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Friday, 22 November, 2024
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साप्ताहिक जांच और 14 दिन का आईसोलेशन, कोविड को फैलने से रोकने का सबसे किफायती तरीका- लांसेट स्टडी

अमेरिका और हांगकांग की स्टडी, एक मल्टी-स्केल मॉडल पर आधारित है जिसमें कोविड-19 के आठ उपायों पर नज़र डाली गई है. इनमें जांच व अस्पताल भर्ती खर्च और वेतन के नुकसान का हिसाब लगाया गया है.

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नई दिल्ली: दि लांसेट की एक नई स्टडी में पता चला है कि जब तक टीके व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हो जाते, तब तक साप्ताहिक कोविड-19 टेस्टिंग और 14 दिन का आईसोलेशन, वायरस संक्रमण को काबू करने का सबसे किफायती तरीका है.

पत्रिका की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस मॉडलिंग स्टडी में पहली बार ‘संक्रमण की स्थानीय दरों, टेस्टिंग और अस्पताल भर्ती के खर्च और कोविड-19 मौतों को रोकने के लिए पैसा खर्च करने की सामाजिक इच्छा के हिसाब से, किफायती उपायों का अध्ययन किया गया है’.

अमेरिका और हांगकांग की स्टडी, एक मल्टी-स्केल मॉडल पर आधारित है जिसमें कई पहलू शामिल हैं जिनमें आबादी के स्तर पर सार्स-सीओवी-2 संक्रमण, आईसोलेशन की अवधि और टेस्टिंग फ्रीक्वेंसी आदि को देखा गया है.

मॉडल से पता चला कि जिन जगहों पर वायरस तेज़ी से फैल रहा है, वहां पॉज़िटिव निकलने के बाद, उससे निपटने का सबसे किफायती तरीका, साप्ताहिक टेस्टिंग और दो हफ्ते की आईसोलेशन अवधि है.

इस बीच उसमें ये भी सुझाया गया है कि जिन जगहों पर ‘गैर-औषधीय उपायों’ (बिना दवाओं) द्वारा कारगर ढंग से वायरस को फैलने से रोका गया है, वहां मासिक जांच और दो हफ्ते की आईसोलेशन अवधि को, ‘सबसे अच्छी रणनीति’ माना जाता है.


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कोविड निगरानी की 8 युक्तियों का अध्ययन

इस मॉडलिंग स्टडी में आबादी के स्तर पर वायरस संक्रमण और वैयक्तिक स्तर पर वायरस के दैनिक लोड का डेटा शामिल करके अमेरिका में ‘निगरानी की आठ युक्तियों का मूल्यांकन’ किया गया.

इन युक्तियों की, जिनमें ‘टेस्टिंग फ्रीक्वेंसी (दैनिक से मासिक टेस्टिंग) और आईसोलेशन अवधि (एक या दो हफ्ते) का अंतर था’, लक्ष्ण आधारित टेस्टिंग और आईसोलेशन की वर्तमान रणनीति से तुलना की गई.

हर युक्ति की लागत– जिसमें जांच और अस्पताल भर्ती का खर्च और ‘आईसोलेशन के दौरान वेतन का नुकसान’ शामिल था और उनके आर्थिक बोझ का अनुमान लगाया गया जिसका हिसाब जीवन के खोए हुए वर्षों (वाईएलएल) के ज़रिए लगाया गया. वाईएलएल में जल्द मौत की वजह से, जीवन के संभावित वर्षों के नुकसान का अनुमान लगाया जाता है.

स्टडी में शोधकर्ताओं ने कहा, ‘फिर हमने अलग-अलग परिदृष्यों में टेस्टिंग युक्तियों का आंकलन किया, जिनमें हर एक का एक प्रभावी री-प्रोडक्शन नंबर (आरई), टाले गए प्रति वाएलएल के हिसाब से खर्च करने की इच्छा और टेस्ट का खर्च था और उससे अनुमान लगाया कि कौन सी विशेष युक्ति में सबसे ज़्यादा शुद्ध मुनाफा है.

‘टेस्टिंग की फ्रीक्वेंसी के साथ खर्च और वाईएलएल बढ़ जाता है’

मॉडल के ज़रिए रिसर्चर्स टेस्टिंग की हर रणनीति से जुड़े स्वास्थ्य के नतीजों और आर्थिक परिणाम का अनुमान लगाने में कामयाब हो गए.

स्टडी में पाया गया, ‘जैसा कि अपेक्षा थी, खर्च और टाले गए वाईएलएल, टेस्टिंग की फ्रीक्वेंसी और आईसोलेशन अवधि की लंबाई के हिसाब से बढ़ जाते हैं’.

उसमें आगे कहा गया, ‘साप्ताहिक टेस्टिंग और दो हफ्ते का आईसोलेशन एक पसंदीदा रणनीति है, खासकर बड़ी आबादी के लिए ऊंचे संक्रमण के परिदृश्यों में अगर ये माना जाए कि लोग पॉज़िटिव निकलने के 30 दिन बाद फिर से टेस्टिंग कराएंगे’.

रोज़ाना टेस्टिंग और दो हफ्ते की आईसोलेशन अवधि, सबसे महंगी रणनीति थी.

लेकिन, स्टडी में माना गया कि उसमें जिन युक्तियों को सबसे अच्छा पाया गया है, उन्हें लॉजिस्टिक्स के हिसाब से हर जगह अमल में लाना मुमकिन नहीं हो सकता.

उसमें कहा गया, ‘उनके लिए बहुत बड़ी संख्या में, कम खर्च वाले रैपिड सार्स-सीओवी-2 एंटिजन टेस्ट और बहु-आयामी वितरण योजनाओं की ज़रूरत है, जिसमें संभावित रूप से स्कूल, यूनिवर्सिटी और कार्यस्थल को जोड़ दिया जाए, होम टेस्ट किट्स की डिलीवरी और व्यापक रूप से पहुंच सकने वाली टेस्टिंग की जगहें हों.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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