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Sunday, 29 September, 2024
होमदेश300% वृद्धि के साथ महीने भर में छत्तीसगढ़ कोविड-19 एक्टिव संक्रमण के टॉप 10 राज्यों में हुआ शामिल

300% वृद्धि के साथ महीने भर में छत्तीसगढ़ कोविड-19 एक्टिव संक्रमण के टॉप 10 राज्यों में हुआ शामिल

पिछले 30 दिनों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 37,000 से ज्यादा बढ़ी है और मरने वालों का आंकड़ा 99 से 407 हो गया है.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोविड मरीजों की संख्या में पिछले एक महीने के दौरान बेहद चौंकाने वाली 300% की वृद्धि हुई है. राज्य अब एक्टिव कोविड मरीजों के मामले में देश में 21वें से 9वें स्थान पर पहुंच गया है.

राज्य सरकार ने इसके लिए छिपकर रहने वाले बिना लक्षण के मरीजों की ट्रेसिंग बढ़ने, रूटीन टेस्ट में तेजी और लोगों की लापरवाही को जिम्मेदार माना है. हालांकि जानकार इसमें राज्य सरकार के कोविड-19 प्रबंधन में कोताही को वजह मान रहे हैं.

एक महीने पहले 10 अगस्त तक छत्तीसगढ़ में 12,502 पॉजिटिव केस थे जिसमें 3,386 सक्रिय मरीज थे. राज्य उस समय देश में 21वें स्थान पर था. लेकिन इसके बाद राज्य के कोविड-19 ग्राफ में बड़ी तेजी से वृद्धि दर्ज की गई. परिणामस्वरूप 8 सितंबर तक छत्तीसगढ़ में पॉजिटिव मरीजों की संख्या 50,100 के पार हो गई और एक्टिव मरीजों की संख्या 27,000 के करीब पहुंच गयी.

पिछले 30 दिनों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 37,000 से ज्यादा बढ़ी है और मरने वालों का आंकड़ा 99 से 407 हो गया है.

एक महीने में जहां सक्रिय मरीजों की संख्या 694 प्रतिशत बढ़ी वहीं दूसरी ओर 302 कोविड संक्रमितों की मृत्यु भी हुई है. यही कारण है कि आज पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे 12 राज्यों को पीछे छोड़ छत्तीसगढ़ अपने खराब प्रदर्शन की वजह से 9वें स्थान पर आ गया है.

शोधकर्ताओं ने कुछ समय पहले दिप्रिंट को बताया था कि छत्तीसगढ़ का आर वैल्यू उनके लिए चिंता का एक विषय है. आर वैल्यू को कोविड-19 संक्रमण का एक महत्वपूर्ण पैमाना माना गया है. आर वैल्यू यदि 1 से नीचे हो तो माना जाता है कि महामारी खात्मे की ओर अग्रसर है.

चेन्नई स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंस की शोधकर्ता सिताभ्रा सिन्हा कहतीं हैं, ‘छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहे एक्टिव संक्रमण की संख्या बहुत चिंतनीय है. इसके कारण राज्य की आर वैल्यू पिछले एक महीने से लगातार अधिक है.’

सिन्हा के अनुसार छत्तीसगढ़ की वर्तमान आर वैल्यू 1.35 है. अपने अधिक आर वैल्यू की वजह से छत्तीसगढ़ देश के टॉप 12 संक्रमण दर वाले राज्यों में है.

राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोविड एक्टिव मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि का मुख्य कारण छिपकर रहने वाले बिना लक्षण वाले संक्रमितों का देरी से सामने आना और सैंपल जांच की संख्या में वृद्धि को मानते हैं. वह छिपकर रहने वाले मरीजों की संख्या के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हैं लेकिन इनकी संख्या प्रदेश में अच्छी खासी होने का अनुमान जताते हैं.

अधिकारियों के अनुसार लक्षण न दिखाई देने से ये मरीज अपनी बीमारी छिपाकर रखते हैं लेकिन जब स्थिति बिगड़ती है तब वे जांच के लिए सामने आते हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए राज्य कंट्रोल एंड कमांड सेंटर कोविड-19 के डाटा प्रभारी और वरिष्ठ डॉक्टर सुभाष पांडेय ने बताया, ‘संक्रमित मरीजों के लक्षण सामने आने के बाद छिपकर रहने वाले मरीज अब टेस्ट के लिए अच्छी तादात में आगे आ रहे हैं. ये वे लोग हैं जो छिपे हुए संक्रमण के स्रोत थे और दूसरों को संक्रमित कर रहे थे लेकिन लक्षण दिखाई न देने से बाहर नहीं निकल रहे थे.’

पांडेय कहते हैं, ‘यह सही है कि छत्तीसगढ़ में अगस्त में कोरोना मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है. दूसरे राज्यों की तुलना में अब पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि बिना लक्षण वाले मरीजों से फैले संक्रमण की ट्रेसिंग भी तेजी से हो रही है. इसके अलावा मरीजों का बाज़ार और अन्य सार्वजनिक स्थानों में सुरक्षा उपायों के बिना खुलेआम मेल-जोल रखना भी इस इजाफे का एक कारण है. बिना मास्क के बाहर निकलना और बाजार में घूमना अब सामान्य हो गया है.’

उन्होंने कहा, ‘लोग अपने और दूसरों के स्वास्थ्य के प्रति काफी लापरवाह हो गए हैं. एक महीने के भीतर कुल 37,000 के करीब पॉजिटिव मरीज मिलना छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के लिए बहुत बड़ी बात है.’

दिप्रिंट से बात करते हुए सेंटर के सदस्य डॉक्टर यथार्थ तिवारी ने बताया, ‘लोगों द्वारा सुरक्षा उपायों के प्रति कोताही के साथ-साथ पिछले दिनों सैंपल जांच संख्या में पहले 8000 की अपेक्षा आज करीब 12,000-14,000 प्रतिदिन जांच भी एक प्रमुख कारक है.’

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 10 अगस्त से पहले छत्तीसगढ़ से ज्यादा कोरोना एक्टिव मरीजों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार, झारखंड, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड शामिल थे.


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छत्तीसगढ़ में कोरोना कम्युनिटी स्प्रेड?

विभाग के एक अन्य वरिष्ठ डॉक्टर और अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि छत्तीसगढ़ में कोविड-19 महामारी ने अब सामुदायिक स्प्रेड का रूप ले लिया है. संक्रमण की हिस्ट्री ट्रेस नहीं हो पाने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि हम यह कह सकते हैं कि राज्य अब कम्युनिटी स्प्रेड में चला गया है. आंकड़े अपनी जगह हैं लेकिन 45,000 पॉजिटिव केस में 9,000 से ज्यादा ऐसे होंगे जिनकी हिस्ट्री ट्रेस नहीं हो पाई है.

लेकिन डॉक्टर पांडेय इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. हालांकि उन्होंने माना कि संक्रमण की हिस्ट्री ट्रेस न होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है.

उनके अनुसार, ‘ऐसे संक्रमितों की संख्या विगत कुछ दिनों में तेजी से बढ़ी है लेकिन अभी यह इतनी नहीं हुई कि इसे कम्युनिटी स्प्रेड माना जाए. हमारा प्रयास है कि ट्रेसिंग का काम और मजबूती से किया जाए.’


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राज्य सरकार का खराब कोविड प्रबंधन भी जिम्मेदार

विशेषज्ञ और गैर सरकारी चिकित्सक प्रदेश में एक्टिव कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने की सरकारी दलीलों से इत्तेफ़ाक रखते हैं लेकिन उनका मानना है कि इसके लिए राज्य सरकार का कमजोर प्रबंधन भी उतना ही जिम्मेदार है.

रायपुर के ईएनटी कंसलटेंट और एमएमआई अस्पताल के वरिष्ट चिकित्सक डॉक्टर अजीत आनंद दिग्वेकर कहते हैं, ‘विगत कुछ दिनों से छुपे हुए लक्षणहीन कोरोना मरीजों की बीमारी का देरी से सामने आना और टेस्टिंग की बढ़ी हुई संख्या इसके लिए जिम्मेदार है लेकिन ऐसा क्यों हुआ. टेस्टिंग की संख्या पहले क्यों नही बढ़ाया. सरकार के खराब प्रबंधन से कोविड पॉजिटिव का पीक स्तर आने का समय कम से कम दो महीना आगे बढ़ गया है.’

उन्होंने कहा, ‘यदि हम नियमानुसार 10 प्रतिशत जनसंख्या का भी टेस्ट करतें हैं तो छत्तीसगढ़ का कोविड पीक लेवल आने में अभी दो महीने और लग सकते हैं. सरकार को टेस्ट की संख्या 2-3 महीने पहले बढ़ाना था.’

डॉक्टर दिग्वेकर ने आगे बताया, ‘कोरोना मरीजों की बढ़ती मृत्यु दर भी सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम है. गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ रही है लेकिन सरकार के पास ऑक्सीजन बेड की कमी के कारण उनका इलाज नही हो पा रहा है भले ही वे अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं.’

उन्होंने कहा, ‘छत्तीसगढ़ सरकार को दिल्ली मॉडल पर काम करना चाहिए. दिल्ली सरकार की तरह ही निजी अस्पतालों के आधे बेड सरकार को ले लेने चाहिए. इससे गंभीर हालात वाले मरीजों को जल्दी इलाज मिल जाएगा.’


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