नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय बृहस्पतिवार को दिल्ली फुटबॉल क्लब की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया जिसमें एक दशक से अधिक समय से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष के रूप में प्रफुल्ल पटेल के पद पर बने रहने और इसकी एक समिति को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के 2017 के फैसले के खिलाफ फुटबॉल निकाय की याचिका पर सुनवाई नहीं होने के कारण एक अवैध समिति एआईएफएफ का लगातार नेतृत्व कर रही है।
भूषण ने पीठ से कहा, “2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने फुटबॉल महासंघ के पिछले चुनाव को रद्द कर दिया गया था। जब इस अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी, तो इस अदालत ने खेल संहिता के अनुसार एआईएफएफ के लिए एक संविधान तैयार करने के वास्ते पूर्व चुनाव आयुक्त और खेल सचिव एस वाई कुरैशी की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी।’’
उन्होंने कहा कि सुनवाई न होने के कारण वही अवैध समिति पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से चल रही है।
भूषण ने मामले में जब अगले सप्ताह सुनवाई करने का आग्रह किया तो पीठ ने कहा ‘ठीक है, हम देखेंगे।’
उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित अपील में दिल्ली फुटबॉल क्लब द्वारा एक अंतरिम आवेदन दायर किया गया था।
इससे पहले, खेल मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि प्रफुल्ल पटेल के पास एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह पहले ही तीन कार्यकाल पूरे कर चुके हैं और राष्ट्रीय निकाय को बिना किसी देरी के चुनाव कराना चाहिए।
एआईएफएफ की विशेष अनुमति याचिका के संबंध में दायर हलफनामे में खेल मंत्रालय ने कहा था कि पटेल के कार्यकाल ने खेल संहिता का उल्लंघन किया है।
मंत्रालय ने हलफनामे में कहा था,’…मौजूदा समिति (एआईएफएफ की) का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है, और मौजूदा अध्यक्ष (प्रफुल्ल पटेल) ने अध्यक्ष के रूप में 12 साल से अधिक समय पूरा कर लिया है, याचिकाकर्ता (एआईएफएफ) को मौजूदा निर्देशों के अनुसार बिना किसी देरी के चुनाव कराना चाहिए। ”
पटेल ने दिसंबर 2020 में एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में अपने तीन कार्यकाल और 12 साल पूरे कर लिए थे जो खेल संहिता के तहत किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के प्रमुख को अधिकतम अनुमति है।
हालांकि, एआईएफएफ ने अपने संविधान के संबंध में शीर्ष अदालत में एक लंबित याचिका का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 में वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा की याचिका पर एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में (2016 की एजीएम में) पटेल के निर्वाचन को रद्द कर दिया था।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी पटेल को अपनी भूमिका जारी रखने की अनुमति दे दी थी तथा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी और पूर्व राष्ट्रीय कप्तान भास्कर गांगुली को प्रशासक के रूप में तथा एआईएफएफ का संविधान तैयार करने के लिए नियुक्त किया था।
भाषा
नेत्रपाल पवनेश
पवनेश
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