नई दिल्ली: भारत जहां एक तरफ शनिवार से कोविड टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने जा रहा है वहीं नरेंद्र मोदी सरकार इस बीच शिक्षण संस्थाओं से इस कार्यक्रम को लेकर जागरूकता फैलाने में मदद चाहती है.
सरकार चाहती है कि छात्र और फैकल्टी के सदस्य कोविड वैक्सीन को लेकर फैलाई जा रही गलत सूचना के खिलाफ जागरूकता फैलाए और टीकाकरण योजना को लेकर मूलभूत जानकारी दें.
बुधवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को भेजे सर्कुलर में कहा गया कि कॉलेज और विश्वविद्यालय लोगों को जागरूक करने में सरकार की मदद करें.
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स्वास्थ्य सचिव का खत
सर्कुलर के साथ यूजीसी ने स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का एक खत भी भेजा है जिसमें इस कैंपेन के लिए समर्थन मांगा गया है. भूषण ने 5 जनवरी को शिक्षा मंत्रालय को खत भेजा था.
खत के अनुसार, ‘वैक्सीन रोल आउट और इस क्रम में विकास की तरफ बढ़ते हुए, एक सबसे बड़ी चुनौती है भारत के 1.3 बिलियन लोगों को सही और तथ्यात्मक तौर पर सही जानकारी मिलें और वैक्सीन के फायदों के बारे में जागरूक किया जाए.’
खत में लिखा है, ‘यह जरूरी है कि वैक्सीन की सुरक्षात्मकता को लेकर लोगों में विश्वास बनाया रखा जाए और इसके दुष्परिणाम को लेकर उठ रहे डर को खत्म किया जाए. हमें एक ऐसे वातावरण बनाने की जरूरत है जहां वैक्सीन को लेकर भरोसा बढ़े.’
खत के अनुसार, ‘शिक्षा मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ एक समान भागीदार के रूप में और विशेष रूप से कोविड-19 के प्रकोप के दौरान सहयोग किया है. मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि विश्वविद्यालय नेटवर्क और ऑनलाइन टॉक प्लेटफार्मों के जरिए अभियान के रोल आउट का समर्थन करें.’
स्वास्थ्य सचिव के खत का हवाला देते हुए यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने सभी विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर और कॉलेजों के प्रिंसिपल के ‘व्यक्तिगत हस्तक्षेप’ की मांग की है ताकि ‘वैक्सीन रोल आउट अभियान सफलतापूर्वक पूरा’ हो सके.
टीकाकरण के पहले चरण में मोदी सरकार 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगवाएगी. इसके बाद 50 साल या उससे ऊपर ( जिन्हें कोमोर्बिडिटी भी है) के 27 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी.
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