नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) दिल्ली में हाल के वर्षों में आग लगने की घटनाओं में लोगों को जान गंवानी पड़ी है, जिसमें शुक्रवार को मुंडका में लगी आग की घटना सबसे ताजा है।
हताहतों के मामले में, वाणिज्यिक भवन में शुक्रवार को लगी आग की घटना अनाज मंडी क्षेत्र में एक कारखाने में आग लगने की घटना के बाद सबसे बड़ी और 1997 में उपहार सिनेमा त्रासदी के बाद दूसरी सबसे बड़ी घटना है।
अधिकारियों के मुताबिक मुंडका फैक्टरी में लगी आग में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 29 लोगों के अब भी लापता होने की खबर है। चार मंजिला इमारत में आग लगने से 12 लोग घायल हो गए। इस इमारत में एक ही संकरा प्रवेश और निकास मार्ग था, जिससे लोगों का बचकर निकलना मुश्किल हो गया।
मुंडका से पहले राष्ट्रीय राजधानी आग की कई घटनाओं की गवाह रही है। इस साल मार्च में गोकुलपुरी में कई झोंपड़ियों में आग लगने से सात लोगों की मौत हो गई थी। दिसंबर 2019 में अनाज मंडी में आग लगने से 44 लोगों की जान चली गई, जिससे यह उपहार सिनेमा त्रासदी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सबसे भीषण अग्निकांड बन गई। जून 1997 में हुई उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59 लोगों की जान चली गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
रिहायशी ग्रीन पार्क इलाके में उपहार थियेटर में फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग की जा रही थी और 13 जून, 1997 को रिलीज के दिन सनी देओल की फिल्म को देखने के लिए कई परिवार वहां मौजूद थे। लेकिन दिन में तीन बजे के शो के दौरान भीषण आग लगने के कारण फिल्म का प्रदर्शन त्रासदी में बदल गया।
अनाज मंडी में आग लगने की घटना के कुछ दिनों बाद राष्ट्रीय राजधानी में एक और आग त्रासदी हुई, जिसमें नौ लोगों की जान चली गई। बाहरी दिल्ली के किराड़ी इलाके में तीन मंजिला आवासीय-सह-व्यावसायिक इमारत में भीषण आग लग गई, जिसमें तीन बच्चों सहित नौ लोगों की मौत हो गई। उपहार त्रासदी के चौदह साल बाद, नंद नगरी में ट्रांसजेंडरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान आग लग गई, जहां लगभग 10,000 लोग जमा हुए थे। घटना में 14 लोग मारे गए थे और लगभग 30 घायल हो गए थे।
जुलाई 2017 में, दिलशाद गार्डन इलाके में चार मंजिला इमारत में सुबह आग लगने से बचने की कोशिश में दो बच्चों सहित एक परिवार के चार सदस्यों की दम घुटने से मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। हादसे से एक दिन पहले परिवार ने अपनी 12 साल की बेटी का जन्मदिन मनाया था। लड़की की उस समय मौत हो गई जब वह अपने पिता, दादा और छोटे भाई के साथ आग से बचने की कोशिश कर रही थी।
अगले साल बवाना में एक पटाखा भंडारण फैक्टरी में एक और भीषण आग लग गई, जिसमें 10 महिलाओं सहित 17 लोगों की मौत हो गई। उसी वर्ष उत्तर पश्चिमी दिल्ली के कोहाट एन्क्लेव और शाहदरा के मानसरोवर पार्क में आग लगने की दो अलग-अलग घटनाओं में तीन नाबालिगों सहित पांच लोगों की जान चली गई।
अप्रैल 2018 में कोहाट एन्क्लेव की एक इमारत में आग लग गई, जिसमें एक दंपति और उनके दो बच्चों की मौत हो गई। कुछ दिनों बाद शाहदरा में भीषण आग में 300 झोंपड़ियां जलकर खाक हो गईं और एक लड़की की जान चली गई।
नवंबर 2018 में मध्य दिल्ली के करोल बाग में एक कारखाने में आग लगने से चार लोगों की मौत हो गई और एक व्यक्ति घायल हो गया। फरवरी 2019 में करोल बाग में चार मंजिला होटल में तड़के भीषण आग लग गई, जिसमें कम से कम 17 मेहमानों की मौत हो गई, जिसमें वे दो लोग भी शामिल थे जो खुद को बचाने की कोशिश में इमारत से कूद गए थे।
उसी साल अगस्त में दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जाकिर नगर इलाके में सुबह एक इमारत में भीषण आग लगने से तीन बच्चों सहित छह लोगों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए। नवंबर 2019 में नरेला में एक फुटवियर फैक्टरी में भीषण आग लग गई, जिसमें एक सुरक्षा गार्ड और एक मजदूर की मौत हो गई। आग पर काबू पाने के बाद सुरक्षा गार्ड का शव मिला था, लेकिन दूसरे पीड़ित का झुलसा हुआ शव आग लगने की घटना के चार दिन बाद बरामद किया गया था।
भाषा सुरभि माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.