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Monday, 17 June, 2024
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मोदी सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की है। इसने कहा कि मराठी की 2,200 वर्षों की समृद्ध साहित्यिक परंपरा है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि संबंधित मांग पिछले 10 साल से मोदी सरकार के पास लंबित है।

उन्होंने रेखांकित कि पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने प्रख्यात विद्वान प्रोफेसर रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में मराठी भाषा विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी।

रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई थी और पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने तत्कालीन संस्कृति मंत्री श्रीपद नाइक को पत्र लिखकर जुलाई 2014 में मांग को पूरा करने का अनुरोध किया था।

उन्होंने दावा किया, ”दस साल बाद, मोदी सरकार ने इस मोर्चे पर शून्य प्रगति की है।”

साल 2004 से 2014 के बीच मनमोहन सिंह की सरकार ने तमिल (2004), संस्कृत (2005), कन्नड़ (2008), तेलुगु (2008), मलयालम (2013) और उड़िया भाषा (फरवरी 2014) को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसी भी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं दिया है।

रमेश ने कहा कि मराठी में 2,200 वर्षों की समृद्ध साहित्यिक परंपरा है और मराठी में सबसे पहला शिलालेख (जिसे महाराष्ट्री प्राकृत कहा जाता है) पहली शताब्दी ईसा पूर्व का है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह निश्चित रूप से किसी अन्य भाषा की शाखा नहीं है और स्थानीय बोलियों से स्वतंत्र रूप से विकसित हुई है।

भाषा नेत्रपाल रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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