पुडुकोट्टाई (तमिलनाडु), 16 मई (भाषा) तेलंगाना की राज्यपाल एवं पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने जोर देते हुए कहा है कि अन्य भाषाओं या अन्य भाषाओं में बोलने वालों की आलोचना करना तमिल संस्कृति नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जवाहरलाल स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जिपमेर) या केंद्र शासित प्रदेश में हिंदी को थोपा नहीं जा रहा है।
उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी मातृभाषा की कीमत पर हिंदी सीखने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है, बल्कि एक अतिरिक्त भाषा सीखने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
सुंदरराजन ने कहा, ‘‘लेकिन मेरी चिंता यह है कि हम अपनी मातृभाषा में पूरी तरह से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए जिपमेर या पूरे पुडुचेरी में भी हिंदी नहीं थोपी जा रही है।
उपराज्यपाल से रविवार को उस विवादास्पद परिपत्र के बारे में पूछा गया, जिसमें कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया गया था कि सेवा (सिर्विस) रिकॉर्ड में प्रविष्टियां अंग्रेजी और हिंदी में की जानी चाहिए। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जिपमेर में हिंदी को थोपा नहीं जा रहा है। तमिल संचार की भाषा बनी रहेगी।’’
उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम और स्नेह होना चाहिए लेकिन अन्य भाषाओं के प्रति घृणा या विरोध नहीं होना चाहिए, जो दूसरों की मातृभाषा हैं।
सुंदरराजन ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘दूसरों की भाषा की आलोचना करना या अन्य भाषाओं के लोगों की आलोचना करना हमारी संस्कृति नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अन्य भाषाएं सीखें या नहीं, लेकिन हमें उनका सम्मान करना चाहिए क्योंकि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हैं।’’
भाषा सुरभि सुभाष
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