नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने 26 जनवरी को अपनी ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा की घटना और किसानों के खिलाफ दर्ज किये गये कथित ‘झूठे’ मामलों की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराए जाने की शनिवार को मांग की.
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिन किसानों को पुलिस के नोटिस मिल रहे हैं, वे उसके (पुलिस के) समक्ष प्रत्यक्ष रूप से पेश न हों, बल्कि सहायता के लिए किसान यूनियनों द्वारा गठित कानूनी प्रकोष्ठ से संपर्क करें.
मोर्चा के कानूनी प्रकोष्ठ के सदस्य कुलदीप सिंह ने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा और किसानों पर दर्ज ‘फर्जी मामलों’ के पीछे की ‘साजिश’ का पता लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराई जानी चाहिए.
किसान नेताओं के अनुसार ट्रैक्टर परेड में शामिल हुए 16 किसान अब भी लापता हैं.
इस संबंध में एक अन्य किसान नेता रविंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 44 प्राथमिकियों में से 14 के संदर्भ में 122 किसानों को गिरफ्तार किया है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा गिरफ्तार किये गये सभी किसानों को कानूनी और वित्तीय मदद मुहैया कराएगा.
मोर्चा के नेताओं ने दावा किया कि किसानों के खिलाफ ‘झूठे’ मामले दर्ज किए जा रहे हैं और उनका ‘उत्पीड़न’ करने के लिए उन पर डकैती तथा हत्या का प्रयास करने जैसे गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.
सिंह ने कहा कि मोर्चा गिरफ्तार किसानों में से प्रत्येक को दो-दो हजार रुपये उपलब्ध कराएगा, ताकि वे जेल की कैंटीन में उससे भोजन खरीद सकें.
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