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Thursday, 25 April, 2024
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20 भारतीय संस्थान कोविड- 19 की वैक्सीन बनाने में लगे हैं, आईआईटी का फोकस पोर्टेबल वेंटिलेटर पर है

विज्ञान एवम् तकनीक मंत्रालय के तहत काम कर रहे डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नॉलजी की सचिव रेणु स्वरूप के मुताबिक सरकार को निजी कंपनियों और व्यक्तिों की तरफ़ से कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई से जुड़े 7000 से ज़्यादा प्रस्ताव मिले हैं.

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नई दिल्ली: रिसर्च से जुड़े 20 से ज़्यादा प्रमुख संस्थान दिनों-रात उस नोवल कोरोनावायरस के इलाज के लिए वैक्सीन ढूंढने में जुटे हैं जो तेज़ी से लोगों के बीच फैल रहा है. ये जानकारी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दी. इनमें नेशनल इंस्टीट्यूट वायरोलॉजी पुणे और इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च जैसे संस्थान शामिल हैं.

विज्ञान एवम् तकनीक मंत्रालय के तहत काम कर रहे डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नॉलजी की सचिव रेणु स्वरूप के मुताबिक सरकार को निजी कंपनियों और व्यक्तियों की तरफ़ से कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई से जुड़े 7000 से ज़्यादा प्रस्ताव मिले हैं.

दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में स्वरूप ने कहा कि सरकार कई आयामों पर काम कर रही. इसमें कोविड- 19 के लिए सस्ते टेस्ट किट और वेंटिलेटर तैयार करने से लेकर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन तैयार करना तक शामिल है.

स्वरूप ने कहा, ‘हम अभी कई चीज़ों पर काम कर रहे हैं. पहले तो उन स्टार्टअप और इनक्यूबेटर की निर्माण क्षमता को बढ़ाना है जिन्होंने सस्ते टेस्टिंग किट और वेंटिलेटर बनाए हैं. उन्हें एनआईवी और आईसीएमआर से जल्द हरी झंडी भी मिल गई. आठ से नौ और कंपनियों को जल्द इससे इस काम के लिए हरी झंडी दे दी जाएगी.’


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उन्होंने कहा, ‘हम उन कंपनियों का भी समर्थन कर रहे हैं जिन्हें टेस्ट किट और वेंटिलेटर के व्यावसायिक उत्पादन की मंजूरी मिल गई. इसके अलावा सभी आईआईटी-इंक्यूबेटर से कहा गया है कि वो पोर्टेबल वेंटिलेटर, जिनोम सिक्वेंसिंग और ब्लड सैंपल में कोरोनावायरस के स्ट्रेन को अलग करने से जुड़े रिसर्च पर ध्यान दें.’

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ऑउटब्रेक के ज़ोर पकड़ने पर वेंटिलेटर और टेस्ट किट की सख़्त दरकार होगी

स्वरूप ने कहा कि आईआईटी कानपुर और आईआईटी रुढ़की के इंक्यूबेशन सेंटर पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम तीन देसी कंपनियों को भी उनका उत्पादन बढ़ाने में सहायता दे रहे हैं ताकि वो जल्द से जल्द वेंटिलेटर्स दे सकें. मैसूर की एक कंपीन भी तेज़ी से वेंटिलेटर बनाने के काम की तरफ़ बढ़ रही है. ये नीति आयोग, डीबीटी और डीआरडीओ के साथ ज़्यादा वेंटिलेटर बनाने के काम में लगी है.’

उन्होंने कहा, ‘वेंटिलेटर बनाने के लिए डीबीटी निजी कंपनियों को स्थानीय चीज़ें प्राप्त करने में भी मदद कर रही है क्योंकि (लॉकडाउन की वजह से) बाहर से चीज़ें मंगाना मुश्किल हो रहा है.’ आईसीएमआर के एक अधिकारी ने कहा कि अगर कोरोना का संक्रमण तीसरे चरण में पहुंच जाता है तो वेंटिलेटर और टेस्टिंग किट की सख़्त दरकार होगी.

अधिकारी ने कहा, ‘भारत में एक लाख़ से कम आईसीयू हैं और हॉस्पिटल में 1000 लोगों पर 1 बेड है. अगर ऑउटब्रेक तीसरे स्टेज में पहुंचता है तो भारत पर बहुत ख़तरा होगा. इस बीमारी का ऐसा असर होता है कि बीमार व्यक्ति को इससे उबरने में 3-4 हफ्ते के समय से लेकर 21 दिन का वेंटिलेटर सपोर्ट तक लेना पड़ता है क्योंकि सांस लेने तकलीफ बढ़ जाती है.’

उन्होंने कहा, ‘टेस्ट किट के बाद वेंटिलेटर अगले स्तर का हथियार है. मास आउटब्रेक की स्थिति में इसी ख़ासी संख्या में ज़रूरत होगी.’

‘वैक्सीन बनने में समय लगेगा’

स्वरूप ने कहा कि कोरोनावायरस रिसर्च संघ में आईसीएमआर, डीबीटी और एनआईवी जैसी संस्थाएं शामिल हैं और कोविड- 19 की वैक्सीन विकसित करने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘हम नए अणुओं पर खोज कर रहे हैं. हम पहले से इस्तेमाल की जा रही दवाओं को बीमार लोगों को ठीक करने के लिए भी टेस्ट कर रहे हैं. ऐसी 45 दवाओं की पहचान की गई है जो इस मामले में काम आ सकती हैं और खोज जारी है. डीबीटी की कई संस्थाएं इसमें लगी हैं कि कौन सी चीज़ कोविड- 19 के मामले में सबसे ज़ोरदार तरीके से काम कर सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘हम दवा विकसित करने के काम में लगे अंतराष्ट्रीय संघों के साथ भी अपना रिसर्च साझा कर रहे हैं. लेकिन किसी हाल में इसमें समय तो लगेगा. अभी दवाओं का जानवरों पर ट्रायल किया जा रहा है. इंसानों पर इसका ट्रायल स्टेज थ्री में होता है जो कि साल के अंत से पहले नहीं होगा.’

कोविड- 19 के मामले में 7000 से ज़्यादा टेक सॉल्यूशन के सुझाव मिले हैं. सरकार के कोविड- 19 ‘सॉल्यूशन चैलेंज’ के तहत इसे 7000 से ज़्यादा सुझाव मिले हैं. इस पहल के तहत ‘कोरोना के ख़िलाफ़ मज़बूती से जंग लड़ने के लिए’ कोई व्यक्ति या कंपनी उनके टेक आधारित आइडिया दे सकता है.


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डीबीटी सेकरेट्री ने दिप्रिंट से कहा, ‘माइक्रोसॉफ़्ट, इंटेल, अमेज़ॉन, गूगल जैसी तकनीक से जुड़ी कई दिग्गज कंपनियों ने आईसीएमआर के डेटा का उपयोग करके कोरोनोवायरस के संदिग्ध मामलों का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित समाधान देने से जुड़े आइडिया पेश किए हैं. सस्ते वेंटिलेटर, सस्ते टेस्ट किट और हर्बल सैनिटाइज़र बनाने से जुड़े आइडिया भी सामने आए हैं.’

स्वरूप ने कहा कि इन विचारों पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा, ‘सरकार के प्रमुख विज्ञान सलाहकार के विजयराघवन के नेतृत्व वाली एक कमेटी इन विचारों का आंकलन कर रही है और डीबीटी चुने गए रिसर्च के प्रस्तावों का समर्थन करेगी.’

डीबीटी सचिव ने कहा कि वेंटिलेटर, टेस्टिंग किट बनाने के लिए रिसर्च और डेवपलमेंट के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों से भी प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं, जिसके लिए ज़रूरी पैसे मुहैया कराए जाएंगे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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