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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशभारत में बीते तीन दशकों में हुईं आग से जुड़ी कौन-सी 10 बड़ी घटनाएं

भारत में बीते तीन दशकों में हुईं आग से जुड़ी कौन-सी 10 बड़ी घटनाएं

राजकोट के गेम ज़ोन और दिल्ली के अस्पताल में लगी आग से पहले भी भारत में ऐसी ही त्रासदियां हुई हैं, जैसे कि 2016 में केरल में मंदिर की घटना जिसमें 111 लोग मारे गए और 1997 की उपहार सिनेमा अग्निकांड जिसमें 59 लोग मारे गए.

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नई दिल्ली: 25 मई को गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेम ज़ोन के एंटरटेनमेंट पार्क में लगी भीषण आग में अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 9 बच्चे भी शामिल थे. उसी शाम दिल्ली के विवेक विहार में चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में भीषण आग लगने से सात नवजात शिशुओं की मौत हो गई.

एक के बाद एक हुई त्रासदियों ने एंटरटेनमेंट पार्क और अस्पताल दोनों में कई खामियां उजागर कीं. एंटरटेनमेंट पार्क में, शॉर्ट-सर्किट को आग लगने का कारण माना गया, जबकि अस्पताल कथित तौर पर वैध लाइसेंस के बिना चल रहा था.

भारत में अक्सर खराब कंस्ट्रक्शन, वर्क स्पेस सेफ्टी मानकों के लिए खराब रिकॉर्ड और सुरक्षा नियमों के पालन में कमी के कारण आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं.

यहां देश में हुए कुछ विनाशकारी अग्निकांड का ज़िक्र किया गया है, जो कि 1995 से शुरू होते हैं.

पश्चिमी दिल्ली की व्यावसायिक इमारत में आग : 13 मई 2022 को मुंडका में चार मंजिला व्यावसायिक इमारत में भीषण आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए. उस समय इमारत में लगभग 200 लोग मौजूद थे और अत्यधिक ज्वलनशील सामग्री ने आग को और बढ़ा दिया. इसके अलावा, संकीर्ण मार्ग के कारण और भी अधिक चुनौतियां आईं.

केरल मंदिर अग्निकांड : केरल के कोल्लम जिले में एक खचाखच भरे मंदिर में आतिशबाजी के कारण 10 अप्रैल 2016 को आग लग गई, जिसमें कम से कम 111 लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने कहा कि आग हिंदू नववर्ष उत्सव के दौरान लगी, जब आतिशबाजी का सामान आतिशबाज़ी बनाने वाली मशीन पर गिर गया. पटाखों का पूरा ढेर एक ही स्थान पर रखा गया था और आग लगने पर उसमें विस्फोट हो गया, जिससे 40 से अधिक लोगों की तुरंत मौत हो गई, जिसके परिणामस्वरूप आसपास की इमारतों को भी भारी नुकसान हुआ.

तमिलनाडु आतिशबाजी फैक्ट्री में आग : 5 सितंबर 2012 को तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के मुदालीपट्टी गांव में ओम शक्ति आतिशबाजी फैक्ट्री में भीषण आग लगने से 29 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए. न तो अग्नि बचावकर्मी और न ही एम्बुलेंस वहां तक ​​पहुंच सकीं. बताया गया कि मौके पर भारी मात्रा में रसायन मौजूद था.

कोलकाता एएमआरआई अस्पताल में आग : कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में तब त्रासदी हुई जब 9 दिसंबर 2011 को आग लगने के बाद दम घुटने से 93 लोगों की मौत हो गई. बेसमेंट में आग लगने के तुरंत बाद, एयर कंडीशनिंग सिस्टम के माध्यम से कार्बन मोनोऑक्साइड अस्पताल में फैल गया, जिससे निजी अस्पताल में मौतें हुईं.

कुंभकोणम स्कूल में आग : 16 जुलाई 2004 को चेन्नई से लगभग 320 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में कुंभकोणम के एक स्कूल में आग लगने से 94 बच्चों की जान चली गई. आग स्कूल की रसोई में लगी, जहां लकड़ी की आग पर खाना तैयार किया जा रहा था. आग तीन मंजिला इमारत में फैल गई और इसमें सैकड़ों बच्चे फंस गए. एक रिपोर्ट के अनुसार, अग्निशामकों को कंक्रीट संरचना को तोड़ना पड़ा क्योंकि कक्षा में जाने का एकमात्र रास्ता एक ही सीढ़ी थी.

पद्मप्रिया विवाह हॉल में आग : जश्न तब मातम में तब्दील हो गया जब 23 जनवरी 2004 को तमिलनाडु के श्रीरंगम में एक शादी में लगी भीषण आग में दूल्हे सहित 62 लोगों की मौत हो गई. वीडियो फ्लैशगन द्वारा उत्पन्न तीव्र गर्मी के कारण आग भड़क उठी, जिससे पंडाल की फूस की छत पर सजावटी सामग्री में आग लग गई. जांच में पाया गया कि वीडियो कैमरे को जोड़ने वाले बिजली के तार में शॉर्ट सर्किट के कारण छत में आग लग गई.

मोइदीन बदुशा गृह अग्निकांड : 6 अगस्त 2001 को तमिलनाडु के इरवाडी गांव स्थित मानसिक गृह में 28 कैदी जलकर मर गए. दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचने से पहले 10 मिनट में पूरा छप्पर जलकर खाक हो गया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पीड़ित खुद को बचाने में असमर्थ थे क्योंकि वे जंजीरों से बंधे थे.

उपहार सिनेमा अग्निकांड : 13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा हॉल में एक फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान लगी भीषण आग में 59 लोगों की मौत हो गई. अधिकांश पीड़ितों की मौत बिजली के ट्रांसफार्मर में आग लगने के बाद दम घुटने से हुई. बाद में पता चला कि सुबह दो ट्रांसफार्मरों में से एक में आग लग गई थी, लेकिन तुरंत मरम्मत कर ली गई. हालांकि, मरम्मत ठीक से नहीं की गई और जल्द ही ट्रांसफार्मर की एक केबल ढीली हो जाने के बाद उसमें फिर से आग लग गई.

बारीपदा मंडली में आग : 23 फरवरी 1997 को ओडिशा के बारीपदा में एक धार्मिक मंडली के दौरान लगी भीषण आग में लगभग 180 लोग मारे गए. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने उस समय रिपोर्ट दी थी कि आग लगने के पीछे बिजली का शॉर्ट-सर्किट कारण था.

राजीव मैरिज पैलेस में आग : 23 दिसंबर 1995 को हरियाणा के सिरसा जिले में एक प्राइवेट मैरिज हॉल में 500 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे, और 300 से अधिक घायल हो गए. पंडाल की छत पर बिजली की कुछ खराबी के कारण आग लग गई. जब डीएवी स्कूल का वार्षिक उत्सव समारोह स्थल पर मनाया जा रहा था तो आग ने तेज़ी से पंडाल के पूरे नायलॉन कपड़े को अपनी चपेट में ले लिया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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