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Friday, 22 November, 2024
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मैं ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण से आहत हूं: ओवैसी

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अहमदाबाद/लखनऊ, 16 मई (भाषा) ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण से आहत हैं और 1991 के उच्चतम न्यायालय के फैसले की अनदेखी की गई है।

हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद ओवैसी ने कहा कि वह ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर बोलना जारी रखेंगे क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नहीं डरते हैं।

गुजरात के वडगाम में एक रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा , ‘‘ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर बोलने पर लोग उनसे सवाल करते हैं। मैं बोलूंगा क्योंकि मैंने अपना ‘जमीर’ नहीं बेचा है, और न ही कभी ऐसा करूंगा। मैं बोलता हूं क्योंकि मैं केवल अल्लाह से डरता हूं, किसी मोदी या योगी से नहीं। मैं इसलिए बोलता हूं क्योंकि बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बनाया गया संविधान मुझे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है।’’ वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्ष के दावे के बीच ओवैसी ने सोमवार को कहा कि ‘‘अब दोबारा कोई मस्जिद नहीं खोएंगे और ज्ञानवापी कयामत तक मस्जिद ही रहेगी।’’

ओवैसी ने अपने एक ट्वीट में गुजरात में की गई सभा का एक वीडियो टैग किया। इसमें उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं 20-21 साल का था तब बाबरी मस्जिद को मुझसे छीन लिया गया। अब हम 19-20 साल के बच्चों की आंखों के सामने दोबारा मस्जिद को नहीं खोएंगे, इंशा अल्लाह।’’

उन्होंने भीड़ में मौजूद लोगों से कहा, ‘‘इनको पैगाम मिलना चाहिए मस्जिद को अब हम नहीं खोएंगे। हम तुम्हारे हथकंडो को जान चुके हैं।’’

ओवैसी ने कहा, ‘‘ज्ञानवापी मस्जिद, मस्जिद थी और जब तक अल्लाह दुनिया को कायम रखेगा, वह मस्जिद ही रहेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपने मोहल्लों और गांवों की मस्जिदों को आबाद रखेंगे तो यह शैतानी ताकतें जो ललचाई हुई नजरों से हमको अपनी तहजीब से महरूम करना चाहती हैं, उनको पैगाम मिल जाएगा कि अब दोबारा भारत का मुसलमान मस्जिद खोने को तैयार नहीं है।’’

गौरतलब है कि वाराणसी की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर किए गए सर्वे में सोमवार को वजू खाने को सील करके वहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी है।

हालांकि, मुस्लिम पक्ष शिवलिंग मिलने के दावे को गलत ठहरा रहा है। उसका कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है। उसी का एक पत्थर आज सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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