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Saturday, 21 December, 2024
होमहेल्थCovid वैक्सीन के लिए कच्चे मैटेरियल के निर्यात पर US की रोक भारत को किस तरह कर सकती है प्रभावित

Covid वैक्सीन के लिए कच्चे मैटेरियल के निर्यात पर US की रोक भारत को किस तरह कर सकती है प्रभावित

क्यों अमेरिका ने खास मैटेरियल को लेकर घरेलू मांग को प्राथमिकता दी- जो अमेरिका में बने हैं या जिसकी पैरेंट फर्म वहां की है और यह भारत के लिए उपलब्ध नहीं.

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नई दिल्ली : अमेरिका ने सोमवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैक्सीन के कच्चे मैटेरियल से प्रतिबंध को हटाने के अनुरोध पर कुछ कहने से इनकार कर दिया, जो कि उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी हैं.

विशेष तौर पर जिस कच्चे माल की जरूरत है और क्या सीरम इंस्टीट्यूट की चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा, इस पर व्हाइट हाउस कोविड-19 रिस्पांस के वरिष्ठ सलाहकार डॉ एंडी स्लासिट ने कहा, हम कोवैक्स को फंडिंग अग्रणी रहे हैं, टीकों का दोतरफा हस्तांतरण किया गया है, हम इस तरह के जटिल मसलों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और हम आपको बारीकियों के बारे में बताएंगे.’

व्हाइट हाउस कोविड-19 रिस्पांस टीम के इसी कॉन्फ्रेंस को में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्सियस डिजीज के डायरेक्टर, डॉ. एंथोनी फौसी ने कहा, ‘यकीनी तौर पर हम उस (मसले) पर आपके लिए वापस आ सकते हैं. लेकिन अभी आपके लिए मेरे पास कुछ नहीं है.’

इस बीच, बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने किसी एकमुश्त प्रतिबंध की बात से इंकार किया. ‘हम टीकों पर अमेरिकी निर्यात प्रतिबंध को लेकर किसी भी बयान को खारिज करते हैं. अमेरिका ने टीकों के निर्यात या वैक्सीन इनपुट्स पर किसी तरह का ‘एकमुश्त प्रतिबंध’ नहीं लगाया है. इस तरह का दावा सच नहीं है.’ अधिकारी ने ‘दि हिंदू’ से यह बताया.

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने भी कथित तौर पर इस मामले को अमेरिकी प्रशासन के समक्ष उठाया है.

विदेश मंत्री एस जयशंंकर इन इस मसले पर मंगलवार को एक बयान जारी किया और कहा, ‘आज, विदेश मंत्री के तौर मैं अन्य देशों, विशेष रूप से कुछ बड़े देशों के लिए जोर दे रहा हूं कि कृपया वे भारत में बनने वाले टीकों के लिए कच्चे माल को आने देते रहें.’

लेकिन ये कच्चे माल भारत में टीकों के उत्पादन के लिए कितने आवश्यक हैं, दिप्रिंट बता रहा है.


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ये सब कैसे शुरू हुआ

5 फरवरी 2021 को टीकों के उत्पादन को बढ़ाने, टेस्टिंग किट्स की उपलब्धता बढ़ाने और सुरक्षात्मक उपकरणों का उत्पादन तेज करने के लिए जो बाइडन प्रशासन ने रक्षा उत्पादन अधिनियम (डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट, डीपीए) को पारित किया है.

यह कानून राष्ट्रपति को घरेलू विनिर्माण और उत्पादन की देश की जरूरत के लिए प्राथमिकता तय करने का अधिकार देता है.

फिर, 3 मार्च को, उन्होंने मई के अंत तक वयस्क अमेरिकी आबादी को टीका लगाने के लिए पर्याप्त टीके बनाने का वादा किया. व्हाइट हाउस ने यह समयसीमा जॉनसन एंड जॉनसन और मैन्युफैक्चरिंग फर्म मर्क के बीच हुई डील के बाद तय किया. जॉनसन एंड जॉनसन के टीके के दिन के 24 घंटे निरंतर उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए एक्टन को एक बार फिर से लागू किया गया.

क्यों अमेरिका ने खास मैटेरियल को लेकर घरेलू मांग को प्राथमिकता दी- जो अमेरिका में बने हैं या जिसकी पैरेंट फर्म वहां की है, भारत के लिए उपलब्ध नहीं.

कच्चे मैटेरियल्स की भारत को जरूरत

कोविड-19 टीकों के कंपोजिशन को लेकर विश्व व्यापार संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘एक टिपिकल वैक्सीन विनिर्माण संयंत्र लगभग 30 अलग-अलग देशों के 300 आपूर्तिकर्ताओं में से 9,000 विभिन्न सामग्रियों का इस्तेमाल करेगा.’

कोविशील्ड वैक्सीन को बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने

भारत के सीरम इंस्टीट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला, जो वैक्सीन कॉविशिल्ड के मैन्युफैक्चरर्स हैं, ने संकेत दिया था कि इन सप्लाई में बैग और फिल्टर शामिल हैं.

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट जिसमें उन्होंने कहा, ‘बहुत सारे बैग व फिल्टर और महत्वपूर्ण सामान हैं जो मैन्युफैक्चरर्स को चाहिए. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. नोवावैक्स वैक्सीन, जिसके हम एक प्रमुख निर्माता हैं, इसके लिए इन आइटम्स की अमेरिका से लाने की जरूरत है… अब अमेरिका ने रक्षा एक्ट लागू कर दिया है, जिसमें एक उप-खंड है जो उनके स्थानीय मैन्युफैक्चरर्स के लिए जारूरी कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगाता है.’

एक ट्वीट में पूनावालान ने भी बाइडन से प्रतिबंध हटाने की गुजारिश की थी.

ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस की एक रिपोर्ट जिसमें इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एंड एसोसिएशंस के साथ मिलकर पाया कि सप्लाई चेन में कमी वैक्सीन निर्माण को एक महत्वपूर्ण तरीके से बाधित कर सकती है.

कुछ मैटेरियल की कम आपूर्ति में सिंगल-यूज वाले बायोरिएक्टर बैग शामिल हैं, जो सेल कल्चर और फर्मेंटेशन (किण्वन) के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं; सेल कल्चर माध्यम निष्क्रिय-वायरस, वायरल-वेक्टर, प्रोटीन-सबयूनिट-आधारित कोविड-19 टीके, और सिंंगल-यूज फिल्टर और ग्लास शीशियों के उत्पादन के लिए जरूरी है.

टीके की आपूर्ति के क्या हैं मायने 

पूनावाला ने एक याचिका में कहा था, ’11वें घंटे में नए आपूर्तिकर्ताओं को तैयार करने में थोड़ा समय लगेगा. हम ऐसा करेंगे. हम छह महीने बाद अमेरिका पर निर्भर नहीं होंगे. समस्या यह है कि हमें अभी इसकी जरूरत है.’

सीधे शब्दों में कहें, यदि इन कंपोनेंट की समय पर आपूर्ति नहीं की जाती है, तो इससे भविष्य में वैक्सीन की कमी हो सकती है और डिलीवरी प्रतिबद्धताओं को बाधित कर सकता है.

हालांकि इन कंपोनेंट का अमेरिका एकमात्र आपूर्तिकर्ता नहीं है, कहीं और से दूसरे आपूर्तिकर्ताओं की तरफ स्विच करने पर कई तरह के अप्रूवल को प्रभावित कर सकते हैं जो वर्तमान में कोविशिल्ड और कोवॉक्स के निर्माण के लिए हैं- ये दोनों उत्पाद एसआईआई और एक भारत बायोटेक का कोवैक्सीन है.

सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य प्रणालियों के विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहारिया ने कहा, ‘इनमें से ज्यादातर आइटम्स स्टैंडराइज्ड हैं, और अगर निर्माता अचानक आपूर्तिकर्ताओं को बदलते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त मंजूरी लेनी होगी, जो इस प्रक्रिया को मुश्किल बना सकती है.’

माना जाता है कि अमेरिका ने डीपीए को लागू किया है, यह कभी भी जल्द से जल्द प्रतिबंध हटाने के लिए बाध्य नहीं है, और जब तक कि इसकी अपनी मांग पूरी नहीं हो जाती.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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