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Wednesday, 2 October, 2024
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दिल्ली के मंत्री सत्येन्द्र जैन के खिलाफ सीबीआई जांच का नतीजा चार साल बाद भी सिफर; मामला बंद हुआ

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( अभिषेक शुक्ला )

नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) दिल्ली के लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येन्द्र जैन और अन्य लोगों के खिलाफ विभाग में रचनात्मक टीम की भर्ती में कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की चार साल लंबी जांच का नतीजा सिफर निकलने के बाद अब मामला बंद कर दिया गया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को इस आशय की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) नेता और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य एकत्र कर पाने में असफल रहने के बाद एजेंसी ने हाल ही में विशेष अदालत में मामला बंद करने के लिए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया है।

सीबीआई ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय से पीडब्ल्यूडी कार्यों के लिए रचनात्मक टीम की भर्ती के लिए निजी कंपनी को ठेका दिए जाने के अनियमितता की शिकायत मिलने पर सीबीआई ने 28 मई, 2018 को मामला दर्ज किया था।

एजेंसी का दावा है कि उसने एक साल तक प्राथमिक/प्रारंभिक जांच की जिसमें जिसमें उसने मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। शुरुआती जांच के तथ्यों के आधार पर उसने जैन और पीडब्ल्यूडी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया।

हालांकि, आरोपों की चार साल तक जांच करने के बावजूद सीबीआई को भ्रष्टाचार के दावों की पुष्टि और मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले और उसे मामला बंद करना पड़ा।

सीबीआई के प्रवक्ता ने 29 मई, 2018 को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कहा था, ‘‘मामले में शुरुआती जांच की गई है। आरोप है कि सार्वजनिक पदों पर कम करते हुए आरोपी व्यक्तियों ने जानबूझकर एनआईटी की शर्तें बदलीं ताकि निजी कंपनी निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने योग्य बन जाए।’’

अधिकारी ने कहा था कि यह भी आरोप है कि बजटीय आवश्यकताओं को कुछ असंबंधित मदों में अनधिकृत तरीके से पूरा किया गया जो अनुचित हैं और नियमों का उल्लंघन करते हैं।

प्राथमिकी दर्ज होने के तुरंत बाद सीबीआई ने जैन के आवास पर छापा मारा था, जिसे लेकर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने तीखी राजनीतिक प्रक्रिया दी थी।

केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी क्या चाहते हैं?’’ केजरीवाल ने जैन के एक ट्वीट पर जवाब दिया था, जिसमें मंत्री ने लिखा था, ‘‘पीडब्ल्यूडी की रचनात्मक टीम की भर्ती को लेकर सीबीआई ने मेरे आवास पर छापा मारा। अलग-अलग परियोजनाओं के लिए पेशेवरों की सेवाएं ली गईं। सभी को सीबीआई ने चले जाने को मजबूर किया।’’

जैन के अलावा सीबीआई ने पीडब्ल्यूडी के कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था जिनमें… इंजीनियर इन चीफ सर्वज्ञ कुमार श्रीवास्तव; परियोजनाओं के प्रधान निदेशक मनु अमिताभ; प्रशासनिक विभाग के उपनिदेशक ए. के. पैत; परियोजना प्रबंधक पी. सी. चानना और अन्य अज्ञात अधिकारी शामिल थे।

प्राथमिकि दर्ज करने से पहले सीबीआई ने दिल्ली सतर्कता विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर मंत्री के खिलाफ एक साल लंबी शुरुआती जांच भी की थी।

सीबीआई ने इस संबंध में शुरुआती जांच की रिपोर्ट पांच अप्रैल, 2017 को दर्ज की थी और शुरुआती जांच में साक्ष्य मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज करने का दावा किया था।

सीबीआई ने कहा था कि एक साल तक चली शुरुआती जांच में उसे पता चला है कि जैन ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ मिलकर कथित रूप से षडयंत्र रचा और विभाग के काम के लिए रचनात्मक टीम की भर्ती के लिए ‘सोनी डिटेक्टिव्स एंड एलायड सर्विसेज’ को निविदा दिया।

आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने अपने पद के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए निविदा आमंत्रित करने की शर्तों में बदलाव किया और उसे ऐसा बनाया कि बिना किसी अनुभव वाली कंपनी भी प्रक्रिया में हिस्सा ले सके।

सीबीआई ने कहा था कि जैन के ओएसडी डी. सी. गोयल द्वारा जारी आदेश में सरकारी भवनों के वास्तु के साथ-साथ कम लागत से (भवन) निर्माण के बारे में विस्तृत चर्चा और योजना बनाने के लिए रचनात्मक टीम की भर्ती करने का प्रस्ताव रखा गया था।

जांच रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि सितंबर, 2015 में प्रस्ताव रखा गया था कि रचनात्मक टीम के लिए आईआईटी, एनआईटी, एनआईडी, एसपीए और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से युवा पेशेवरों की 50 हजार से एक लाख रुपये प्रतिमाह के वेतन पर भर्ती की जाए क्योंकि पीडब्ल्यूडी के पास फिलहाल ऐसा कोई संसाधन नहीं है।

एजेंसी ने आरोप लगाया, ‘‘पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन द्वारा की कई बैठकों का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर रचनात्मक टीम की भर्ती करने का फैसला लिया गया। इसी प्रकार, पीडब्ल्यूडी द्वारा किसी रचनात्मक टीम की भर्ती का अनुरोध नहीं किया गया था।’’

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि पीडब्ल्यूडी की जो धनराशि बारापुल्ला-3 परियोजना के तहत एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए रखी गई थी उसे ‘बेईमानी’ से 19 फरवरी, 2016 को मोहल्ला क्लिनिकों के मद में डाल दिया गया।

एजेंसी ने आरोप लगाया था कि सीपीडब्ल्यूडी के मैन्युअल के अनुसार वास्तुकारों और सलाहकारों के लिए धन राशि परियोजना के बचत से निकाली जा सकती थी, लेकिन सिर्फ आवश्यक स्थिति में, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार, इस मामले में ऐसी कोई जरूरत नहीं थी।

सीबीआई ने दावा किया था कि आईआईटी और ऐसे ही अन्य प्रतिष्ठत संस्थानों से पेशेवरों की भर्ती संबंधी शर्तों में धीरे-धीरे नरमी लायी गयी और अंतत: उन्हें हटा ही दिया गया और 15 मार्च, 2016 को निविदा के लिए नोटिस जारी की गई।

एजेंसी ने आरोप लगाया था कि सलाहकारों की भर्ती से पहले उन्हें क्या धन राशि दी जानी है, यह तय नहीं किया गया था।

भाषा अर्पणा उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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