देहरादून/तपोवन: उत्तराखंड के चमोली जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में चलाए जा रहे बचाव अभियान के आठवें दिन रविवार को 13 और शव मिलने से बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है.
तेरह में से छह शव 520 मेगावाट की एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग से मिले जबकि छह रैंणी से और एक रूद्रप्रयाग जिले में नदी के किनारे से बरामद हुआ.
लगातार तलाश और बचाव अभियान का जायजा ले रहीं चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने लापता लोगों के शव बरामद होने पर बचाव दलों को तेजी से कार्य करने को कहा है.
तपोवन सुरंग में पिछले एक सप्ताह से सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस का संयुक्त बचाव अभियान जारी है.
तपोवन बैराज क्षेत्र में जहां पोकलैंड और जेसीबी मशीनें युद्धस्तर पर कार्य कर रही हैं. वहीं, नदी किनारे जिला प्रशासन के नेतृत्व में खोजबीन का कार्य गतिमान है.
जिलाधिकारी स्वाति ने बताया कि रैंणी क्षेत्र में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीम मलबे में लापता लोगों की तलाश कर रही है.
उन्होंने कहा कि मौके पर एक हेलीकॉप्टर भी तैयार है जिससे अगर कोई व्यक्ति जीवित अवस्था में मिले तो उसे तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.
सात फरवरी को चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ के बाद अब तक 51 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 153 अन्य अभी भी लापता हैं.
रविवार को मिले शवों में से 11 की शिनाख्त हो गयी जिनमें टिहरी निवासी आलम सिंह, जितेंद्र धनाई, देहरादून के कालसी के अनिल, जम्मू-कश्मीर के जीतेंद्र कुमार, फरीदाबाद के शेषनाथ, कुशीनगर के सूरज ठाकुर, पंजाब के जुगल किशोर, हिमाचल प्रदेश के राकेश कपूर, चमोली के हरपाल सिंह, और गोरखपुर के राजेंद्र सिंह और धनुर्धारी शामिल हैं.
इस बीच, चमोली जिले में डीएनए नमूने लेने के बाद मिले शवों के अंतिम संस्कार का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा. आज छह शवों का अंतिम संस्कार किया गया.
बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई जबकि तपोवन विष्णुगाड को भारी क्षति पहुंची थी.
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