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Thursday, 3 October, 2024
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दिल्ली-केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा

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नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और दिल्ली के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण के विवाद से जुड़ा मामला शुक्रवार को ‘‘आधिकारिक फैसले’’ के लिए पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ को स्थानांतरित किया।

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि संविधान पीठ ने 2018 में सेवाओं पर नियंत्रण के मुद्दे के अलावा विवाद से उत्पन्न सभी मुद्दों का पूर्ण तरीके से निपटारा किया था और अब उन पर दोबारा विचार नहीं किया जाएगा।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ संविधान के प्रावधानों और संविधान के अनुच्छेद 239एए (जो दिल्ली की शक्तियों से संबंधित है) के अधीन और संविधान पीठ के फैसले (2018 के) पर विचार करते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि इस पीठ के समक्ष एक लंबित मुद्दे को छोड़कर सभी मुद्दों का पूर्ण रूप से निपटारा किया गया है। इसलिए हमें नहीं लगता कि जिन मुद्दों का निपटारा हो चुका है, उन पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।’’

आदेशानुसार, पीठ को मामला भेजा गया है वह सेवाओं की शर्तों के संबंध में केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी तथा कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित है।

पीठ ने कहा, ‘‘ इस न्यायालय की संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 239एए की व्याख्या करते हुए इस विवाद पर विशेष रूप से कोई टिप्पणी नहीं की, इसलिए संविधान पीठ द्वारा इस मामले पर एक आधिकारिक फैसले के लिए उपरोक्त मामले को उसके पास भेजना उचित होगा।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ हम मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं। कृपया, 11 मई को मामले को स्थगित करने का कोई अनुरोध ना करें।’’

शीर्ष अदालत ने मामले को पांच सदस्यीय पीठ के पास भेजने के संबंध में 28 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

यह याचिका 14 फरवरी 2019 के उस विभाजित फैसले को ध्यान में रखते हुए दायर की गयी है, जिसमें न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय पीठ ने भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश को उनके विभाजित फैसले के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने के लिए तीन सदस्यीय पीठ का गठन करने की सिफारिश की थी। दोनों न्यायाधीश अब सेवानिवृत्त हो गए हैं।

न्यायमूर्ति भूषण ने तब कहा था कि दिल्ली सरकार के पास प्रशासनिक सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं हैं। हालांकि, न्यायमूर्ति सीकरी की राय उनसे अलग थी।

भाषा

निहारिका पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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