कोलकाता, छह मई (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के मुद्दे को फिर से उठा रहे हैं ताकि भाजपा के चुनाव पूर्व के वादे को लागू करने में नाकामी को छुपा सकें।
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने दावा किया कि शाह का यह कहना कि सीएए को पश्चिम बंगाल में लागू किया जाएगा, इस तथ्य को छिपाने का एक प्रयास है कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वादा झूठा था।
शाह ने बृहस्पतिवार को सिलीगुड़ी में दावा किया कि सीएए एक वास्तविकता था, है और रहेगा। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केवल घुसपैठ जारी रखना चाहती हैं और पश्चिम बंगाल में आए शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ हैं।
चक्रवर्ती ने सवाल किया, ‘‘क्या वह (शाह) उन लोगों की नागरिकता पर सवाल उठा सकते हैं जिनके वोटों से उन्होंने चुनाव जीता था?’’
नागरिकता के मुद्दे में मुख्यमंत्री की भी भूमिका होने का आरोप लगाते हुए चक्रवर्ती ने दावा किया कि 2003 तक देश के नागरिकता कानून में ‘‘अवैध प्रवासी’’ या ‘‘एनआरसी’’ शब्द नहीं थे, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार, जिसमें ममता बनर्जी मंत्री थीं, इन शब्दों को संशोधन के माध्यम से कानून में शामिल किया।
चक्रवर्ती ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जो कोई भी प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सकता, वह असुरक्षित हो जाता है। यह गरीब वर्ग है, जिसने हो सकता है बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे कारणों से विस्थापन का सामना किया हो, जिसके दौरान ये कागजात खो गए होंगे। उन्हें सबसे अधिक नुकसान हुआ होगा।’’
चक्रवर्ती ने कहा कि सिलीगुड़ी में एक जनसभा में बृहस्पतिवार को भाजपा के दो विधायकों द्वारा उत्तर बंगाल को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर की गई मांग अनुचित थी क्योंकि यह क्षेत्र के कथित कम विकास की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।
भाषा आशीष पवनेश
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