलब्ध पीएमएपी के ड्राफ्ट को देखा है.
सटीक रूप से, क्षेत्र में सर्वेक्षण किए गए 83 ब्लॉकों में 146 दोपहिया वाहन और 91 चार पहिया वाहन डंप पाए गए. एमसीडी अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा, 854 से अधिक कारें सामान्य स्थानों पर पार्क की गईं और कुल 3,986 कारें घरों के बाहर पार्क की गईं.
कुल पार्किंग आपूर्ति 3,411 थी, जबकि 575 कारों के लिए कोई पार्किंग स्थान नहीं था.
एमसीडी के एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “पीएमएपी की मंजूरी दिल्ली सरकार के हाथों में है. लेकिन भले ही उन्हें अंतिम मंजूरी मिल जाए, हमें जमीनी स्थिति का आकलन करना होगा और देखना होगा कि क्या समाधान अभी भी लागू करने योग्य हैं.”
डीडीए के जैन ने दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 को याद करते हुए कहा कि दिल्ली की पार्किंग समस्याओं के विषय पर पर्याप्त परामर्श किया गया था.
उन्होंने कहा, “इस मुद्दे में और भी परतें हैं. एक तो यह है कि निवासी ऐसे समाधान नहीं चाहेंगे जिसके लिए व्यापक बदलाव की आवश्यकता हो और जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भुगतान करना पड़े. दूसरा अतिक्रमण हटाना है, जिसके लिए नागरिक एजेंसियों को बहुत अधिक सार्वजनिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है और यहां तक कि राजनेता भी अतिक्रमण का समर्थन करने के लिए सामने आते हैं.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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