मुंबई, तीन मई (भाषा) महाराष्ट्र से भाजपा के विधायक आशीष शेलार ने शिवसेना के इस दावे पर मंगलवार को चुटकी ली कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने में उसके कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा कि ऐसा है तो बाबरी विध्वंस की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग में उद्धव ठाकरे नीत पार्टी के पदाधिकारियों के नाम क्यों नहीं आए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि 1992 में जब कारसेवकों ने विवादित ढांचा ढहाया था तब उसके नेता कहां छिपे हुए थे।
शेलार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘बाबरी मस्जिद ढहाने में अगर शिवसेना शामिल थी तो फिर कांग्रेस नीत तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा गठित लिब्रहान अयोध्या जांच आयोग में पार्टी का नाम क्यों नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम मान लेंगे कि वहां पर शिवसेना के कार्यकर्ता जमीन पर भी मौजूद थे अगर उस समय फैजाबाद थाने में कोई गैर-संज्ञेय शिकायत दर्ज की गई हो। इस पूरे मामले में शिवसेना पूरी तरह से गैर-संज्ञेय थी।’’
शेलार ने कहा कि वह खुद, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कई पदाधिकारी उस वक्त अयोध्या में मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘‘संजय राउत को यह बताना चाहिए कि जब बाबरी मस्जिद ढहाई जा रही थी तब उद्धव ठाकरे क्या कर रहे थे। मनोहर जोशी और लीलाधर ढाके जैसे शिवसेना के नेताओं को लेकर जा रहे विमान का रास्ता क्यों बदला गया और वे ढांचा ढहाए जाने के बाद क्यों पहुंचे।’’
शेलार ने कहा कि 2018 में ठाकरे ने दावा किया था कि प्रत्येक हिंदू की प्राथमिकता सरकार गठन के बजाय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद वह (ठाकरे) और उनकी पार्टी भाजपा को पीठ में छुरा घोंपकर राकांपा-कांग्रेस खेमे में चले गए।’’
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए तब उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कल्याण सिंह नीत भाजपा सरकार गिर गई थी और ठाकरे को इससे कुछ सीखना चाहिए।
भाषा
वैभव पवनेश
पवनेश
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