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Saturday, 21 December, 2024
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14 बेनामी सिम कार्ड, 5 कारें, नागपुर से गोला बारूद: सचिन वाजे ने कैसे रची थी ‘सुपर कॉप’ वाली साजिश

मुकेश अंबानी के घर के बाहर से बरामद विस्फोटकों की बरामदगी की जांच कर रही एनआईए का कहना है कि सचिन वाजे, जिसे अब मुंबई पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया है, 'अपना खोया हुआ गौरव वापस पाने' की तलाश में था.

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मुंबई: चौदह ‘बेनामी’ सिम कार्ड, पांच कारें, नकली नंबर प्लेट- जिसमें नीता अंबानी के सुरक्षा दल मे शामिल एक रेंज रोवर गाड़ी की डुप्लिकेट प्लेट भी शामिल है- नागपुर स्थित एक कंपनी के स्रोतों के माध्यम से गोला बारूद, होटल ओबेरॉय में नकली पहचान के तहत बुकिंग, निगरानी वीडियो रिकॉर्डिंग को नष्ट करना और पहले से एक बहाना तैयार रखने का प्रयास.

यह सब सचिन वाजे, जिसे अब मुंबई पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया है, द्वारा बनाई गई गहन योजना का एक सारांश सा है. इस मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी- एनआईए) ने कहा है कि वह खुद को एक ‘सुपर कॉप’ के रूप में फिर से स्थापित करने और अपनी खोई हुई ख्याति दुबारा प्राप्त करने की फिराक मे था.

यह सारा विवरण उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर, एंटीलिया, के बाहर विस्फोटकों की बरामदगी और ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की कथित तौर पर हत्या की जांच में जुटी एनआईए द्वारा मुंबई पुलिस के पूर्व शार्पशूटर वाजे और उसके साथी और पूर्व एनकाउंटर विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा सहित नौ अन्य लोगों के खिलाफ दाखिल की गयी चार्जशीट (आरोप पत्र ) का हिस्सा है.

दिप्रिंट को हाल में मिली इस चार्जशीट को इस जांच एजेंसी ने पिछले हफ्ते मुंबई की एक अदालत में दाखिल किया था.

एनआईए के अनुसार, वाजे ही मुख्य साजिशकर्ता था जिसने विस्फोटकों की खरीद की, उस कार की व्यवस्था की जिसमें एंटिलीया के बाहर जिलेटिन की छड़ें मिलीं और उसी ने 25 फरवरी को धमकी भरे एक नोट के साथ दक्षिण मुंबई के कारमाइकल रोड पर यह कार लगाई थी.

इसके बाद, आतंकी संगठन जैश उल हिंद ने कथित तौर पर इस सारे मामले की जिम्मेदारी लेने का दावा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर एक संदेश डाला था, लेकिन बाद में उसने इस तरह के एक संदेश मे कहा था कि इस घटना से उसका कोई लेना-देना नहीं है.

एनआईए के इस आरोप पत्र में कहा गया है कि ‘जबरन वसूली के माध्यम से वह (वाजे) भारी मात्रा में धन एकत्र कर रहा था, जिसका एक हिस्सा वह तत्कालिक अपराधों को करने लिए करता था … धमकी भरे नोट में प्रयुक्त शब्द ‘अगले बार कनेक्ट होकर आएगा’ स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है ‘वाजे का इरादा आतंकवादी कृत्यों को बढ़ावा देने का था ताकि वह एक फर्जी मुठभेड़ करवा के खुद को एक सुपर कॉप के रूप में फिर से स्थापित कर सके.

इसमे आगे लिखा गया है, ‘यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए धमकी पत्र में आगे आने वाले गंभीर परिणामों से बचने के लिए अंबानी परिवार से की गई फिरौती की मांग, इस पूरी साजिश से काफी अधिक मात्रा में धन की उगाही करने के वाजे के मकसद को स्पष्ट रूप से दर्शाती है.’

ख्वाजा यूनुस नाम के शख़्स की हिरासत में हुई मौत के मामले में हत्या और सबूत नष्ट करने के आरोप में 2004 में निलंबित किए गए वाजे को 2020 में फिर से मुंबई पुलिस में सहायक पुलिस निरीक्षक के रूप में बहाल किया गया था, और उसे आपराधिक खुफिया इकाई (क्रिमिनल इंटेलिजेन्स यूनिट- सी आई यू) के प्रमुख के रूप में एक विशिष्ट मानी जाने वाली अपराध शाखा में तैनात किया गया था. वह रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी द्वारा टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स की कथित हेराफेरी से जुड़े मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच में शीर्ष भूमिका मे था.

इस साल मार्च में एंटीलिया मामले में गिरफ्तारी के बाद उसे दूसरी बार निलंबित कर दिया गया था और फिर मई में उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. एंटीलिया मामले को आतंकवाद विरोधी दस्ते को सौंपे जाने से पहले वह इस मामले मे भी जांच अधिकारी बन गया था क्योंकि इसे पहले अपराध शाखा में जांच के लिए भेजा गया. अंततः एनआईए ने इस सारे मामले की जांच अपने हाथ में ले ली.


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जाली दस्तावेजों के साथ होटल में रुकना, 5 कारें और फर्जी नंबर प्लेट

एनआईए की चार्जशीट में आगे कहा गया है कि वाजे ने फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सुशांत खामकर के फर्जी नाम से होटल ओबेरॉय में ठहरने के लिए खुद के लिए कमरा बुक किया था. वह इस साल 16 से 20 फरवरी तक वहां रहा था, क्योंकि उसे लगा कि साजिश की योजना बनाने और उसे अंजाम देने के लिए यह एक सुरक्षित जगह होगी.

उसी महीने, वाजे ने अपने मिशन को अंजाम देने के लिए एक हरे रंग की महिंद्रा स्कॉर्पियो की पहचान की, जो उसके अपने परिचित शख़्स हिरन के पास थी. सीआईयू में वाजे और उनके कर्मचारी अक्सर इस कार का इस्तेमाल किया करते थे और एनआईए के अनुसार, वे सब यह जानते थे कि यह सैम न्यूटन नाम के एक अन्य व्यक्ति की थी, जिसने इसे हिरन को कुछ पिछला बकाया चुकाने के एवज में दिया था.

इस चार्जशीट में कहा गया है कि वाजे ने हिरन से इस कार को ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर छोड़ने के लिए कहा, जहां से उसने अपने निजी ड्राइवर की मदद से यह कार उठवाई और ठाणे स्थित अपने घर से सटी गली में खड़ी कर दी. आरोप पत्र में आगे कहा गया है कि इस सब के बाद उसने हिरन को कार के गुम हो जाने की शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी थी.

इस चार्जशीट के अनुसार, हिरन की कथित हत्या सहित इस पूरी साजिश में कुल मिलाकर, पांच कारें शामिल थीं- उपर वर्णित स्कॉर्पियो, एक सफेद रंग की टोयोटा इनोवा जो सीआईयू के कारों के दस्ते का हिस्सा थी, एक लाल रंग की शेवरले टवेरा. एक वोक्सवैगन पोलो, जिसका इस्तेमाल हिरन की कथित हत्या में किया गया था और वाजे की काली मर्सिडीज, जिसमें उसने हिरन की मृत्यु के दिन डोंगरी में एक टिप्सी बार पर छापा मारकर खुद के अन्यत्र होने का बहाना रचने के लिए सवारी की थी.

एनआईए की इस चार्जशीट में लिखा गया है कि वाजे और अन्य सह-अभियुक्तों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के नाम पर पंजीकृत एक रेंज रोवर, जिसका इस्तेमाल मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी के सुरक्षा के लिए तैनात काफिले की एक कार के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, सहित अधिकांश कारों के लिए नकली नंबर प्लेट की व्यवस्था थी. एनआईए का कहना है कि वाजे ने जानबूझकर इस नंबर को ‘सारे अपराध का एक भारी भरकम प्रभाव पैदा करने के लिए’ चुना था.

चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि वाजे ने नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड से उस गोला-बारूद की व्यवस्था की, जिससे विस्फोटक और विस्फोट शुरू करने वाले उपकरणों का निर्माण किया जाता है

वाजे ने कारमाइकल रोड पर स्कॉर्पियो खड़ी करते समय जो कपड़े पहने थे उन्हें नष्ट कर दिया और उसने उस शर्ट को भी जब्त कर लिया जो इस कांड के दौरान उसके साथ रहने वाले गवाह ने पहनी हुई थी. चार्जशीट के अनुसार इसके बाद, उसने अपना खुद का मोबाइल फोन नष्ट कर दिया और सफेद रंग की इनोवा की उन सभी प्रमुख विशेषताओं में बदलाव कर दिए जिन्हें निगरानी फुटेज में देखा अथवा पहचाना जा सकता था.

आरोप पत्र में यह भी कहा गया कि वाजे ने इन कारों की आवाजाही को छिपाने के लिए 1 मार्च से पहले के कुछ दिनों के इस से संबंधित सीपी कार्यालय में बनाए गए वाहन प्रविष्टि रजिस्टर को भी नष्ट कर दिया, लेकिन उसने सीपी कार्यालय के गेट पर स्थित सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ नहीं की, जिससे वाजे और उसके साथ-साथ अन्य वाहनों की आवाजाही की पुष्टि हुई.


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सीसीटीवी की पहचान करना, फुटेज को नदी में फेंकना और हिरन की हत्या की साजिश रचना

इस मामले के दूसरे आरोपी नरेश गोर ने इस साजिश को अंजाम देने की योजना के तहत झूठी पहचान वाले कुल 14 सिम कार्ड हासिल किए. इनमें से पांच आरोपी पुलिस कांस्टेबल विनायक शिंदे, जिसे अब सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है, के माध्यम से वाजे को सौंपे गए थे. जांच के दौरान वाजे के कार्यालय से तीन सिम कार्ड बरामद किए गए.

चार्जशीट में कहा गया है, ‘उसने (वाजे ने) नरेश गोर के जरिए बेनामी सिम कार्ड खरीदे और बिना आईएमईआई नंबर के चीनी मोबाइल हैंडसेट हासिल किया ताकि उनकी असली पहचान छुपाई जा सके तथा मनसुख की हत्या की योजना बनाने और उसे अंजाम देने के दौरान आपस में संवाद के लिए इस सारे सिम कार्ड और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया.’

इसमें कहा गया है कि वाजे ने ‘अपने ठिकाने के आस-पास के पूरे इलाके का सर्वेक्षण किया, ‘वहां के डिजिटल वीडियो रिकॉर्ड को हासिल किया (अक्सर अवैध रूप से) और उन्हें नष्ट कर दिया और मुंबई की कुख्यात मीठी नदी में फेंक दिया.

एनआईए के अनुसार, वाजे को इस बात का डर सता रहा था कि यह मामला किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी को स्थानांतरित किया जा रहा है. इसके बाद जब उसने हिरन को पूरी साजिश की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा और उसे आश्वासन दिया कि उसे जमानत मिल जाएगी. तो हिरन ने मना कर दिया. इसके बाद वाजे ने प्रदीप शर्मा से मदद के लिए संपर्क किया, जिसमें उसने हिरन को कथित तौर पर ‘कमजोर कड़ी’ के रूप में बताते हुए उसे मारने में मदद मांगी.

साथ ही साथ, वाजे हिरन को मानसिक रूप से तनावग्रस्त और आत्महत्या करने में सक्षम व्यक्ति के रूप में साबित करने के लिए आधार तैयार कर रहा था.

चार्जशीट कहती है, ‘पत्रकारिता जगत में अपने परिचितों के माध्यम से वाजे ने मनसुख के आत्महत्या करने की खबर फैलाने का प्रयास किया था और साथ ही उसने मनसुख हिरन की मृत्यु से पहले ही एक पत्रकार मित्र के माध्यम से हिरन का साक्षात्कार लेने का प्रयास करके इस योजना की भूमिका बनाई थी.’

इस बीच 3 मार्च को, वाजे ने शर्मा से मुंबई के पश्चिमी उपनगर अंधेरी में मुलाकात की और उसे 500-500 रुपये के रूप में बहुत सारी नकदी से भरा एक बैग सौंप दिया. एनआईए ने कहा कि शर्मा ने इस नकदी का इस्तेमाल संतोष शेलार और उसके साथियों को हिरन की हत्या के लिए भुगतान करने के लिए और हिरन की मौत के बाद उन्हें पहले दिल्ली और फिर नेपाल में भागने में भी मदद की.

वाजे और शर्मा ने सह-आरोपी मनीष सोनी, जिसने हिरन की हत्या में उनकी मदद की थी, के लिए भी दुबई के लिए एकतरफा टिकट की व्यवस्था की थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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