अहमदाबाद: नीट-परास्नातक कॉउंसलिंग स्थगित किए जाने के विरोध में गुजरात के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के लगभग 1,500 रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार को एक दिन की हड़ताल पर चले गए. डॉक्टरों का दावा है कि प्रवेश में देरी से डॉक्टरों की बेहद कमी हो गई है जिससे जूनियर डॉक्टरों पर भार बढ़ गया है.
इसके अलावा सातवें वेतन आयोग के सुझावों के अनुसार, बकाया राशि के भुगतान समेत लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर विभिन्न सरकारी और ‘गुजरात चिकित्सकीय शिक्षा एवं अनुसंधान सोसाइटी’ (जीएमईआरएस) द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसरों और लेक्चरर ने राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार ने हाल में नीट-परास्नातक 2021 की कॉउंसलिंग अगले साल तक के लिए रोक दी है और सुप्रीम कोर्ट को इसकी सूचना दे दी है. मेडिकल के मास्टर ऑफ सर्जरी और डॉक्टर ऑफ मेडिसिन जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परास्नातक राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट पीजी) आयोजित की जाती है. कॉउंसिलिंग, प्रवेश प्रक्रिया का एक भाग है.
सूरत के एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने कहा, ‘सामान्य तौर पर परास्नातकों को मई में प्रवेश दिया जाता है. कॉउंसलिंग स्थगित होने से पीजी छात्रों का नया बैच अगले साल मार्च में आएगा. इसलिए पिछले एक साल से रेजिडेंट डॉक्टरों के तीन बैच की बजाय, केवल दो बैच सभी मरीजों को देख रहा है. इससे काम बोझ बढ़ गया है.’
मेडिकल के एक अन्य छात्र ने कहा कि जब तक पीजी का नया बैच नहीं आ जाता, सरकार को उन सरकारी अस्पतालों में बाहर के डॉक्टरों की सेवाएं लेने के बारे में सोचना चाहिए जो मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध हैं.
अहमदाबाद में बीजे मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) ने एक बयान में दावा किया कि नीट-पीजी कॉउंसलिंग में देरी होने से देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी है.
जेडीए के अध्यक्ष डॉ विश्वजीत राज ने कहा, ‘नया पीजी बैच नहीं आने से, केवल 66 प्रतिशत रेजिडेंट डॉक्टर मरीजों को देखने के लिए उपलब्ध हैं. इससे रेजिडेंट डॉक्टरों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है जो कोविड की लंबी ड्यूटी के कारण पहले से ही परेशान हैं.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए राज्यभर में लगभग 1,500 रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार को विरोध के तौर पर सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक ओपीडी में मौजूद नहीं रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि इससे मरीजों को दिक्कत नहीं होगी क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टर आपातकालीन ड्यूटी के लिए उपलब्ध रहेंगे.
इस बीच गुजरात चिकित्सा शिक्षक संघ और तीन अन्य संस्थाओं से संबद्ध सैकड़ों प्रोफेसरों और लेक्चरर ने लंबे समय से लंबित अपनी मांगों को लेकर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
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