(कुणाल दत्त)
नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) दिल्ली में ऐतिहासिक हुमायूं के मकबरे में ‘‘देश के पहले’’ भूमिगत संग्रहालय का अगले सप्ताह उद्घाटन किया जाएगा, जिसका डिजाइन मुगलकालीन शिल्प कौशल के साथ साथ आधुनिक 21वीं सदी की वास्तुकला से मेल खाता है।
एक आधिकारिक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस संग्रहालय का उद्घाटन 29 जुलाई को केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। इसका डिजाइन मध्ययुगीन ‘बावली’ या पानी की पारंपरिक टंकियों से प्रेरित है। संयोग से, इसका उद्घाटन ऐसे वक्त में किया जा रहा है जब राष्ट्रीय राजधानी में विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) की बैठक हो रही है।
भारत 21 से 31 जुलाई तक नयी दिल्ली के भारत मंडपम में डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र की मेजबानी कर रहा है। वह पहली बार यूनेस्को के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।
निजामुद्दीन इलाके में स्थित 16वीं सदी का, हुमायूं का मकबरा दिल्ली में तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक है।
ऐसी जानकारी है कि प्रतिष्ठित आगा खां परिवार का एक सदस्य भी उद्घाटन समारोह में उपस्थित हो सकता है।
आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर (एकेटीसी), भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की तरफ से इस संग्रहालय का निर्माण कर रहा है।
एकेटीसी के अनुसार, संग्रहालय का निर्माण विश्व धरोहर परिसर के प्रवेश क्षेत्र में किया गया है और यह निजामुद्दीन, सुंदर नर्सरी और 16वीं शताब्दी के मकबरे के तीन स्थलों के बीच एक पुल के रूप में काम करेगा।
यह संग्रहालय पिछली सात शताब्दियों में निजामुद्दीन क्षेत्र की विरासत को प्रदर्शित करेगा।
एकेटीसी के एक शीर्ष अधिकारी ने पहले बताया था कि संग्रहालय में गैलरी, एक पुस्तकालय, सेमिनार हॉल, एक शिल्प केंद्र और एक जलपानगृह सहित अन्य चीजें शामिल होंगी। उन्होंने कहा था कि मुगल स्मारक (हुमायूं का मकबरा) का अंतिम हिस्सा, जो 2014 के तूफान में ढह गया था, इसका ‘‘केंद्र’’ होगा।
उत्तर भारत की मध्ययुगीन बावलियों (पानी की टंकियों) से प्रेरित, 10,000 वर्ग मीटर में निर्मित यह भूमिगत संग्रहालय अपने डिजाइन में मुगलकालीन शिल्प कौशल के साथ आधुनिक 21वीं सदी की वास्तुकला से मेल खाता है।
यहां 16वीं सदी के ऐतिहासिक मकबरे में देश के पहले भूमिगत संग्रहालय के निर्माण पर काम अप्रैल 2015 में शुरू हुआ था।
भाषा गोला मनीषा
मनीषा
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