नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 376डीबी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सामूहिक बलात्कार के एक दोषी की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। संबंधित धारा निर्भया मामले के बाद लाई गई थी जो दोषी के लिए शेष प्राकृतिक जीवन तक उम्रकैद का प्रावधान करती है।
भादंसं की धारा 376 डीबी वर्ष 2018 में अधिनियमित की गई थी, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का दोषी पाया जाता है, तो उसे शेष प्राकृतिक जीवन तक के लिए आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने याचिकाकर्ता निखिल शिवाजी गोलैत को दी गई सजा की संवैधानिक चुनौती पर अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया।
याचिका में कहा गया है कि धारा 376 डीबी के तहत अपराध के लिए ऐसी उम्रकैद की सजा का प्रावधान असंवैधानिक है, क्योंकि यह व्यक्ति के सुधार की संभावना को पूरी तरह से समाप्त कर देती है।
तेरह अगस्त, 2020 को एक नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में महाराष्ट्र की बुलढाणा पॉक्सो अदालत ने गोलैत को अन्य आरोपियों के साथ दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी।
भाषा
नेत्रपाल पवनेश
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