scorecardresearch
Monday, 7 October, 2024
होमदेशउच्च न्यायालय ने बरकरार रखी पत्नी और बेटियों की हत्या के दोषी की सजा-ए-मौत

उच्च न्यायालय ने बरकरार रखी पत्नी और बेटियों की हत्या के दोषी की सजा-ए-मौत

Text Size:

लखनऊ, 10 मई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2011 में अवैध संबंधों के संदेह में अपनी पत्नी और चार बेटियों की हत्या के दोषी एक व्यक्ति को मौत की सजा देने के निचली अदालत के फैसले को बहाल रखा है।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. आर. सिंह की पीठ ने सोमवार को यह आदेश पारित किया।

अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि अभियोजन पक्ष ने आरोप साबित कर दिया है उसकी तरफ से पेश किए गए सुबूत दोषी करार दिए गए दीनदयाल तिवारी की घटना के वक्त मौके पर मौजूदगी को पूरी तरह साबित करते हैं इसके अलावा तिवारी द्वारा खुद पुलिस को दिए गए बयान और उसकी आला कत्ल के साथ गिरफ्तारी से चीजें स्पष्ट हो गई हैं।

गौरतलब है कि दीनानाथ तिवारी नामक व्यक्ति ने 12 नवंबर 2011 को अयोध्या जिले के पूरा कलंदर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे में आरोप लगाया था कि उसके बड़े भाई दीनदयाल तिवारी ने कुल्हाड़ी से अपनी पत्नी सियालली (36) और चार बेटियों मणि (11), रिया (आठ), गुड्डन (छह) और महिमा (चार) की हत्या कर दी है। तिवारी को संदेह था कि उसकी पत्नी का गांव के ही किसी अन्य व्यक्ति से नाजायज संबंध है।

अयोध्या के अपर सत्र न्यायाधीश पंचम ने 30 जनवरी 2014 को दीनदयाल तिवारी को अपनी पत्नी और चार बेटियों की हत्या का दोषी मानते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई थी। तिवारी ने इस फैसले को अपर सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत ने मृत्युदंड की पुष्टि के लिए मामले को उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था।

भाषा सं सलीम

जोहेब

जोहेब

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments