हैदराबाद : भारत में कोरोनावायरस की दूसरी जानलेवा लहर के पीछे डेल्टा वेरिएंट है, सेलुलर और मॉलिकुलर बायोलॉजी का सीएसआईआर-सेंटर (सीसीएममबी) और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) ने शुक्रवार को कहा, उन्होंने वाराणसी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में घूम रहे कोविड-19 के कम से कम 7 अहम स्ट्रेन्स का पता लगाया है.
बी.1.617.2 वेरिएंट (डेल्टा वेरिएंट), जो को देश में सर्वाधिक प्रभावी है, सेक्वेंस किए नमूनों में यह सबसे आम था.
अध्ययन के लिए सेक्वेंस किए 130 नमूनों में से, डेल्टा वेरिएंट कुल नमूनों के 36 फीसदी के बीच पाया गया. सीसीएमबी के बयान के मुताबिक, बी.1.351 वेरिएंट का पहली बार साउथ अफ्रीका में पता चला, जो कि इस क्षेत्र में भी पाया गया है.
प्रोफेसर रोयना सिंह, जो कि बीएचयू में मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च यूनिट की प्रमुख हैं, ने कहा, ‘इनमें चिंता पैदा करने वाला वेरिएंट (वीओसी), जो कि अधिक प्रभावशाली, हमारे अध्ययन में मिला वह था बी.1.617. यह वेरिएंट भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर लाने वालों में से प्रमुख तौर पर सामने आया.’
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भारत में काफी ज्यादा फैल रहा डेल्टा वेरिएंट
सीसीएमबी के सलाहकार राकेश मिश्रा के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट जो कि बी.1.617 वंशावली का है, नमूनो में आम है, इस समय यह देश में अधिक तेजी से फैलने वाला कोरोनावायरस वेरिएंट है.
सीसीएमबी के पूर्व निदेशक ने दिप्रिंट को बताया, ‘डेल्टा वेरिएंट बहुत ताकतवर है, दूसरे वेरिएंट के लिए इस पर हावी होना और इसे हटाना आसान नहीं है. कहा जा रहा है कि दूसरे उभरते वेरिएंट पर नजर रखने की सावधानी अन्य अभूतपूर्व मामलों में वृद्धि को रोकने के लिए बनी रहेगी.’
बयान में कहा गया है कि बीएचयू में मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च यूनिट ने वाराणसी और शहर के इर्दि-गिर्द क्षेत्रों से अप्रैल 2021 में ज्यादातर नमूने जुटाए. सीसीएमबी की टीम ने इन सैंपलों का सेक्वेंस तैयार किया.
भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोम सेक्वेंसिंग कंसोर्टिया (आईएनएसएसीओजी) के संस्थानों द्वारा हालिया अध्ययन, जिसमें 10 राष्ट्रीय लैबोरेट्रीज को भी शामिल किया गया है, बी.1.617 और उप वंश की पॉजिटिव कम्युनिटी के नमूनों का अनुपात उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 81.8 प्रतिशत था. इसके बाद गुजरात में 77.4 प्रतिशत और झारखंड में 67.2 प्रतिशत है.
28 मई की रिपोर्ट के अनुसार 22 कम्युनिटी सैपलों का सेक्वेंस किया गया, जबकि गुजरात और झारखंड में 438 और 363 नमूनों का सेक्वेंस किया गया.
रिपोर्ट यह भी कहा गया है कि शुरुआती आकड़ों से पता चलता है कि बी.1.617.2 दूसरे दो उपवंशो- बी.1.617.1 और बी.1.617.3 की तुलना में उच्च ट्रांसमिशन की क्षमता रखता है.
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