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Monday, 18 November, 2024
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जोधपुर में पथराव के बाद तनाव, 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू, 97 लोग गिरफ्तार

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जोधपुर/जयपुर, तीन मई (भाषा) राजस्थान के जोधपुर शहर में ईद के दिन सांप्रदायिक तनाव के बाद मंगलवार को 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया। पुलिस ने उपद्रव की घटनाओं के संबंध में 97 लोगों को गिरफ्तार किया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील करते हुए अधिकारियों को ऐसी घटनाओं के जिम्मेदार असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

शहर में हालात पर निगाह रखने के लिए आला अधिकारियों के साथ लगभग 1,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। हालात और ना बिगड़ें इसके मद्देनजर मोबाइल इंटरनेट सेवा फिलहाल बंद कर दी गई है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनके गृहनगर जोधपुर पहुंचे गृहराज्य मंत्री राजेन्द्र यादव ने कहा कि घटना में घायल तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जबकि 12-15 लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम घटना के सभी पहलुओं पर चर्चा करने के लिये अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। अगर किसी अधिकारी ने सही जानकारी सरकार से साझा नहीं की तो उसे हटा दिया जायेगा। घटना की सभी पहलुओं से जांच की जाएगी और किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जायेगा।’’

जोधपुर पहुंचे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) हवा सिंह घुमरिया ने बताया, ‘‘कर्फ्यू का सख्ती से पालन किया जा रहा है। हालात पर नजर रखने के लिए आला अफसरों के साथ लगभग 1,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।’’ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उपद्रव की घटनाओं के संबंध में 97 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि अन्य की पहचान का प्रयास किया जा रहा है।

इससे पहले जोधपुर के कार्यपालक मजिस्ट्रेट राजकुमार चौधरी ने हालात पर काबू पाने के लिए मंगलवार दोपहर शहर के दस थाना क्षेत्रों- उदयमंदिर, सदर कोतवाली, सदर बाजार, नागोरी गेट, खांडा फलसा, प्रतापनगर, प्रतापनगर सदर, देवनगर, सूरसागर और सरदारपुरा में मंगलवार दोपहर एक बजे से बुधवार, चार मई की मध्यरात्रि तक कर्फ्यू के आदेश जारी किए।

मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार, शांति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने व जनजीवन व्यवस्थित रखने के लिए कर्फ्यू लगाया जाना आवश्यक है।

वहीं संभागीय आयुक्त ने आदेश जारी कर सम्पूर्ण जोधपुर जिले में इंटरनेट सेवाओं को आगामी आदेश तक अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया है ताकि अफवाहें फैलने से रोका जा सके।

वहीं जयपुर में मुख्यमंत्री गहलोत ने पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ उच्च-स्तरीय बैठक में हालात की समीक्षा की। उन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं के लिए जिम्मेदार असामाजिक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए।

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, मुख्यमंत्री ने जोधपुर में हुई घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि साम्प्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करने वाली घटना से समाज में शांति एवं कानून व्यवस्था को क्षति पहुंचती है।

लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराधी चाहे किसी धर्म, जाति या वर्ग का हो अपराध में उसकी संलिप्तता पाये जाने पर उसे बख्शा नहीं जाए।

मुख्यमंत्री ने गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव, जोधपुर के प्रभारी मंत्री सुभाष गर्ग, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अभय कुमार, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक घुमरिया को हेलीकॉप्टर से तत्काल जोधपुर जाने के निर्देश दिए।

जानकारी के अनुसार, इस विवाद की शुरुआत सोमवार आधी रात के बाद उस वक्त हुई जब कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने शहर के एक सर्किल पर स्थापित स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा पर धार्मिक झंडा लगाया, जिसका हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध किया। हिंदू समुदाय के लोगों का आरोप है कि वहां परशुराम जयंती पर लगाए गए भगवा ध्वज को हटाकर इस्लामी ध्वज लगा दिया गया और इसे लेकर दोनों समुदाय के लोगों में झड़प हो गई।

पुलिस नियंत्रण कक्ष के अनुसार, हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन वहां पथराव में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इलाके में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दीं।

पुलिस ने बताया कि हालात पर काबू पा लिया गया था लेकिन मंगलवार सुबह जालोरी गेट के पास स्थित ईदगाह में ईद की नमाज के बाद कुछ लोगों ने वहां खड़े वाहनों, घरों व दुकानों पर पथराव किया।

उल्लेखनीय है कि जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह नगर है और मंगलवार को उनका जन्मदिन भी था लेकिन जोधपुर के घटनाक्रम के मद्देनजर जयपुर में स्थित मुख्यमंत्री निवास पर जन्मदिन के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम रद्द कर दिए गए।

वहीं इस घटना को लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि सरकार चेते और तुष्टिकरण की नीति से बाज आए। उन्होंने कहा कि बांरा, करौली और राजगढ़ के बाद अब मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में भी साम्प्रदायिक तनाव की घटना हुई है।

राजे ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी बिस्सा की प्रतिमा पर लगे भगवा झंडे को उतारने की घटना से स्पष्ट हो जाता है कि प्रदेश में फैला यह मजहबी उन्माद कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण संस्कृति का परिणाम है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा पर इस्लामिक झंडा लगाने की निंदा की। उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा, ‘‘जोधपुर में स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा जी की प्रतिमा से भगवा ध्वज उतारकर इस्लामिक झंडा लगाया गया और जिस तरीके से वहां हिंसा की गई, उससे साफ तौर पर यह जाहिर होता है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार का तुष्टीकरण रवैया उसके डूबने का सबसे बड़ा कारण बनेगा।’’

केंद्रीय मंत्री और जोधपुर से सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को दावा किया कि पुलिस दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि इस विषय में प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई तो हम सब मिलकर जालोरी गेट पर धरना देंगे और प्रशासन को इस बात के लिये मजबूर करेंगे कि वह जोधपुर की शांति और भाईचारे को बिगाड़ने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करे।’’

स्थानीय भाजपा विधायक सूर्यकांता व्यास ने कहा, ‘‘उन्होंने बिस्सा की मूर्ति पर झंडा लगाया हमें इस पर कड़ी आपत्ति है। हम इसे नहीं भूलेंगे।’’

उल्लेखनीय है कि दो अप्रैल को करौली में नव संवत्सर पर हिंदू संगठनों द्वारा निकाली जा रही बाइक रैली पर कुछ असामाजिक तत्वों ने पथराव किया था, उसके बाद आगजनी की घटना हुई थी।

भाषा सं पृथ्वी कुंज अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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