नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख आयोग (आईएचआरसी) ने अपनी विशिष्ट पहचान और लोकाचार को स्पष्ट रूप से संप्रेषित करने के लिए एक नया ‘लोगो’ और ‘आदर्श वाक्य’ अपनाया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले साल 12 मई से 12 जून तक ‘माई जीओवी’ पोर्टल पर एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से नये लोगो का चयन किया है।
संस्कृति मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि इस प्रतियोगिता में शौर्य प्रताप सिंह (दिल्ली) द्वारा प्रस्तुत ‘लोगो’ और ‘आदर्श वाक्य’ को आईएचआरसी के लिए चुना गया है।
बयान में कहा गया, ‘‘आईएचआरसी की विशिष्ट पहचान और लोकाचार को स्पष्ट रूप से संप्रेषित करने के लिए एक नए ‘लोगो’ और ‘आदर्श वाक्य’ के लिए डिजाइन आमंत्रित किये गये थे। इसके लिए वर्ष 2023 में ‘माई जीओवी’ पोर्टल पर एक ऑनलाइन प्रतियोगिता शुरू की गई थी। इस प्रतिक्रिया में कुल 436 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं।’’
आईएचआरसी अभिलेखीय मामलों पर एक शीर्ष सलाहकार निकाय है। यह अभिलेखों के प्रबंधन और ऐतिहासिक अनुसंधान के लिए उनके उपयोग पर भारत सरकार को परामर्श देने के लिए रचनाकारों, संरक्षकों और अभिलेखों के उपयोगकर्ताओं के एक अखिल भारतीय मंच के रूप में कार्य करता है। इसकी स्थापना 1919 में हुई थी। इसका नेतृत्व केंद्रीय संस्कृति मंत्री करते हैं।
मंत्रालय के अनुसार यह ‘लोगो’ पूरी तरह से भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख आयोग की थीम और विशिष्टता को अभिव्यक्त करता है। उसने कहा कि इसमें कमल की पंखुड़ियों के आकार के पृष्ठ भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख आयोग को ऐतिहासिक रिकॉर्ड रखने के लिए लचीले नोडल संस्थान के रूप में दर्शाते हैं।
विज्ञप्ति के मुताबिक इसके मध्य में सारनाथ स्तंभ भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं रंग थीम के रूप में भूरा रंग संगठन द्वारा भारत के ऐतिहासिक अभिलेखों के संरक्षण, अध्ययन और सम्मान के मिशन को सुदृढ़ करता है।
‘लोगो’ में संस्कृत में लिखे आदर्श वाक्य का अनुवाद इस प्रकार है, ‘‘जहां भविष्य के लिए इतिहास संरक्षित है।’’
भाषा वैभव माधव
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