scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशदुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में, महज 4 प्रतिशत को मिल रहा है साफ पीने का पानी

दुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में, महज 4 प्रतिशत को मिल रहा है साफ पीने का पानी

नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि देश में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 2025 तक घट कर 1140 क्यूबिक मीटर रह जाएगी.

Text Size:

नई दिल्ली:दुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में रहती है और इस आबादी के महज 4 फीसदी लोगों को ही साफ पीने का पानी मिल पा रहा है. यही वजह है कि हर वर्ष देश में दो लाख से अधिक मौतें सिर्फ गंदे पानी के पीने से और साफ-सफाई में कमी से होने वाली बीमारियों की वजह से हो रही हैं. यह जानकारी नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी वाटर मैनजमेंट इंडक्स रिपोर्ट में सामने आई है. भारत को साफ पीने के पानी, सिंचाई और पानी से जुड़े अन्य संसाधनों के लिए 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी.

रिर्पाट में यह भी बताया गया है कि देश में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 2025 तक घट कर 1140 क्यूबिक मीटर रह जाएगी. जबकि पिछले तीन वर्षों में कुछ राज्यों में मामूली सुधार देखने को मिल रहा है. देश में सिंचाई में 62 प्रतिशत ग्राउंड वाटर का ज्यादा प्रयोग हो रहा है, जबकि ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी में 85 और शहरी इलाकों में 45 प्रतिशत ग्राउंट वाटर का उपयोग किया जा रहा है. वहीं देश में सही तरीके से जल प्रबंधन नहीं होने के कारण 30 फीसदी भूमि की गुणवत्ता खराब हो गई है. रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि देश में 4 प्रतिशत कृषि उत्पादन में कमी आ सकती है.

वाटर मैनजमेंट के मामले में दिल्ली सबसे खराब,गुजरात सबसे आगे

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि हर वर्ष पानी कमी से जूझने वाला दिल्ली वाटर मैनजमेंट को लेकर गंभीर नहीं है. देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो में दिल्ली सबसे खराब है.जबकि जल संसाधनो के प्रबंधन के मामले में गुजरात का प्रदर्शन सबसे बेहतर देखा गया है. बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड निचले स्तर पर है.जबकि आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, गोवा और हरियाणा में सुधार देखने को मिला है. वहीं पूर्वोत्तर और हिमालयी प्रदेशों में सबसे शानदार प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश का रहा है.

share & View comments