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बुधवार, 23 अप्रैल, 2025
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पहलगाम में 4 लश्कर आतंकवादियों ने की हत्याएं, दो स्थानीय लोग बॉडी कैम से लैस

माना जा रहा है कि आतंकवादियों की मूल योजना पीएम मोदी की 19 अप्रैल की यात्रा के दौरान हमला करने की थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.

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पहलगाम: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के चार आतंकवादियों के एक ग्रुप ने एके-47 राइफलों से लैस होकर और बॉडी कैमरा पहने हुए दो स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों के बीच हिंदुओं को गोलियों से भून दिया.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि दो स्थानीय लोगों की पहचान बिजबेहरा के आदिल ठाकुर और त्राल के आसिफ शेख के रूप में हुई है.

सूत्रों ने बताया कि दोनों पाकिस्तानी आतंकवादी पश्तून के लग रहे हैं.

सूत्रों ने इस बात पर जोर दिया कि हमले में शामिल सभी चार आतंकवादी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के हैं, जबकि द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा कि टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है, जिसका इस्तेमाल हमले को एक स्वदेशी समूह के काम के रूप में दिखाने के लिए किया गया.

यह भी माना जाता है कि आतंकवादी पहले भी आ चुके थे और मूल योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 19 अप्रैल की कटरा यात्रा के दौरान हमला करने की थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया.

सूत्रों ने इस बात से भी इनकार किया कि हमला किसी भी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों के समूह को निशाना बनाने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो का एक कर्मचारी छुट्टी मनाने परिवार के साथ आया था और मारे गए लोगों में वह भी शामिल था.

ऐसी जानकारी मिली है कि चारों आतंकवादी बैसरन मैदानों में आए थे — जिसे मैगी प्वॉइंट या मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाना जाता है — उनके पास बॉडी कैमरा और एके-47 राइफलें थीं.

कथित तौर पर आतंकवादियों ने नाम पूछे और आधार कार्ड जैसी बाकी पहचान करने वाली विशेषताओं के आधार पर हिंदू पुरुषों को अलग किया. माना जा रहा है कि कम से कम दो पुरुषों ने अपनी धार्मिक पहचान छिपाने की कोशिश की, जिसकी पुष्टि हमलावरों ने बाद में की.

महिलाओं और बच्चों को अलग कर दिया गया.

इसके बाद चार आतंकवादियों के समूह ने पुरुषों पर गोलियां चलाईं और इलाके से भाग गए. बरामद किए गए गोले AK-47 के अलावा बख्तरबंद भेदी गोलियों के थे, जिन्हें स्टील बुलेट भी कहा जाता है.

सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों द्वारा किया गया पूरा ऑपरेशन करीब 15 मिनट तक चला.

जब पूछा गया कि क्या रिज पर और आतंकवादी मौजूद हैं, तो सूत्रों ने कहा कि ऐसे समूह आमतौर पर छह सदस्यों के साथ काम करते हैं और संभव है कि एक या दो लोग निगरानी के तौर पर तैनात हों.

सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के समूह की तलाश में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है. विशेष बलों को भी तैनात किया गया है.

सूत्रों के अनुसार, आस-पास के इलाकों में आतंकवादियों के देखे जाने की खुफिया जानकारी मिली थी, लेकिन अन्य लोगों ने इसे नियमित अलर्ट बताकर खारिज कर दिया, जो महत्वपूर्ण घटनाओं के आसपास खुफिया एजेंसियों द्वारा भेजे जाते हैं.

जब पूछा गया कि पर्यटकों की अधिक संख्या और टूरिज्म सीज़न के बावजूद इलाके में कोई सुरक्षा बल क्यों नहीं तैनात किया गया, तो सूत्रों ने कहा कि उन्हें पर्यटकों पर हमले की आशंका नहीं थी, क्योंकि ऐसी घटनाओं से स्थानीय लोगों को भी नुकसान होता है.

उन्होंने कहा कि अधिकारियों का उद्देश्य इस क्षेत्र को एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में पेश करना था, न कि एक ऐसा क्षेत्र जहां पर्यटकों का स्वागत बंदूकधारी सुरक्षाकर्मियों द्वारा किया जाता है.

26 लोगों की जान लेने वाला यह हमला नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक बड़ा झटका है, जिसके कारण प्रधानमंत्री को सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में ही छोड़नी पड़ी. वापस लौटने पर मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी में हवाई अड्डे के तकनीकी क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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