नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) बेहतर फसल पैदावार के लिए तापमान और नमी बनाए रखने को लेकर मिट्टी को ढंकने में इस्तेमाल की जा रही प्लास्टिक शीट मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण का कारण बन रही है। एक नए अध्ययन में यह कहा गया है।
माइक्रोप्लास्टिक पांच मिमी से कम व्यास की छोटी प्लास्टिक सामग्री हैं और इन्हें पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है।
गैर सरकारी संगठन ‘टॉक्सिक लिंक’ ने ‘‘खेती योग्य मिट्टी को ढंकने में माइक्रोप्लास्टिक’’ पर अध्ययन के तहत कर्नाटक और महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्रों में मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया। विभिन्न गहराई पर छोटे प्लास्टिक के कण मिले, जो प्लास्टिक शीट के बड़े पैमाने पर उपयोग के कारण मिट्टी के दूषित होने का संकेत देते हैं।
चयनित क्षेत्रों में अलग-अलग गहराई से कुल 30 नमूने एकत्र किए गए थे, जहां किसान उपयोग की गई प्लास्टिक शीट, अन्य प्लास्टिक कचरे और अपशिष्ट पदार्थों को फेंकने के लिए इस्तेमाल करते हैं। मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन में मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया गया और उन सभी में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
‘टॉक्सिक लिंक’ की मुख्य कार्यक्रम समन्वयक प्रीति बंथिया महेश ने कहा कि आधुनिक कृषि में प्लास्टिक का उपयोग हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र स्थिरता को खतरे में डाल रहा है। ढंकने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक अपेक्षाकृत पतला होता है और कृषि क्षेत्र से इन प्लास्टिक शीट को हटाना और पुनर्चक्रण करना श्रमसाध्य, महंगा और चुनौतीपूर्ण होता है।
उन्होंने कहा कि नतीजतन, यह खेत में रहता है या आसपास में फेंक दिया जाता है और अंततः मिट्टी में जमा होने वाले सूक्ष्म कणों (माइक्रोप्लास्टिक) में विघटित हो जाता है।
भाषा आशीष माधव
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