केवडिया (गुजरात), सात मई (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद (सीसीएचएफडब्ल्यू) के 14वें सम्मेलन में भाग लेने वाले विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने भारत में कोविड से संबंधित 47 लाख मौत होने के आकलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘‘निराधार’’ है और ‘‘इसकी मंशा देश की छवि खराब करना है।’’
उन्होंने कहा कि भारत का मौतों को दर्ज करने के लिए मजबूत, सक्षम और व्यापक तंत्र है और कोविड से हुई सभी मौतों को कानूनी प्रक्रिया के बाद पारदर्शिता के साथ व्यवस्थित तरीके से दर्ज किया गया।
सम्मेलन में शुक्रवार को डब्ल्यूएचओ के भारत में कोविड से हुई मौतों के अनुमान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ का आकलन भारत के लिए ‘‘अस्वीकार्य’’ है और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपनायी गई पद्धति ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ थी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सर्वोच्च सलाहकारी संस्था सीसीएचएफडब्ल्यू का तीन दिवसीय सम्मेलन बृहस्पतिवार को गुजरात के केवडिया में शुरू हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इसकी अध्यक्षता की।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने मौत के इस आकलन तक पहुंचने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अपनायी पद्धति पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि यह भारत की छवि ‘‘बिगाड़ने’’ की कोशिश है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ द्वारा इस आकलन पर पहुंचने के लिए अपनायी पद्धति के पीछे कोई तर्क नहीं है। यहां सम्मेलन में सभी स्वास्थ्य मंत्रियों ने रिपोर्ट की निंदा की है और इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। हमने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से डब्ल्यूएचओ को भारत की निराशा से अवगत कराने और इसे उच्च अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने का अनुरोध किया है।’’
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ का मौत का आकलन ‘‘गढ़ा हुआ’’ है और उसने उचित तरीके से गणना नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की आंकड़ें एकत्र करने की मजबूत व्यवस्था है और इसकी विश्वसनीयता पर शक करने की कोई वजह नहीं है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा इस्तेमाल की गयी पद्धति वैज्ञानिक नहीं है।’’
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आरोप लगाया कि कम मृत्यु दर से लेकर उच्च टीकाकरण दर तक कोविड-19 मोर्चे पर भारत की उपलब्धियों को कमतर करने की साजिश चल रही है।
सारंग ने कहा कि 20 से 22 स्वास्थ्य मंत्रियों ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया जिसमें गैर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री भी शामिल हैं।
ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए सिक्किम के स्वास्थ्य मंत्री एम के शर्मा और बिहार के उने समकक्ष मंगल पांडेय ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूचओ की रिपोर्ट ‘‘तथ्यविहीन’’ है और इसकी पद्धति ‘‘वैज्ञानिक नहीं’’ है।
उन्होंने दावा किया कि यह भारत की छवि खराब करने की जानबूझकर की गयी कोशिश है। भारत ने डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रामाणिक आंकड़ों की उपलब्धता के बावजूद कोरोना वायरस महामारी से संबंधित अधिक मृत्यु दर अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडल और डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध है।
भाषा गोला संतोष
संतोष
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