चंडीगढ़, 18 अप्रैल (भाषा) शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआणा की रिहाई के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की।
राजोआणा को यहां पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर विस्फोट में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी । सचिवालय के बाहर 31 अगस्त 1995 को हुये इस धमाके में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।
सुखबीर ने कहा कि राजोआणा पिछले 26 साल से जेल में है, जो उम्रकैद की सजा से अधिक है।
शिअद प्रमुख ने ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अन्य सिख कैदियों को भी रिहा करने का आग्रह किया, जिन्होंने आजीवन कारावास अधिक समय जेल में व्यतीत किया है ।
उन्होंने 18 अप्रैल को प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की पूर्व संध्या पर भाई राजोआणा की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मंजूरी दी थी।’’
सुखबीर ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को तत्काल ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया याचिका अब भी राष्ट्रपति के पास लंबित है। यह दया याचिका 25 मार्च 2012 को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से दायर की गयी थी ।
अनुच्छेद 72, कुछ मामलों में राष्ट्रपति को क्षमादान देने, सजा निलंबित करने, समाप्त करने या सजा कम करने की शक्ति देता है ।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी केंद्र सरकार को 30 अप्रैल तक राजोआणा की दया याचिका पर फैसला लेने के लिए नोटिस जारी किया है।
सुखबीर ने अपने पत्र में कहा कि शिअद ने केंद्र सरकार को अपना प्रस्ताव सौंपकर राजोआणा की मौत की सजा उम्रकैद में बदलने और बाद में उसकी रिहाई का अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा कि सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था एसजीपीसी ने भी ऐसे सभी सिख कैदियों को रिहा करने की मांग करते हुए अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है।
शिअद प्रमुख ने यह भी बताया कि ‘‘दुनिया भर के सिख चाहते हैं कि भाई राजोआणा को रिहा किया जाए और वे श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व समारोह की पूर्व संध्या पर किए गए वादे को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री की ओर देख रहे हैं ।’’
सुखबीर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी यही अपील की है ।
भाषा रंजन रंजन माधव
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