नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) हाल में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) कर्नाटक विधानसभा चुनाव अपने ‘बाली और हंसिया’ चिह्न पर लड़ेगी। पार्टी सांसद बिनॉय विश्वम ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
भाकपा को 1989 में भाकपा को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के रूप में मान्यता मिली थी। यह एक ही चुनाव चिह्न पर सभी आम चुनाव लड़ने वाला एकमात्र राजनीतिक दल है और इसने लोकसभा में निर्बाध उपस्थिति बनाए रखी है। यह किसी भी राज्य में सरकार बनाने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी थी और तब से कई सरकारों का हिस्सा रही है।
जिस राज्य में यह मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं है वहां अपने चुनाव चिह्न का उपयोग करने के लिए भाकपा को निर्वाचन आयोग की अनुमति लेनी होगी।
विश्वम ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कर्नाटक चुनाव में, भाकपा 1952 के बाद से पार्टी के चुनाव चिह्न ‘बाली और हंसिया’ पर चुनाव लड़ेगी.. भाकपा इसे बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करेगी।’’
हालांकि भाकपा का राज्य दर्जा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में वापस ले लिया गया है, यह केरल, मणिपुर और तमिलनाडु में बना हुआ है।
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देवेंद्र माधव
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