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Wednesday, 20 November, 2024
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राजीव गांधी हत्याकांड में उच्च न्यायालय ने मांगी निचली अदालत के फैसले की प्रति

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चेन्नई, 26 अप्रैल (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय की प्रथम पीठ ने मंगलवार को पूनामल्ली की टाडा अदालत के उस आदेश की प्रति मांगी जिसमें उसने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सभी 26 दोषियों को 28 जनवरी 1998 को मृत्युदंड का आदेश सुनाया था।

राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात को श्रीपेरंबुदूर में कांग्रेस द्वारा आयोजित एक चुनावी सभा में हत्या कर दी गयी थी।

छह साल से अधिक समय तक रोजाना चली सुनवाई के बाद पूनामल्ली की निचली अदालत ने जनवरी 1998 में 1,000 से अधिक पन्नों का फैसला सुनाया और नलिनी, उसके पति श्रीहरन उर्फ मुरुगन और एजी पेरारिवलन तथा चार अन्य समेत 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।

मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की प्रथम पीठ ने आज फैसले की प्रति मांगी, जब राज्यपाल की अनुमति मांगे बिना समय पूर्व रिहाई के लिये नलिनी की याचिका सुनवाई के लिए आई।

पीठ ने जानना चाहा कि टाडा कानून के किन प्रावधानों के तहत नलिनी को दोषी करार दिया गया और मृत्युदंड (बाद में उम्रकैद में बदला गया) सुनाया गया।

सितंबर 2018 में तमिलनाडु की तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर तत्कालीन राज्यपाल से सिफारिश की थी कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत उम्रकैद की सजा काट रहे सभी सात दोषियों की समय पूर्व रिहाई का आदेश दिया जाए। राज्यपाल की ओर से कोई उत्तर नहीं मिलने पर नलिनी और अन्य ने उच्च न्यायालय में अनेक याचिकाएं दाखिल कीं और राज्यपाल को याचिका पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया, लेकिन उच्च न्यायालय ने इन सभी को खारिज कर दिया।

इसके बाद नलिनी ने मौजूदा रिट याचिका दाखिल कर अदालत से राज्यपाल की अनुमति के बिना ही उसे रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध किया।

भाषा वैभव दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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