scorecardresearch
Tuesday, 28 May, 2024
होमदेशकांग्रेस छोड़ने के बाद राधिका खेड़ा ने कांग्रेस नेताओं पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया

कांग्रेस छोड़ने के बाद राधिका खेड़ा ने कांग्रेस नेताओं पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया

Text Size:

नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) कांग्रेस छोड़ने के एक दिन बाद राधिका खेड़ा ने सोमवार को आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के पार्टी नेताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। खेड़ा ने दावा किया कि उन्हें ‘‘रामभक्त’’ होने की सजा दी गई।

कांग्रेस प्रवक्ता खेड़ा ने अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। खेड़ा ने दावा किया कि उन्होंने यह मुद्दा पार्टी नेताओं के समक्ष उठाया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

खेड़ा ने यहां एक प्रेसवार्ता में आरोप लगाया, ‘‘मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हो सका कि मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है। मैं लोकसभा चुनाव के लिए मीडिया प्रभारी थी लेकिन मुझे लगातार अपमानित किया जा रहा था।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान छत्तीसगढ़ के पार्टी मीडिया प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने मुझे शराब की पेशकश की। उनके साथ एक और शख्स धनंजय ठाकुर था। मेरे साथ मीडिया विभाग में काम करने वाली दो अन्य महिलाएं भी थीं।’’

खेड़ा ने कहा, ‘‘हम कोरबा में अपने कमरे में थे। मुझे बार-बार बुलाया गया और पूछा गया कि मुझे किस तरह की शराब चाहिए।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘(छत्तीसगढ़ के पार्टी) मीडिया प्रमुख शराब पीकर मेरा दरवाजा खटखटाते थे। मैंने प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट जी को जानकारी दी थी। जयराम रमेश से लेकर पवन खेड़ा तक, मैंने सभी को बताया कि मेरे साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।’’

खेड़ा ने आरोप लगाया कि उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं हो सका कि उन्हें इसलिए नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि वह पार्टी की ‘‘हिंदू-विरोधी’’ विचारधारा से मेल नहीं खा रही थीं।

उन्होंने आरोप लगाया कि हद तो तब हो गई जब रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मुख्यालय में शुक्ला ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और गाली-गलौज की।

इस बीच, कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष दीपक बैज ने खेड़ा पर भारतीय जनता पार्टी की भाषा बोलने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने जानबूझकर विवाद की साजिश रची है।

आरोपों के बारे में पूछे जाने पर बैज ने कहा कि पार्टी छोड़ना खेड़ा का निजी फैसला था लेकिन वह इंतजार कर सकती थीं क्योंकि पार्टी में (झगड़े के) मामले की जांच चल रही थी और फैसला आना बाकी था।

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments