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मंगलवार, 10 जून, 2025
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बीएनएस में यौन अपराधों को ‘लैंगिक संदर्भ में तटस्थ’ बनाया गया

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नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाली नव अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में यौन अपराधों को पीड़ितों और अपराधियों के लिए ‘लैंगिक संदर्भ में तटस्थ’ बना दिया गया है।

नए आपराधिक कानून से संबंधित एक व्याख्यात्मक नोट में कहा गया है, ‘‘अपराधी यौन शोषण के लिए लड़के और लड़कियों दोनों की खरीद-फरोख्त करते हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 366ए में ‘नाबालिग लड़की’ शब्द को बीएनएस के खंड 96 में ‘बच्चे’ शब्द से बदल दिया गया है, जिसमें 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों को शामिल किया गया है तथा उनकी खरीद-फरोख्त के अपराध को दंडनीय बना दिया गया है।’’

इसमें कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 366बी को ‘किसी विदेशी देश से लड़की लाए जाने’ संबंधी वाक्यांश को ‘किसी विदेशी देश से लड़की या लड़के लाए जाने’ से बदलकर ‘लैंगिक संदर्भ में तटस्थ’ बना दिया गया है।

व्याख्यात्मक नोट के अनुसार, इसे बीएनएस में खंड 141 के रूप में पेश किया गया है ताकि 21 साल से कम उम्र की किसी लड़की या 18 साल से कम उम्र के किसी लड़के को इस इरादे से भारत में लाए जाने संबंधी अपराध को शामिल किया जा सके कि ऐसे व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध यौन कृत्यों के लिए मजबूर किया जाएगा या बहलाया-फुसलाया जाएगा।

बीएनएस, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) एक जुलाई को लागू हो गए। इन नए कानूनों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और ‘एविडेंस एक्ट’ की जगह ली है।

दस्तावेजों के अनुसार, बीएनएस में यौन अपराधों से निपटने के लिए ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध’ नामक एक नया अध्याय भी पेश किया गया है।

आईपीसी के तहत इसी तरह के अपराध ‘मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध’ अध्याय का हिस्सा थे।

बीएनएस में आईपीसी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो)अधिनियम से बलात्कार पीड़ितों का आयु-आधारित वर्गीकरण पेश किया गया है तथा 18, 16 एवं 12 वर्ष से कम उम्र के नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में अलग-अलग सजा विकल्प निर्धारित किए गए हैं।

व्याख्यात्मक नोट के अनुसार, विभिन्न उम्र के नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में दंड की सीमा आईपीसी, पॉक्सो और बीएनएस में काफी हद तक समान है।

इसमें कहा गया है कि धारा 64(1) बलात्कार के दोषी को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान करती है, जबकि धारा 64(2) बलात्कार के गंभीर मामलों में 10 साल से लेकर दोषी को शेष जिंदगी के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान करती है।

इसके अतिरिक्त, बीएनएस का खंड 70(2) 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार संबंधी अपराध को ‘नए सिरे से’ पेश करता है।

बीएनएस के इस खंड में आईपीसी की धारा 376डीए और 376डीबी को मिला दिया गया है तथा नाबालिग महिला के साथ सामूहिक बलात्कार को गंभीर अपराध मानने के लिए उम्र-आधारित मानदंड को हटा दिया गया है।

दस्तावेज में कहा गया है, ‘नए कानून के तहत सभी नाबालिग महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। आईपीसी वर्तमान में धारा 376डीबी के तहत केवल 12 साल से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए यह सजा विकल्प प्रदान करती है।’

व्याख्यात्मक दस्तावेज के अनुसार, एक और ‘महत्वपूर्ण परिवर्तन’ यह है कि बलात्कार की परिभाषा (खंड 63 बीएनएस और धारा 375 आईपीसी) के तहत किसी विवाहित महिला के लिए सहमति की आयु 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है।

इसमें कहा गया है, ‘आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 में प्रावधान है कि किसी पुरुष और उसकी पत्नी के बीच यौन संबंध, जिसकी पत्नी 15 वर्ष से कम उम्र की न हो, बलात्कार नहीं है। सहमति की उम्र में बदलाव का उद्देश्य इंडिपेंडेंट थॉट बनाम भारत संघ (2017) मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को विधायी प्रभाव देना है। संबंधित मामले में वैवाहिक बलात्कार अपवाद को इस हद तक पढ़ा गया था कि इसमें 15 साल से अधिक उम्र के पुरुष और उसकी नाबालिग पत्नी के बीच यौन संबंध की अनुमति की बात कही गई थी।’’

बीएनएस के खंड 63 में वैवाहिक बलात्कार संबंधी अपवाद को बरकरार रखा गया है।

बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों को लेकर भी कुछ बदलाव किए गए हैं।

दस्तावेज के अनुसार, बीएनएस का नया जोड़ा गया खंड 95 उस व्यक्ति को दंडित करता है जो 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को अपराध करने के लिए काम पर रखता है।

खंड 95 की व्याख्या में कहा गया है कि यौन शोषण या अश्लील साहित्य के लिए बच्चे का उपयोग करना इसके अर्थ में शामिल है।

इसके अतिरिक्त, बीएनएस के खंड 137 में आईपीसी की धारा 361 में बदलाव किया गया है।

आईपीसी के तहत, इस धारा के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के अपहरण के साथ-साथ 16 साल से कम उम्र के लड़कों के अपहरण को भी अपराध माना गया है।

आधिकारिक व्याख्यात्मक नोट के अनुसार, बीएनएस के खंड 135 में 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के अपहरण को अपराध माना गया है।

भाषा नेत्रपाल मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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