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Friday, 15 November, 2024
होमहेल्थ'यह पहली बार नहीं है'- महाराष्ट्र के नांदेड़ अस्पताल में मौतों के बाद विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा मांगा

‘यह पहली बार नहीं है’- महाराष्ट्र के नांदेड़ अस्पताल में मौतों के बाद विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा मांगा

नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एससीजीएमसीएच) में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच एक से दो दिन के 12 शिशुओं सहित चौबीस मरीजों की मृत्यु हो गई.

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मुंबई: जैसे ही खबरें आईं कि नांदेड़ के एक सिविल अस्पताल में मरने वालों की संख्या 24 से अधिक हो गई है, महाराष्ट्र में विपक्षी दल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर हमला करने के लिए एक साथ सामने आए और स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की.

नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एससीजीएमसीएच) में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच चौबीस मौतें हुईं, जिनमें एक से दो दिन के 12 शिशु भी शामिल थे.

कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार उन विपक्षी आवाजों में शामिल थे, जिन्होंने हैरानी व्यक्त की और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से जवाबदेही की मांग की.

दरअसल, चव्हाण ने दावा किया कि 48 घंटों में सात और मौतों के साथ मरने वालों की संख्या 31 हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि चार बच्चे थे और उन्होंने राज्य सरकार से जिम्मेदारी तय करने का आग्रह किया.

मंगलवार को, पवार ने कहा कि यह “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन तब भी नहीं जागा जब कल की घटना ताज़ा थी.” राकांपा प्रमुख ने औरंगाबाद के एक अस्पताल में दो नवजात शिशुओं समेत आठ मरीजों की मौत का भी जिक्र किया.

उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘ट्रिपल इंजन सरकार हत्यारी है.’ लोकसभा सांसद ने कहा, “पिछली बार, यही बात ठाणे में हुई थी, अब नांदेड़ में, और हम सुन रहे हैं कि छत्रपति संभाजीनगर में भी चिकित्सा की कमी है। मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा मांगना चाहिए. ”

राउत ने भी लोगों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की. “सरकार केवल संपत्ति सौदे, विदेशी दौरों, विधायकों की खरीद-फरोख्त में रुचि रखती है. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि अगर (प्रशासन में) थोड़ी भी मानवता बची है तो मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा ले लेना चाहिए.”

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल और प्रियंका गांधी ने भी महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए और मौतों की चिंताजनक संख्या पर चिंता जताई.

किसी सरकारी अस्पताल में एक ही दिन में इतनी अधिक संख्या में मौतें होने की यह पहली घटना नहीं है. अगस्त में, कलवा में ठाणे नगर निगम द्वारा संचालित छत्रपति शिवाजी महाराज मेमोरियल (सीएसएमएम) अस्पताल में 18 लोगों की मौत हो गई. मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई, लेकिन रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है.


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अस्पताल पर अत्यधिक बोझ?

मौतों की रिपोर्ट के बाद, अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में पड़ोसी जिलों से भारी संख्या में मरीज आते हैं.

सोमवार को जारी अस्पताल के बयान में कहा गया, “हाल के दिनों में, अधिक गंभीर मरीज़, विशेष रूप से टर्मिनल चरण वाले, जिलों और अन्य क्षेत्रों से आ रहे हैं. समर्पित चिकित्सा टीम और कर्मचारी लगन से उनकी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. इस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का समुदाय को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने का एक लंबा इतिहास है, और सभी भर्ती मरीजों को आवश्यक देखभाल मिल रही है.”

सोमवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने संवाददाताओं से कहा था कि नांदेड़ अस्पताल में यवतमाल-वाशिम क्षेत्र के साथ-साथ तेलंगाना सीमा के पास के इलाकों से भी मरीज आते हैं.

सरकार इस मामले की सभी मोर्चों पर जांच करने की बात को जोड़ते हुए मुश्रीफ ने कहा, “अस्पताल में 1,500-1,600 ओपीडी बेड और 20 बेड वाले 2 आईसीयू की क्षमता है. सभी एचओडी काम कर रहे हैं और स्टाफ की कोई कमी नहीं है. लोग निजी अस्पतालों में भर्ती होते हैं और जब बिल अधिक होता है या कोई समस्या सामने आती है, तो वे सरकारी अस्पताल में चले जाते हैं और वहां भर्ती हो जाते हैं.”

दिप्रिंट ने एससीजीएमसीएच के डीन से संपर्क किया लेकिन अधिकारी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि संभाजीनगर में घाटी अस्पताल बयान के लिए उपलब्ध नहीं था.

SCGMCH के बयान के अनुसार, 24 घंटों में 12 वयस्कों और इतने ही शिशुओं की मौत हो गई, जो अस्पताल में हर दिन होने वाली औसत मृत्यु संख्या लगभग 10 से अधिक है. दिप्रिंट के पास बयान की एक प्रति है.

इसमें कहा गया है, “अस्पताल में महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति है, और चालू वित्तीय वर्ष के लिए, इसे 12 करोड़ रुपए की धनराशि मिली है, जिसमें 4 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए गए हैं.”

हालांकि, नांदेड़ के विधायक अशोक चव्हाण ने आरोप लगाया था कि अस्पताल में स्थिति “चिंताजनक” थी.

कांग्रेस नेता ने सोमवार को कहा था, “डीपीडीसी (जिला योजना विकास समिति) से प्राप्त धन की गैर-तकनीकी मंजूरी के कारण अस्पताल वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. सीटी स्कैन और अन्य उपकरणों के रखरखाव के ठेके का भुगतान नहीं किया गया. इसके कारण संबंधित सेवा प्रदाताओं का रखरखाव बंद हो गया है और कई उपकरण बंद हो गए हैं. यह समय राजनीति का नहीं है. इसलिए, मैं आज किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचूंगा. जांच के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि गलती किसकी है…”

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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