अगरतला, 22 मई (भाषा) त्रिपुरा उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें जेल में चिकित्सा लापरवाही की वजह से जापानी बुखार से मरे कैदी के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
चंदन नाम का यह कैदी सड़क हादसे के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सिपाहीजाला स्थित केंद्रीय सुधार गृह में छह साल के सश्रम कारावास की सजा काट रहा था और जून 2017 में जापानी बुखार से उसकी मौत हो गई थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषोत्तम रॉय बर्मन के मुताबिक, चंदन के परिवार ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति की मौत के मामले में न्याय दिलाने का अनुरोध किया।
उच्च न्यायालय में मृतक के परिवार का पक्ष रखने वाले रॉय बर्मन के मुताबिक, जेल की सजा होने से पहले चंदन वाहन चालक के रूप में कार्य करता था। बीमार होने पर उसे अगरतला के जीबीपी अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी गंभीर हालत की वजह से डॉक्टरों ने उसे कोलकता के एसएसकेएम अस्पताल रेफर कर दिया।
उन्होंने बताया कि लेकिन कैदी को कोलकाता नहीं ले जाया गया और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई।
न्यायमूर्ति एस तलपाता की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद जनवरी 2018 में चंदन की मौत की के लिए जेल अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था और सरकार को मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
हालांकि, जेल अधिकारियों ने एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी।
रॉय बर्मन ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति अरिंदम नाथ और न्यायमूर्ति एस चटोपाध्याय की खंडपीठ ने 20 मई को एकल पीठ का फैसला बरकरार रखा और सरकार से मुआवजा देने को कहा।’’
भाषा धीरज नेत्रपाल
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