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Friday, 1 November, 2024
होमदेशनए IT नियमों पर सरकार के जोर के बीच ट्विटर इंडिया को 41 दिन में 13 बार कार्रवाई और सवालों का सामना करना पड़ा

नए IT नियमों पर सरकार के जोर के बीच ट्विटर इंडिया को 41 दिन में 13 बार कार्रवाई और सवालों का सामना करना पड़ा

‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ लेबल से लेकर टूलकिट विवाद तक और नए आईटी नियमों पर अमल संबंधी मुद्दों को लेकर मोदी सरकार के साथ ट्विटर इंडिया के रिश्ते पिछले कुछ महीनों में तनावपूर्ण ही रहे हैं.

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नई दिल्ली: अकेले जून में भारत में ट्विटर और उसके कर्मचारियों को कम से कम चार एफआईआर, एक पुलिस नोटिस, कंपनी नीतियों के संबंध में आईटी संसदीय समिति की तरफ से दो निर्देश और भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सरकार दोनों की तरफ से कम से कम 80 मामलों में कंटेंट को लेकर कार्रवाई के आग्रह संबंधी मामलों का सामना करना पड़ा है.

यह सब तब सामने आया है जब सरकार ने नए आईटी नियमों का पालन करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.

सिलिकॉन वैली कंपनी के साथ मोदी सरकार के रिश्ते इस साल की शुरुआत से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं, जब ट्विटर ने किसानों के विरोध के बीच कुछ एकाउंट के खिलाफ कार्रवाई के अनुरोध को ठुकरा दिया था.

ट्विटर की तरफ से कुछ भाजपा नेताओं की एक पोस्ट पर ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ का लेबल लगाए जाने के अलावा गाजियाबाद में कथित तौर पर एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमले संबंधी वीडियो, नए आईटी नियमों के कुछ प्रावधानों पर अमल, कथित तौर पर कॉपीराइट उल्लंघन को लेकर केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का एकाउंट अस्थायी तौर पर निलंबित होने और भारत के गलत मानचित्र को लेकर यह तनाव लगातार बढ़ता ही रहा है.

इस महीने ट्विटर ने भारत में खुद को मिले ‘सुरक्षित ठिकाने’ वाले संरक्षण यानी कानूनी छूट को गंवा दिया क्योंकि वह गत फरवरी में लागू नए आईटी नियमों का पालन करने में नाकाम रहा था.

अन्य बातों के अलावा उसने इस कानून के तहत नियमों पर अमल और शिकायतों के निपटारे के लिए विशेष तौर पर कर्मियों को नियुक्त करने की 25 मई की समयसीमा का पालन नहीं किया था.

हालांकि, ट्विटर ने बाद में कहा कि उसने एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किया है और स्थायी नियुक्तियों से पहले एक ‘उपयुक्त स्थानीय कार्यालय’ स्थापित करने की प्रक्रिया में है.


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पूरा घटनाक्रम

आईटी नियमों पर अमल के लिए निर्धारित समयसीमा मई के अंतिम सप्ताह में बीतने के बाद दबाव के शुरुआती संकेतों से लेकर अब तक, जब ट्विटर को कई पुलिस केस का सामना करना पड़ा, एक लंबा सफर तय हुआ है. आइये एक नज़र डालते हैं कि ये पिछले कुछ सप्ताह कैसे रहे हैं…

21 मई: सरकार ने ट्विटर से भाजपा के कुछ नेताओं के पोस्ट से ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ का लेबल हटाने के लिए कहा, जिसमें कांग्रेस पर कोविड से निपटने को लेकर सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाया गया था. ट्वीट्स के साथ पोस्ट किए गए कथित तौर पर कांग्रेस के एक ‘टूलकिट’ के लिए ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ टैग का इस्तेमाल किया गया था.

24 मई: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने ‘टूलकिट केस’ में और जानकारी हासिल करने के लिए ट्विटर के एनसीआर स्थित ऑफिस का दौरा किया. पुलिस का कहना था कि वह टूलकिट को लेकर कांग्रेस की शिकायत के बारे में जांच कर रही है और यह जानना चाहती है कि किस जानकारी के आधार पर ट्विटर ने इस पर ‘मैनिपुलेट’ का टैग लगाया है.

4 जून: कार्टूनिस्ट मंजुल को ट्विटर की तरफ से एक ई-मेल मिला, जिसमें कहा गया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने उनके एकाउंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. साथ ही लिखा था कि इस अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

15 जून: गाजियाबाद पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर में ट्विटर का नाम भी शामिल था, मामला ट्विटर पर पोस्ट एक वीडियो से जुड़ा है, जिसके बारे में यूजर्स का कहना है कि यह कुछ हिंदुओं द्वारा एक बुजुर्ग मुस्लिम को पीटे जाने की घटना को दिखाता है. बाद में पता चला कि हमले का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था. एफआईआर में ट्विटर और अन्य पर ‘धर्म और जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने’ का आरोप लगाया गया है.

17 जून: कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने ट्विटर से गाजियाबाद हमले के मामले में 50 ट्वीट्स को ब्लॉक करने को कहा. वहीं. गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा.

18 जून: सूचना प्रौद्योगिकी मामलों पर संसदीय समिति की एक बैठक में ट्विटर के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे ‘ट्विटर द्वारा निर्धारित नियम-कानूनों’ का पालन करते हैं, जिस पर संसदीय समिति ने कहा कि ‘स्थानीय कानून सर्वोच्च’ हैं.

संसदीय समिति ने डिजिटल स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा पर खास जोर देते हुए ‘नागरिक अधिकारों की रक्षा और सोशल तथा ऑनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग की रोकथाम’ विषय पर ट्विटर और आईटी मंत्रालय दोनों के प्रतिनिधियों को उनके विचार जानने के लिए बुलाया था.

21 जून: सरकार ने ट्विटर से 37 ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा. सामग्री किस तरह की थी इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है.

28 जून: बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत पर यूपी पुलिस ने ट्विटर के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की. इसमें ट्विटर के कैरियर पेज पर लगा एक नक्शा चिह्नित किया गया, जिसमें केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को देश से अलग दिखाया गया था. इस मामले में माहेश्वरी पर भी केस दर्ज किया गया है. ट्विटर ने उसी दिन नक्शा हटा दिया था.

29 जून: यूपी पुलिस ने गाजियाबाद वीडियो मामले में माहेश्वरी के खिलाफ ‘जबरन कार्रवाई’ पर रोक लगाने के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

उसी दिन, मध्य प्रदेश में भोपाल पुलिस की साइबर सेल ने भी माहेश्वरी के खिलाफ उसी नक्शे के लिए एक एफआईआर दर्ज की. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने उसी दिन एक और एफआईआर दर्ज की, जिसमें ट्विटर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी तक एक्सेस देने का आरोप है.

29 जून को संसदीय समिति की एक अन्य बैठक में ट्विटर को लिखित रूप में यह बताने को कहा गया कि आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर के एकाउंट क्यों ब्लॉक किए गए थे.

ब्लॉक करने की सूचना जिस दिन (25 जून) दी गई थी, उसी दिन ट्विटर ने कहा था कि आईटी मंत्री का एकाउंट अमेरिकी कॉपीराइट कानूनों के उल्लंघन के कारण ब्लॉक किया गया है. थरूर का भी दावा है कि उनका एकाउंट ब्लॉक करने के पीछे भी यही तर्क दिया गया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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