वाराणसी (उत्तर प्रदेश), 23 मई (भाषा) वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए ‘पहले किस मामले पर सुनवाई हो’, इस पर अपना फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में दोनों पक्षों की ओर से कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। किस याचिका कर पहले सुनवाई होगी, जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेश की अदालत इस पर मंगलवार को फैसला सुनायेगी।
उन्होंने बताया कि हिन्दू पक्ष की ओर से कहा गया है कि कमीशन की कार्रवाई पहले हुई है, इसलिए मुस्लिम पक्ष इस पर अपनी आपत्ति जताए।
शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने वाद चलेगा की नहीं इस पर सुनवाई के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। जिस पर मुस्लिम पक्ष ने अदालत में आज बहस की।
उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय का आदेश है, कि मुकदमा चलाने लायक है कि नहीं इस पर पहले सुनवाई की जाय।
वहीं हिन्दू पक्ष ने जिला जज की अदालत में कहा कि सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने कमीशन की कार्यवाही पर दोनों पक्ष से आपत्ति मांगी थी। पहले जिला जज की अदालत में इस पर सुनवाई होनी चाहिए।
जिला जज ए के विश्वेश की अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी परिसर मामले को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत से जिला जज के न्यायालय में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि मामले की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए यह बेहतर है कि कोई अनुभवी न्यायिक अधिकारी इस मामले की सुनवाई करे।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में याचिका दायर करके कहा है कि यह मुकदमा चलाने लायक नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाए।
इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के नियमित पूजन-अर्चन के लिये अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने सोमवार को याचिका दायर की है।
तिवारी ने कहा, ‘‘मैं बाबा विश्वनाथ की तरफ से आया हूं। मैंने आज एक याचिका दाखिल कर अदालत से बाबा के नियमित दर्शन पूजन की मांग की है। मुझे बाबा के राग, भोग, सेवा और भक्तों को दर्शन की अनुमति दी जाय।’’
वहीं, जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडे की ओर से परिसर में स्थित मानव निर्मित तालाब के पानी में से मछलियों को हटाने और वजूखाने की पाइप लाइन को स्थानांतरित करने की मांग को लेकर एक याचिका गत मंगलवार को दाखिल की गई थी, जिस पर अदालत द्वारा सुनवाई होनी है।
गौरतलब है कि वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने राखी सिंह तथा अन्य की याचिका पर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। सर्वेक्षण का यह काम पिछली 16 मई को पूरा हुआ था, जिसके बाद इसकी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी गई थी।
हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने के अंदर कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया था। इसी बीच उच्चतम न्यायालय में मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका की सुनवाई की गई।
मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कराया जाना उपासना स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन है। हालांकि, हिंदू पक्ष का दावा है कि सर्वेक्षण के दौरान परिसर के अंदर हिंदू धार्मिक चिह्न तथा अन्य चीजें मिली हैं।
भाषा सं. सलीम जफर संतोष धीरज
धीरज
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