फिल्म उद्योग में बाहरी होने के एहसास से लेकर परदे पर प्रेमी बनने वाले किरदार को देखकर खुशी की तरंग तक अपने तमाम अनुभवों को साझा कर रहे हैं अभिनेता रणवीर सिंह.
रणवीर सिंह को गर्व है कि भाई-भतीजावाद के माहौल के लिए बदनाम फिल्म उद्योग में एक बाहरी के तौर पर वे सफल रहे हैं. वे कहते हैं, ‘‘मुझे यश राज फिल्म्स में हीरो की भूमिका के लिए चुना गया था. मैं तो इस दुनिया में अचानक आ टपका था…. उस घड़ी को कभी भूल नहीं पाऊंगा.’’ वे ‘दिप्रिंट’ के एडिटर- इन-चीफ शेखर गुप्ता और कंट्रिब्यूटिंग एडिटर माहरुख इनायत से मुबंई में आयोजित ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में बात कर रहे थे.
रणवीर ने अपनी ताजा फिल्म ‘पद्मावत’ पर विवाद से लेकर अनुच्छेद 377 की वैधता तक तमाम तरह के मुद्दों पर अपनी बेबाक राय जाहिर की.
बॉलिवुड में कदम
रणवीर ने बताया कि किस तरह वे फिल्म उद्योग में नए चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बनाने के लिए अभिनेताओं से लेकर फिल्म निर्माताओं तक के चक्कर लगाया करते थे, ‘‘मैंने एक जोरदार पोर्टफोलियो बनवा लिया था और उसे लेकर ऑफिस-ऑफिस चक्कर लगाता रहता था. निर्माताओं को कभी-कभी मैं रेस्तराओं या नाइटक्लबों में घेर लेता था.’’ उनकी दौड़-धूप आखिर सफल हुई और बॉलिवुड के एक प्रमुख प्रोडक्शन हाउस यश राज फिल्म्स ने उन्हें एक फिल्म में भूमिका निभाने का मौका दे दिया. रणवीर ने कहा, ‘‘मुझे लग गया कि अब तक मैं जिसका इंतजार कर रहा था, वह अवसर मुझे मिल गया है.’’
खिल्जी बनने की तैयारी
रणवीर की ताजा फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर हिंदुत्ववादियों ने विवाद खड़ा कर दिया कि इसमें इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, और इन तत्वों ने इसको लेकर काफी हिंसा भी की. रणवीर बताते हैं कि वे 13वीं सदी के सुलतान अलाउद्दीन खिल्जी की भूमिका निभाने को तैयार नहीं थे, ‘‘पहले तो मैं काफी आशंकित था… मैं जानता था कि यह एक बहुत बुरा किरदार था जिसे मुझे निभाना था. अपने जीवन के उस मुकाम पर में मैं इस तरह की भूमिका निभाने को तैयार न था.’’ लेकिन फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने उन्हें समझा-बुझाकर अंततः राजी कर लिया. रणवीर ने बताया कि उन्हें इतिहास में हो चुके अत्याचारियों और तानाशाहों के बारे में काफी अध्ययन करना पड़ा और अपने भीतर के दानव को जगाना पड़ा ताकि इस भूमिका के लिए मानसिक तौर पर तैयार हो सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘अपने अंदर इस तरह की दुष्टात्मा को एक-डेढ़ साल तक जिलाए रखना काफी कठिन था.’’
समलैंगिकता और अनुच्छेद 377
रणवीर ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि खिल्जी को एक उभयलिंगी चरित्र के रूप में पेश किया जाएगा, तब उन्हें कोई परेशानी नहीं महसूस हुई बल्कि लगा कि इससे उसके किरदार को और गहराई तथा धार मिल जाएगी.
एक उभयलिंगी का किरदार निभाने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुले दिमाग का आदमी हूं. मुझे ईमानदारी से लगता है कि आर्टिकल 377 को तुरंत रद्द कर देना चाहिए.’’ बल्कि उन्होंने मजाक में कहा कि वे देखना चाहेंगे कि इस भूमिका में उन्हें परदे पर किससे प्यार करना है, ‘‘मैं काफी उत्सुक था यह जानने के लिए कि मेरे प्रेमी की भूमिका कौन निभाएगा.’’
रणवीर ने यह भी बताया कि ’नीरजा’ फिल्म में अभिनेता जिम सर्भ के अभिनय ने उन्हें हैरत में डाल दिया है. उन्होंने बताया कि खिल्जी के गुलाम-सेनापति तथा प्रेमी मालिक काफुर की भूमिका के लिए उन्होंने ही जिम का नाम सुझाया था.
‘दीवार’ के डायलॉग
फिल्म अभिनेता बनने के अपने संघर्ष के बारे में रणवीर ने बताया, ‘‘मैं अगर कुछ बनना चाहता था तो अभिनेता ही बनना चाहता था. जब दसवीं में पढ़ता था तभी मुझे लगने लगा था कि बॉलिवुड में काफी भाई-भतीजावाद है. इसमें उन्हीं लोगों को मौका मिलता है जो अभिनेताओं, निर्देशकों, निर्माताओं के बेटे-बेटी हैं… यहां हर कोई किसी परिवार से जुड़ा है.’’ उन्होंने कहा कि यहां बाहर वालों की कामयाबी के उदाहरण इतने कम हैं कि उन्होंने अभिनेता बनने का सपना छोड़ दिया था और कॉपीराइटर के तौर पर काम करने का फैसला कर लिया था.
अभिनय के क्षत्र में वे संयोग से ही उतरे. जब उन्हें कॉलेज में एक ऐक्टिंग क्लास में एक सीन करने को कहा गया था. तब उन्होंने अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की फिल्म ‘दीवार’ का वह मशहूर संवाद ‘मेरे पास मां है….’ बोलने का फैसला किया था, तभी उन्हें एहसास हुआ था कि उन्हें अभिनय से कितना लगाव है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह एहसास बहुत शिद्दत के साथ हुआ… मुझे लगा कि मुझे असली जीवन मिल गया हो.’’
ब्रसेल्स के बमकांड में जीवित बचीं निधि चाफेकर से संवाद
इस ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में रणवीर ही नहीं, 2016 में ब्रसेल्स में हुए बम धमाके में बची निधि चाफेकर भी थीं, जिन्होंने अपनी प्रेरणादायी कहानी सुनाई. दर्शकों के बीच बैठीं निधि ने कहा कि उन्होंने उस त्रासदी से हार नहीं मान ली और आगे बढ़ने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि इस लिहाज से वे रणवीर की तरह ही हैं, ‘‘जिधर भी जाओ, धमाल करो!’’
उस समय जेट एयरवेज में फ्लाइट अटेंडेंट का काम कर रहीं निधि ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर हुए दोहरे बम धमाकों का चेहरा बनकर उभरी थीं. उन धमाकों में 32 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा घायल हो गए थे. हादसे के बाद निधि को दवा देकर बेहोश रखा गया था. उन्होंने बताया, ‘‘कुछ दिनों तक तो मैं अपने परिवार वालों को भी नहीं पहचान पाई थी. वे मुझसे कहते कि मैं तुम्हारा पति हूं लेकिन मुझे अपनी बेटी की आवाज ने होश में लाया, जिसे वे मुझे बार-बार सुनाते रहते थे.’’
रणवीर ने उन्हें शाबाशी देते हुए कहा, ‘‘आपकी बहादुरी को मैं सलाम करता हूँ .’’