नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को एक जुलाई से आगे स्थगित करने की विपक्षी दलों के नेताओं की मांग के बीच कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि इन कानूनों को लागू करने से पहले इन पर एक संसदीय स्थायी समिति द्वारा विचार-विमर्श सहित विस्तृत चर्चा की गई थी।
देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए नव अधिनियमित कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे।
ये कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और ‘इंडियन एविडेंस एक्ट’ का स्थान लेंगे।
इन कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित करने की मांग से संबंधित एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि इन कानूनों पर विधि आयोग की कई रिपोर्ट हैं तथा गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने भी इनमें संशोधन की जरूरत बताई थी।
एमएसएमई दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम से इतर मेघवाल ने कहा, ‘‘इसके बाद, जब 2019 में यह विषय (तीनों कानून) सामने रखा गया तो परामर्श प्रक्रिया शुरू हुई। गृह मंत्रालय की ओर से सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र भेजे गए। साथ ही सभी राज्य सरकारों, लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों को भी पत्र लिखा गया।’’
विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि विधि छात्रों, बार एसोसिएशन और भारतीय विधिज्ञ परिषद सहित अन्य द्वारा भी सुझाव दिए गए।
मंत्री ने कहा, ‘‘सभी ने संशोधन किए जाने की बात पर सहमति जताई। इसके अलावा, गृह मंत्री द्वारा लगभग 50 बैठकें की गईं और लगभग 100 अनौपचारिक बैठकें भी हुईं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब गृह मंत्री अमित शाह ने इसे (विधेयक को) संसद में पेश किया तो एक समिति को इसे भेजने की मांग उठाई गई, इसलिए हमने इसे संसद की स्थायी समिति को भेज दिया। यह एक संयुक्त समिति थी और फिर से व्यापक परामर्श हुआ। इस पर व्यापक परामर्श किया गया है।’’
तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिली थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को अपनी स्वीकृति दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी तीन एक समान अधिसूचनाओं के अनुसार नए कानूनों के प्रावधान एक जुलाई से लागू होंगे।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने ‘उद्यमी भारत – एमएसएमई दिवस’ कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
मांझी ने संवाददाताओं से कहा कि एमएसएमई को विदेशी एजेंसियों से जोड़कर प्रत्यक्ष निर्यात को और अधिक सुविधाजनक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे बिचौलिए खत्म हो जाएंगे और छोटे उद्यमों का मुनाफा बढ़ेगा।
इस कार्यक्रम के जरिए नीति निर्माताओं, बड़ी कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहित प्रमुख हितधारकों को एमएसएमई के विकास और स्थिरता के लिए एमएसएमईडी अधिनियम में आवश्यक कानूनी सुधारों पर चर्चा और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मुहैया कराया गया।
भाषा खारी नेत्रपाल
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